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स्कैब के बाद अब सेब की फसल पर माइट की मार, बागवानों के चेहरे पर खिंची चिंता की लकीरें

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Published : Jul 21, 2019, 2:05 PM IST

स्कैब के बाद अब माइट नाम की बीमारी ने जिला किन्नौर के सेब के बगीचों में दस्तक दे दी है. बागवान लगातार बगीचों में कीटनाशक दवाओं का छिटकाव करने के बावजूद इस बीमारी पर नियंत्रण नहीं कर पा रहे हैं.

danger on apple crop in kinnaur

किन्नौर: जिला किन्नौर में सेब की फसलों में फैल रही बीमारियों के चलते बागवानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें खिंच गई हैं. माइट नाम की बीमारी ने किन्नौर के सेब के बगीचों में दस्तक दे दी है. बागवान द्वारा लगातार बगीचों में कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करने के बावजूद इस बीमारी पर नियंत्रण नहीं हो पा रहा है.

गौरतलब है कि इस वर्ष पहले सेब के बगीचों में स्कैब नामक बीमारी ने बागवानों की नींद उड़ा दी थी. बागवानी विभाग द्वारा कीटनाशक छिड़काव के सुझाव के बाद लोगों ने इस बीमारी पर नियंत्रण पा लिया था. हालांकि, अब सेब उत्पादक क्षेत्रों में माइट का खतरा तेजी से बढ़ रहा है. जो कि बागवानों को लिए चिंता का विषय बना हुआ है.

वीडियो

माइट सेब के पत्तों और टहनियों के बीच एक सफेद जैसी परत बना लेती है, जो धीरे-धीरे पत्तों को पीला कर देती है और पत्ते झड़ने लगते हैं. वहीं, सेब के साइज बढ़ना भी बंद हो जाता है, जिससे की सेब की फसल खराब हो जाती है.

ये भी पढे़ं-सेब के बगीचों में तेजी से फैल रहा स्कैब रोग, बागवानों की बढ़ी चिंता

बागवानी विभाग के सेब विशेषज्ञ व उपनिदेशक किन्नौर हेमचंद शर्मा का कहना है कि माइट के फैलने की समय सीमा बहुत तेज होती है. जैसे ही बगीचों में पीलापन शुरू हो उसी वक्त विभाग से सलाह लेकर तुरंत दवाई का छिड़काव करें तो ये बीमारी नियंत्रण में आ जाती है.

बता दें कि प्रदेश में सबसे पहले स्कैब रोग 1983 में पनपा था, जिसकी चपेट में शिमला जिला के सेब के बगीचे आए थे. उस समय बागवानों ने सेब सरकार को बेचे थे, लेकिन ये सेब सरकार के कुछ काम नहीं आए थे. वहीं, 1990 तक इस रोग पर काबू पा लिया गया था, लेकिन अब फिर से इस रोग से सेब के बाग ग्रस्त हो रहे हैं.

ये भी पढे़ं-स्कैब के बाद सेब के पेड़ों पर लगी नई बीमारी, बागवान परेशान

किन्नौर: जिला किन्नौर में सेब की फसलों में फैल रही बीमारियों के चलते बागवानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें खिंच गई हैं. माइट नाम की बीमारी ने किन्नौर के सेब के बगीचों में दस्तक दे दी है. बागवान द्वारा लगातार बगीचों में कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करने के बावजूद इस बीमारी पर नियंत्रण नहीं हो पा रहा है.

गौरतलब है कि इस वर्ष पहले सेब के बगीचों में स्कैब नामक बीमारी ने बागवानों की नींद उड़ा दी थी. बागवानी विभाग द्वारा कीटनाशक छिड़काव के सुझाव के बाद लोगों ने इस बीमारी पर नियंत्रण पा लिया था. हालांकि, अब सेब उत्पादक क्षेत्रों में माइट का खतरा तेजी से बढ़ रहा है. जो कि बागवानों को लिए चिंता का विषय बना हुआ है.

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माइट सेब के पत्तों और टहनियों के बीच एक सफेद जैसी परत बना लेती है, जो धीरे-धीरे पत्तों को पीला कर देती है और पत्ते झड़ने लगते हैं. वहीं, सेब के साइज बढ़ना भी बंद हो जाता है, जिससे की सेब की फसल खराब हो जाती है.

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बागवानी विभाग के सेब विशेषज्ञ व उपनिदेशक किन्नौर हेमचंद शर्मा का कहना है कि माइट के फैलने की समय सीमा बहुत तेज होती है. जैसे ही बगीचों में पीलापन शुरू हो उसी वक्त विभाग से सलाह लेकर तुरंत दवाई का छिड़काव करें तो ये बीमारी नियंत्रण में आ जाती है.

बता दें कि प्रदेश में सबसे पहले स्कैब रोग 1983 में पनपा था, जिसकी चपेट में शिमला जिला के सेब के बगीचे आए थे. उस समय बागवानों ने सेब सरकार को बेचे थे, लेकिन ये सेब सरकार के कुछ काम नहीं आए थे. वहीं, 1990 तक इस रोग पर काबू पा लिया गया था, लेकिन अब फिर से इस रोग से सेब के बाग ग्रस्त हो रहे हैं.

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Intro:जिला किन्नौर में सेब की बीमारियों के चलते इस वर्ष बागवानों में खासी परेशानी देखने को मिल रही है,सेब के बगीचों में इस वर्ष स्केब नामक बीमारी ने बागवानों की नींद उड़ा थी जब इस बीमारी पर बागवानी विभाग द्वारा कीटनाशक छिटकाव के सुजाव के बाद लोगो ने इस बीमारी पर नियंत्रण पा लिया

Body:तो उसके बाद अब माइट ने किन्नौर के सेब के बगीचों में दस्तक दे दी है जो चिंता का विषय बनी हुई है और बागवान लगातार सेब के बगीचों में कीटनाशक दवाओं का छिटकाव करने के बावजूद भी इस बीमारी पर नियंत्रण नही पा रहे
माइट सेब के पत्तों और टहनियों के बीच एक सफेद जैसी परत बना लेती है जो धीरे धीरे पत्तो को पिला कर देती है और पत्ते झड़ने लगते है।Conclusion:बागवानी विभाग के सेब विशेषज्ञ व उपनिदेशक किन्नौर हेमचन्द शर्मा का कहना है कि माइट के फैलने की समय सीमा बहुत तीव्र होती है इसलिए जैसे ही बगीचों में पीलापन शुरू हो उसी वक्त विभाग से सलाह लेकर तुरन्त दवाई का छिटकाव करे तो यह बीमारी नियंत्रण में आती है यदि बागवान समय से छिटकाव न करे तो माइट नामक बीमारी सेब के पत्तो पर फैल जाती है और सेब के पत्ते पीले होकर झड़ने लगते है जिससे सेब के साइज नही बढ़ती और सेब की फसल खराब हो जाती है।

वीडियो---माइट की बीमारी वाला बगीचा
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