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जाईका ने बदली अब्दुलापुर के किसानों की तकदीर, आत्मनिर्भर बन रहे हैं किसान - अब्दुलापुर किसान न्यूज

कांगड़ा जिला की अब्दुलापुर पंचायत के 215 कृषक परिवारों ने हिमाचल प्रदेश फसल विविधिकरण प्रोत्साहन परियोजना अपना कर अपनी वार्षिक आय में करीब पांच गुणा वृद्धि करते हुए मिसाल पेश की है. नगदी फसलों से मुनाफा कमाकर यह प्रगतिशील किसान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं. भारत एवं जापान सरकार के सहयोग से संचालित जाईका परियोजना ने हिमाचल के पांच जिलों में किसानों की खुशहाली की राह और प्रशस्त की है.

Special Story of etv bharat on 215 Farmer Families of Abdulapur Panchayat
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Published : Nov 30, 2020, 7:45 PM IST

धर्मशाला: कांगड़ा जिला की अब्दुलापुर पंचायत के 215 कृषक परिवारों ने हिमाचल प्रदेश फसल विविधिकरण प्रोत्साहन परियोजना अपना कर अपनी वार्षिक आय में करीब पांच गुणा वृद्धि करते हुए मिसाल पेश की है.

इन किसानों ने जापान सरकार के सहयोग से राज्य में चलाई जा रही जाईका परियोजना से अपनी वार्षिक आय एक लाख रुपए प्रति हेक्टेयर से बढ़ाकर सालाना 4 लाख रुपए तक कर ली है.

वीडियो.

आत्मनिर्भर भारत का सपना हो रहा साकार

नगदी फसलों से मुनाफा कमाकर यह प्रगतिशील किसान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं. भारत एवं जापान सरकार के सहयोग से संचालित जाईका परियोजना ने हिमाचल के पांच जिलों में किसानों की खुशहाली की राह और प्रशस्त की है.

85 हेक्टेयर क्षेत्र में वर्ष भर सिंचाई की सुविधा उपलब्ध

अब्दुलापुर ग्राम पंचायत में डाडू कूहल के निर्माण ने किसानों की तकदीर को बदलने में अहम भूमिका निभाई है. कूहल के निर्माण के बाद अब इलाके के 85 हेक्टेयर क्षेत्र में वर्ष भर सिंचाई की सुविधा उपलब्ध है. अब पंचायत के किसान गेहूं, धान और मक्का जैसी पारम्परिक फ़सलों के स्थान पर सब्जी उत्पादन अपना रहे हैं.

बड़े स्तर पर हो रहा उत्पादन

वहीं, फसल विविधीकरण प्रोत्साहन योजना के जरिए लाभान्वित किसानों का कहना है कि वह खरीफ के मौसम में ककड़ी, करेला, घिया, लौकी, तोरी, कद्दू सहित अन्य फसलों में भिंडी, टमाटर, बैंगन, लोबिया आदि का बड़े स्तर पर उत्पादन कर रहे हैं. रबी सीजन के दौरान ये किसान भारी मात्रा में फूलगोभी, हरी गोभी, गोभी, मूली, मटर, आलू और प्याज का उत्पादन कर रहे हैं.

सब्जियां तैयार कर अच्छा मुनाफा प्राप्त कर रहे हैं

सिंचाई सुविधा उपलब्ध होने से अब ये किसान फसल के मुख्य मौसम से पहले अगेती सब्जियां तैयार कर अच्छा मुनाफा प्राप्त कर रहे हैं. जाईका के तहत दो किसानों को पॉलीहाउस उपलब्ध करवाये गए हैं, जिनका उपयोग किसान पनीरी उगाने के लिए कर रहे हैं. केवल पनीरी बेचने से ही ये किसान साल में लगभग 9 से 10 लाख रुपए कमा रहे हैं.

हर साल 7 लाख रुपए तक की आय प्राप्त कर रहे हैं

यहां के कुछ किसानों ने पनीरी उत्पादन को ही अपना मुख्य व्यवसाय बनाया है. ये किसान सब्जियों की पौध से हर साल 7 लाख रुपए तक की आय प्राप्त कर रहे हैं. वहीं, जाईका के जिला परियोजना प्रबंधक डॉ. राजेश सूद बताया कि हिमाचल में 5 जिलों के अंदर जायका परियोजना का चयन किया गया हैं और जिला कांगड़ा में 78 सब परियोजनाओं का चयन किया गया है.

1.93 करोड़ की राशि व्यय की गई

जिसके तहत किसानों को सिंचाई व्यवस्था उपलब्ध करवाई गई है. उन्होंने कहा कि डाडू कूहल के निर्माण पर 1.61 करोड़ रुपए व्यय किए गए हैं और पूरी परियोजना पर 1.93 करोड़ की राशि व्यय की गई है.

किसानों को सब्जी उत्पादन के वैज्ञानिक पहलुओं, सिंचाई और जल प्रबंधन, कीट प्रबंधन, उन्नत किस्मों के प्रयोग, प्रदर्शनियों के माध्यम से प्रौद्योगिकी के प्रसार, अनाज की वैज्ञानिक बिजाई आदि अपनाने और उनके उपयोग के बारे में प्रशिक्षण प्रदान किया गया है.

