किन्नौर: शायद अब वो दिन दूर नहीं जब एप्पल स्टेट हिमाचल में सेब एक जगह से दसूरी जगह पर ड्रोन के जरिए पहुंचाया जाए. ड्रोन में सेब की पेटी रखकर किन्नौर में ट्रायल किया गया जो सफल रहा है. इसको लेकर बागवानों ने खुशी जताई है. वहीं, संबंधित ड्रोन कंपनी के अधिकारियों ने कहा कि 3 दिन तक ड्रोन से सेब पहुंचाने का ट्रायल किया गया जो सफल रहा है.
किन्नौर सेब बहुल इलाका: किन्नौर जिला सेब बहुल क्षेत्र है. जहां करीब 36 लाख सेब की पेटियां हर वर्ष सेब मंडियों तक कठिन मार्गों से होकर ट्रकों के माध्यम से पहुंचती है. इस दौरान बागवानों को सेब की पैकिंग और फसल को मंडी तक पहुंचाने में कई दिन लग जाते हैं. वहीं, जिले में कुछ ऐसे भी दुर्गम इलाके हैं जहां से सेब या अन्य फसल को मुख्य मार्ग तक पहुंचाना ही बहुत मुश्किल होता है. (drone trial for apple supply)
ट्रकों में सेब पैकिंग हो जाती थी खराब: ऐसे में बागवानों और किसानों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. या तो उनकी फसल समय से मंडी नहीं पहुंच पाती है या फिर कठिन मार्गों से होते हुए ट्रक में ही सेब की पैकिंग खराब हो जाती है. जिस कारण फसल के अच्छे दाम भी नहीं मिल पाते हैं. लेकिन अब किन्नौर के सेब और आलू व अन्य नकदी फसलों को मंडी तक पहुंचाने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल हो सकेगा.
3 दिन किया गया ट्रायल: बता दें कि, किन्नौर जिले में विग्रो कंपनी द्वारा निचार गांव के ग्राम पंचायत प्रतिनिधियों से समन्वय बनाकर बागवानों के साथ 3 दिन तक ड्रोन का ट्रायल किया गया. इस दौरान निचार गांव के दुर्गम क्षेत्र कंडे से लेकर निचार मिनी स्टेडियम तक सेब की पेटी को ड्रोन के माध्यम से पहुंचाया गया और यह ट्रायल सफल रहा. (drone Trial In nichar )
6 मिनट में तय किया 5 घंटे का सफर: विग्रो कंपनी के प्रबंधक दिनेश नेगी ने बताया कि निचार ग्राम पंचायत प्रतिनिधियों व सेब बागवानों के समक्ष ड्रोन के माध्यम से सेब की बड़ी पेटी जिसका वजन करीब 12 से 18 किलो ग्राम होता है उसे निचार के छोत कंडा से निचार मिनी स्टेडियम तक ड्रोन से उठाकर लाया गया. इसमें करीब 6 मिनट का समय लगा , जबकि कंडा से स्टेडियम तक आम आदमी 1 सेब की पेटी को पैदल करीब 5 घंटे में पहुंचा पाता है. जल्द ही इससे बड़ा ड्रोन जिसकी क्षमता 4 पेटी उठाने की होगी. उसे भी किन्नौर और हिमाचल के अन्य क्षेत्रों में ट्रायल किया जाएगा.
बागवानों में जगी उम्मीद निचार के सेब बागवान व पंचायत प्रतिनिधियों ने विग्रो कंपनी का आभार जताया. साथ ही उन्होंने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि ड्रोन के इस ट्रायल के सफल रहने से कहीं न कहीं बागवानों को एक उम्मीद मिली है. उन्होंने कंपनी से आग्रह किया की इस तरह का ड्रोन बनाया जाए जो ज्यादा से ज्यादा भार उठा सके, ताकि बागवानों को इसका फायदा मिले. (apple crop in kinnaur )
बागवानी क्षेत्र में क्रांति की संभावना: ट्रायल सफल होने के बाद हिमाचल के अन्य सेब बहुल क्षेत्र के लोगों के लिए अच्छी खबर है कि भविष्य में बागवानी क्षेत्र में बड़ी क्रांति आने की संभावना है. क्योंकि हिमाचल के बागवानी क्षेत्र में आधुनिकरण से लोगों को कई बेहतर सुविधाएं मिलेंगी, जिससे बागवानों के काम आसान हो जाएगा. अब ड्रोन के माध्यम से किन्नौर के दुर्गम व कठिन क्षेत्रों से सेब, आलू व अन्य नकदी फसलों को आसान तरीके से एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाया जा सकेगा.
हिमाचल में करीब 4 करोड़ पेटी सेब का उत्पादन: हिमाचल में शिमला, कुल्लू, मंडी, चंबा, किन्नौर, लाहौल-स्पीति, सिरमौर जिलों में सेब पैदा किया जाता है. हिमाचल के कुल सेब उत्पादन का 80 फीसदी शिमला जिले में होता है. हिमाचल में सालाना करीब चार करोड़ पेटी सेब का उत्पादन होता है. हिमाचल के अलावा दूसरा सबसे बड़ा सेब उत्पादक राज्य जम्मू-कश्मीर है. उत्तराखंड और अरुणाचल प्रदेश में भी सेब उत्पादन होता है, लेकिन हिमाचल और जम्मू-कश्मीर के सेब कारोबार की देश भर में (Himachal apple demand) धूम है.
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