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शहीद कै. विक्रम बत्रा के जुड़वा भाई ने 'बत्रा टॉप' जाकर दी भाई को श्रद्धांजलि, यहीं देश पर कुर्बान हुआ था वीर योद्धा - ye dil maange more

कै. विक्रम की शहादत के बाद प्वाइंट 4875 चोटी को 'बत्रा टॉप' का नाम दिया गया है. रविवार को विशाल बत्रा और सेना के अफसर हेलीकॉप्टर से बत्रा टॉप पहुंचे और भारत के वीर योद्धा को श्रद्धांजलि दी. विक्रम बत्रा के पिता जीएल बत्रा ने कहा कि देश के लिए बेटे की शहादत पर उन्हें गर्व है.

vishal batra paid tribute to martyr captain vikram batra in kargil
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Published : Jul 8, 2019, 6:38 PM IST

धर्मशाला: कारगिल हीरो और परमवीर चक्र विजेता शहीद कैप्टन बिक्रम बत्रा को उनके जुड़वा भाई ने कारगिल में जाकर श्रद्धांजलि दी. 7 जुलाई 1999 को कै. बत्रा दुश्मनों से लोहा लेते हुए शहीद हुए थे. शहीद बत्रा के छोटे भाई विशाल बत्रा ने प्वाइंट 4875 की चोटी पर पहुंचकर श्रद्धांजलि दी.


आपको बता दें कि कै. विक्रम की शहादत के बाद प्वाइंट 4875 चोटी को 'बत्रा टॉप' का नाम दिया गया है. रविवार को विशाल बत्रा और सेना के अफसर हेलीकॉप्टर से बत्रा टॉप पहुंचे और भारत के वीर योद्धा को श्रद्धांजलि दी. विक्रम बत्रा के पिता जीएल बत्रा ने कहा कि देश के लिए बेटे की शहादत पर उन्हें गर्व है.

vishal batra paid tribute to martyr captain vikram batra in kargil
कारगिल जाकर शहीद कै. बत्रा को दी श्रद्धांजलि
शहीद बत्रा के छोटे भाई वर्तमान में आईसीआईसीआई बैंक में उत्तर भारत जोन के महाप्रबंधक पद पर तैनात हैं. उन्होंने अपने बड़े भाई को श्रद्धांजलि देने के लिए रक्षा मंत्रालय से अनुमति ली थी और उन्हें बत्रा टॉप तक सेना के हेलीकॉप्टर द्वारा पहुंचाया गया. जहां उनके भाई देश पर कुर्बान हुए थे वहीं जाकर उन्होंने वीर योद्धा को श्रद्धांजलि दी.
vishal batra paid tribute to martyr captain vikram batra in kargil
जवानों के साथ विशाल बत्रा.


कैप्टन बत्रा भारतीय सेना के ताज में जड़े बेमिसाल हीरों में से एक हैं. हिमाचल के कांगड़ा जिला के पालमपुर के गांव घुग्गर में 9 सितंबर 1974 को उनका जन्म हुआ था. पिता जीएल बत्रा व मां जयकमल बत्रा की खुशी उस समय दोगुना हो गई, जब विक्रम व विशाल के रूप में उनके घर जुड़वां बच्चों ने जन्म लिया.

vishal batra paid tribute to martyr captain vikram batra in kargil
कारगिल में जवानों के साथ विशाल बत्रा


डीएवी स्कूल पालमपुर में पढ़ाई के बाद कॉलेज की शिक्षा उन्होंने डीएवी चंडीगढ़ से हासिल की. साल 1996 में वे मिलिट्री अकादमी देहरादून के लिए सिलेक्ट हुए. कमीशन हासिल करने के बाद उनकी नियुक्ति 13 जैक राइफल में हुई.


