धर्मशाला: पर्यटन के ही बलबूते अपना राजस्व बढ़ाने वाले हिमाचल में आज संकट के काले बादल छा चुके हैं, हालात इतने बदतर हो चुके हैं कि हिमाचल में पर्यटन इंडस्ट्री से जुड़े हजारों कारोबारी अच्छे दिन आने की आस में अब उनकी उल्टी गिनती शुरू कर चुके हैं और अपने ज्यादातर आयामों को बंद करने की दिशा में कदम उठा चुके हैं.
दरअसल हिमाचल प्रदेश में मौजूदा वक्त में 20 हजार से भी ज्यादा लोग सिर्फ और सिर्फ सीधे तौर पर टूरिज्म के ही क्षेत्र से जुड़े हुए हैं और यहां बीते साल समूचे प्रदेश में कोरोना से पहले साढ़े 12 हज़ार करोड़ रुपये का निसोच बिजनेस हुआ था, जिसमें अकेले कांगड़ा में ही 1200 करोड़ रुपये का बिजनेस हुआ था.
बावजूद इसके आज कोरोना महामारी की बदौलत साढ़े 11 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है, जबकि अकेले कांगड़ा में साढ़े 900 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. दरअसल कांगड़ा में पर्यटन के कारोबार पर अगर नजर दौड़ाएं तो यहां 800 रजिस्टर्ड होटल्स हैं, 400 होम स्टे, 200 ब्रेड एन्ड ब्रेकफास्ट के आयाम, जबकि करीब 600 इनफॉर्मल आयाम ऐसे हैं जिनका सीधा-सीधा सम्बन्ध पर्यटन के कारोबार से है.
कारोबार पूरी तरह से चौपट
बावजूद इसके आज यही कारोबार पूरी तरह से चौपट होने की कगार पर पहुंच चुका है. हिमाचल प्रदेश होटल्स एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष अश्वनी बाम्बा की मानें तो एक तो कोरोना ने कारोबार पर कहर बरपा रखा है. दूसरा रही सही कसर सरकार के नाइट कर्फ्यू ने पूरी कर दी है जिसका कोई औचित्य नजर नहीं आता.
इस नाइट कर्फ्यू की बदौलत अभी हाल ही में हिमाचल आने वाले पर्यटकों को बॉर्डर्स एरिया में बेहद समस्याओं का सामना करना पड़ा है. हालांकि सरकार ने इस पर बेहद संजीदगी बरतने की बात कही है फिर भी बाहर से आने वाले पर्यटक अभी भी दुविधा में हैं कि उन्हें कहीं समस्याओं से दो चार न होना पड़े.
हजारों की संख्या में युवाओं के बेरोजगार होने का भी संकट
यही वजह है कि अब लोगों ने पहाड़ों की ओर रुख करना बंद कर दिया है. जिससे पहाड़ों में पर्यटन को बेहद आघात पहुंचा है और इस वक्त ये इंडस्ट्री पूरी तरह से चौपट होती नजर आ रही है. इससे हजारों की संख्या में युवाओं के बेरोजगार होने का भी संकट पैदा हो चुका है. अश्वनी बाम्बा ने कहा अगर वक्त रहते इस दिशा में नहीं सोचा गया तो इस वक्त होने वाले नुकसान की भरपाई भविष्य में करना भी बेहद मुश्किल हो जायेगा.