किन्नौर: जनजातीय जिला किन्नौर के रारंग गांव के निवासी व नेशनल हिमालयन कमेटी फॉर एक्शन ऑन तिब्बत के राष्ट्रीय सचिव भगत सिंह किन्नर ने चीन की बढ़ती हरकतों को देखते हुए कहा कि चीन का अपना कोई वजूद नहीं है.
भगत सिंह किन्नर ने कहा कि चीन हमेशा से ही तिब्बत के अलावा भी दूसरे इलाकों को अधिग्रहित करने की योजना बनाता रहा है और दूसरे देशों को आपस में लड़वाने की पूरी कोशिश करता रहा है. इस बीच वो अपना फायदा भी ढूंढता है, लेकिन भारत इसकी योजनाओं को तोड़कर हर बार मुंह तोड़ जवाब देता आया है.
भगत सिंह किन्नर का कहना है कि सन 1958 से अब तक लगातार चीन भारत की विभिन्न सीमाओं पर अपना हक्क जताने आ रहा है, लेकिन भारतीय सेना के सामने चीन घुटने टेक देता है. चीन की ओर से तिब्बत जैसे देश को अधिग्रहित करना गलत और तथ्यहीन है, जिसके लिए भारत सरकार व हिमाचल के धर्मशाला में स्थित तिब्बती सरकार के मंत्रियों व प्रधानमंत्री से बातचीत कर तिब्बत को आजाद करने पर विचार विमर्श करना चाहिए.
तिब्बत के किन्नौर के साथ सैकड़ों वर्ष पहले से अच्छे संबंध रहे है और तिब्बत अपनी आजादी को लेकर भारत पर निर्भर है. उन्होंने कहा कि किन्नौर से चीन की ही नहीं बल्कि तिब्बत की सीमा भी लगती है, लेकिन चीन की ओर से तिब्बत को गलत तरीके से अधिग्रहण करने के बाद आज तिब्बत को चीन सीमा का नाम दिया जा रहा है, जिससे तिब्बत का अस्तित्व खत्म हो रहा है.
राष्ट्रीय सचिव ने कहा कि आज तिब्बत की आधी आबादी भारत में ही रहती है और अपने देश की आजादी को लेकर कई बार अपनी आवाजे उठा चुके हैं, लेकिन अब तक तिब्बत के विषय को गंभीरता से विषय को नही उठाया गया है, जिससे चीन तिब्बत पर दिन-प्रतिदिन हावी होता जा रहा है और तिब्बत में रहने वाले लोगों को गुलामी की ओर धकेलकर अपना शासनकाल चला रहा है.
चीन की ओर से तिब्बत में धर्म, रहनसहन, व्यापार से लेकर कई चीजों में अब चीन अपनी मनमर्जी फरमा रहा है और तिब्बत आज भी भारत से उम्मीद व आजादी की आस लगाए बैठा है.
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