जून 1999 में कारगिल युद्ध छिड़ गया. ऑपरेशन विजय के तहत विक्रम बत्रा भी मोर्चे पर पहुंचे. उनकी डैल्टा कंपनी को प्वाइंट 5140 को कैप्चर करने का आदेश मिला. दुश्मन सेना को ध्वस्त करते हुए विक्रम बतरा और उनके साथियों ने प्वाइंट 5140 की चोटी को कब्जे में कर लिया. कै. विक्रम ने युद्ध के दौरान कई साहसिक फैसले लिए.

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शहीद कै. विक्रम बत्रा (फाइल)


जुलाई 1999 की 7 तारीख थी. कई दिनों से मोर्चे पर डटे विक्रम को उनके ऑफिसर्स ने आराम करने की सलाह दी थी, जिसे वे नजर अंदाज करते रहे. इसी दिन वे प्वाइंट 4875 पर युद्ध के दौरान शहादत को चूम गए, लेकिन इससे पहले वे भारतीय सेना के सामने आने वाली सभी कठिनाइयों को दूर कर चुके थे. युद्ध के दौरान उनका नारा ये दिल मांगे मोर था, जिसे उन्होंने सच कर दिखाया. हिमाचल के इस सपूत ने देश के लिए शहादत दी और इन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से अलंकृत किया गया.


अहम चोटियों पर तिरंगा लहराने के बाद विक्रम बत्रा ने आराम की परवाह भी नहीं की और जो नारा बुलंद किया, वो इतिहास बन गया है. विक्रम बतरा का-ये दिल मांगे मोर, नारा सैनिकों में जोश भर देता था.

धर्मशाला: कारगिल हीरो और परमवीर चक्र विजेता शहीद कैप्टन बिक्रम बत्रा को उनके जुड़वा भाई ने कारगिल में जाकर श्रद्धांजलि दी. 7 जुलाई 1999 को कै. बत्रा दुश्मनों से लोहा लेते हुए शहीद हुए थे. शहीद बत्रा के छोटे भाई विशाल बत्रा ने प्वाइंट 4875 की चोटी पर पहुंचकर श्रद्धांजलि दी.


आपको बता दें कि कै. विक्रम की शहादत के बाद प्वाइंट 4875 चोटी को 'बत्रा टॉप' का नाम दिया गया है. रविवार को विशाल बत्रा और सेना के अफसर हेलीकॉप्टर से बत्रा टॉप पहुंचे और भारत के वीर योद्धा को श्रद्धांजलि दी. विक्रम बत्रा के पिता जीएल बत्रा ने कहा कि देश के लिए बेटे की शहादत पर उन्हें गर्व है.

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कारगिल जाकर शहीद कै. बत्रा को दी श्रद्धांजलि
शहीद बत्रा के छोटे भाई वर्तमान में आईसीआईसीआई बैंक में उत्तर भारत जोन के महाप्रबंधक पद पर तैनात हैं. उन्होंने अपने बड़े भाई को श्रद्धांजलि देने के लिए रक्षा मंत्रालय से अनुमति ली थी और उन्हें बत्रा टॉप तक सेना के हेलीकॉप्टर द्वारा पहुंचाया गया. जहां उनके भाई देश पर कुर्बान हुए थे वहीं जाकर उन्होंने वीर योद्धा को श्रद्धांजलि दी.
vishal batra paid tribute to martyr captain vikram batra in kargil
जवानों के साथ विशाल बत्रा.


कैप्टन बत्रा भारतीय सेना के ताज में जड़े बेमिसाल हीरों में से एक हैं. हिमाचल के कांगड़ा जिला के पालमपुर के गांव घुग्गर में 9 सितंबर 1974 को उनका जन्म हुआ था. पिता जीएल बत्रा व मां जयकमल बत्रा की खुशी उस समय दोगुना हो गई, जब विक्रम व विशाल के रूप में उनके घर जुड़वां बच्चों ने जन्म लिया.