आय में पांच गुणा तक बढ़ोतरी दर्ज

प्रशिक्षण के बाद किसानों ने सब्जी उत्पादन के अधीन रकबा बढ़ाते हुए अपनी आय में पांच गुणा तक बढ़ोतरी दर्ज की है. किसानों को खेती में और अधिक कुशल बनाने और मैदानी कार्यों में श्रम कम करने हेतु परियोजना सहायता के तहत उन्हें विभिन्न उपकरण और औजार प्रदान किए गए. डॉ. राजेश ने कहा कि इस परियोजना के जरिए कांगड़ा में 85 हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई सुविधा उपलब्ध करवाई गई है. जिससे 215 किसान परिवार लाभान्वित हुए हैं.

धर्मशाला: कांगड़ा जिला की अब्दुलापुर पंचायत के 215 कृषक परिवारों ने हिमाचल प्रदेश फसल विविधिकरण प्रोत्साहन परियोजना अपना कर अपनी वार्षिक आय में करीब पांच गुणा वृद्धि करते हुए मिसाल पेश की है.

इन किसानों ने जापान सरकार के सहयोग से राज्य में चलाई जा रही जाईका परियोजना से अपनी वार्षिक आय एक लाख रुपए प्रति हेक्टेयर से बढ़ाकर सालाना 4 लाख रुपए तक कर ली है.

वीडियो.

आत्मनिर्भर भारत का सपना हो रहा साकार

नगदी फसलों से मुनाफा कमाकर यह प्रगतिशील किसान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं. भारत एवं जापान सरकार के सहयोग से संचालित जाईका परियोजना ने हिमाचल के पांच जिलों में किसानों की खुशहाली की राह और प्रशस्त की है.

85 हेक्टेयर क्षेत्र में वर्ष भर सिंचाई की सुविधा उपलब्ध

अब्दुलापुर ग्राम पंचायत में डाडू कूहल के निर्माण ने किसानों की तकदीर को बदलने में अहम भूमिका निभाई है. कूहल के निर्माण के बाद अब इलाके के 85 हेक्टेयर क्षेत्र में वर्ष भर सिंचाई की सुविधा उपलब्ध है. अब पंचायत के किसान गेहूं, धान और मक्का जैसी पारम्परिक फ़सलों के स्थान पर सब्जी उत्पादन अपना रहे हैं.

बड़े स्तर पर हो रहा उत्पादन

वहीं, फसल विविधीकरण प्रोत्साहन योजना के जरिए लाभान्वित किसानों का कहना है कि वह खरीफ के मौसम में ककड़ी, करेला, घिया, लौकी, तोरी, कद्दू सहित अन्य फसलों में भिंडी, टमाटर, बैंगन, लोबिया आदि का बड़े स्तर पर उत्पादन कर रहे हैं. रबी सीजन के दौरान ये किसान भारी मात्रा में फूलगोभी, हरी गोभी, गोभी, मूली, मटर, आलू और प्याज का उत्पादन कर रहे हैं.

सब्जियां तैयार कर अच्छा मुनाफा प्राप्त कर रहे हैं

सिंचाई सुविधा उपलब्ध होने से अब ये किसान फसल के मुख्य मौसम से पहले अगेती सब्जियां तैयार कर अच्छा मुनाफा प्राप्त कर रहे हैं. जाईका के तहत दो किसानों को पॉलीहाउस उपलब्ध करवाये गए हैं, जिनका उपयोग किसान पनीरी उगाने के लिए कर रहे हैं. केवल पनीरी बेचने से ही ये किसान साल में लगभग 9 से 10 लाख रुपए कमा रहे हैं.

हर साल 7 लाख रुपए तक की आय प्राप्त कर रहे हैं

यहां के कुछ किसानों ने पनीरी उत्पादन को ही अपना मुख्य व्यवसाय बनाया है. ये किसान सब्जियों की पौध से हर साल 7 लाख रुपए तक की आय प्राप्त कर रहे हैं. वहीं, जाईका के जिला परियोजना प्रबंधक डॉ. राजेश सूद बताया कि हिमाचल में 5 जिलों के अंदर जायका परियोजना का चयन किया गया हैं और जिला कांगड़ा में 78 सब परियोजनाओं का चयन किया गया है.

1.93 करोड़ की राशि व्यय की गई

जिसके तहत किसानों को सिंचाई व्यवस्था उपलब्ध करवाई गई है. उन्होंने कहा कि डाडू कूहल के निर्माण पर 1.61 करोड़ रुपए व्यय किए गए हैं और पूरी परियोजना पर 1.93 करोड़ की राशि व्यय की गई है.

किसानों को सब्जी उत्पादन के वैज्ञानिक पहलुओं, सिंचाई और जल प्रबंधन, कीट प्रबंधन, उन्नत किस्मों के प्रयोग, प्रदर्शनियों के माध्यम से प्रौद्योगिकी के प्रसार, अनाज की वैज्ञानिक बिजाई आदि अपनाने और उनके उपयोग के बारे में प्रशिक्षण प्रदान किया गया है.

आय में पांच गुणा तक बढ़ोतरी दर्ज

प्रशिक्षण के बाद किसानों ने सब्जी उत्पादन के अधीन रकबा बढ़ाते हुए अपनी आय में पांच गुणा तक बढ़ोतरी दर्ज की है. किसानों को खेती में और अधिक कुशल बनाने और मैदानी कार्यों में श्रम कम करने हेतु परियोजना सहायता के तहत उन्हें विभिन्न उपकरण और औजार प्रदान किए गए. डॉ. राजेश ने कहा कि इस परियोजना के जरिए कांगड़ा में 85 हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई सुविधा उपलब्ध करवाई गई है. जिससे 215 किसान परिवार लाभान्वित हुए हैं.

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