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कारगिल में जवानों के साथ विशाल बत्रा


डीएवी स्कूल पालमपुर में पढ़ाई के बाद कॉलेज की शिक्षा उन्होंने डीएवी चंडीगढ़ से हासिल की. साल 1996 में वे मिलिट्री अकादमी देहरादून के लिए सिलेक्ट हुए. कमीशन हासिल करने के बाद उनकी नियुक्ति 13 जैक राइफल में हुई.


जून 1999 में कारगिल युद्ध छिड़ गया. ऑपरेशन विजय के तहत विक्रम बत्रा भी मोर्चे पर पहुंचे. उनकी डैल्टा कंपनी को प्वाइंट 5140 को कैप्चर करने का आदेश मिला. दुश्मन सेना को ध्वस्त करते हुए विक्रम बतरा और उनके साथियों ने प्वाइंट 5140 की चोटी को कब्जे में कर लिया. कै. विक्रम ने युद्ध के दौरान कई साहसिक फैसले लिए.

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शहीद कै. विक्रम बत्रा (फाइल)


जुलाई 1999 की 7 तारीख थी. कई दिनों से मोर्चे पर डटे विक्रम को उनके ऑफिसर्स ने आराम करने की सलाह दी थी, जिसे वे नजर अंदाज करते रहे. इसी दिन वे प्वाइंट 4875 पर युद्ध के दौरान शहादत को चूम गए, लेकिन इससे पहले वे भारतीय सेना के सामने आने वाली सभी कठिनाइयों को दूर कर चुके थे. युद्ध के दौरान उनका नारा ये दिल मांगे मोर था, जिसे उन्होंने सच कर दिखाया. हिमाचल के इस सपूत ने देश के लिए शहादत दी और इन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से अलंकृत किया गया.


अहम चोटियों पर तिरंगा लहराने के बाद विक्रम बत्रा ने आराम की परवाह भी नहीं की और जो नारा बुलंद किया, वो इतिहास बन गया है. विक्रम बतरा का-ये दिल मांगे मोर, नारा सैनिकों में जोश भर देता था.

Intro:धर्मशाला- शहीद कैप्टन बिक्रम बत्रा वो नाम जो किसी नाम को मोहताज नही कारगिल युद्ध का हीरो ओर एक नारा यह दिल मांगे मोर। 7 जुलाई 1999 कारगिल युद्ध के दौरान यह जांबाज शहीद हो गया था। 20 वर्ष बाद आज भी उनकी जांबाजी के किसे हर केहि सुनाए जाते हैं । वही शहीद कैप्टन बिक्रम बत्रा के छोटे भाई विशाल बत्रा  ने प्वाइंट 4875 चोटी पर पहुंचकर श्रद्धांजलि दी। विक्रम की शहादत के बाद प्वाइंट 4875 चोटी को बत्रा टॉप का नाम दिया गया है। 






Body:रविवार को विशाल बत्रा और सेना के अफसर हेलीकॉप्टर से बत्रा टॉप पर पहुंचे और श्रद्धांजलि दी। विक्रम बत्रा के पिता जीएल बत्रा ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि देश के लिए बेटे की शहादत पर उन्हें गर्व है। बता दे कि कैप्टन बिक्रम बत्रा कारगिल युद्ध के हीरो है और उन्हें वीरता का सर्वोच्च समान परमवीर चक्र भी पराप्त हुआ है। 


Conclusion:शहीद कैपटन बिक्रम बत्रा के छोटे भाई विशाल बत्रा उत्तर भारत मे आईसीआईसीआई बैंक जोन के महाप्रबंधक पद पर तैनात है। वही विशाल बत्रा ने रक्षा मंत्रालय से पत्राचार कर वहां जाने की अनुमति ली थी। वही बत्रा टॉप तक पहुंचने के लिए सेना की ओर से विशाल बत्रा को बाकायदा हेलीकॉप्टर मुहैया करवाया गया। कारगिल युद्ध के बीस साल पूरे होने पर विशाल अपने भाई को कारगिल की उस चोटी पर श्रद्धांजलि देना चाहते थे, जहां उनके भाई देश पर कुर्बान हो गए थे।

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