पालमपुर: पिता के इलाज के लिए बेटे ने स्वास्थ्य मंत्री से लेकर स्थानीय विधायक तक को फोन किया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. थक-हार के पिता को चंडीगढ़ इलाज के लिए ले गए, लेकिन उनका निधन हो गया. कांगड़ा के अभिनव शर्मा ने बताया कि सही इलाज और सुविधाएं ना मिलने के चलते उन्होंने अपने पिता को खो दिया. मामला हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के शाहपुर का है. यहां पर डीएवी कॉलेज से प्रोफेसर के पद से रिटायर हुए राजेंद्र प्रसाद शर्मा का कोरोना के चलते निधन हो गया.
बेटे ने बयां की कहानी
जानकारी के अनुसार राजेंद्र शर्मा को 26 मार्च को कोरोना हो गया था. टांडा में उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी. इसी दिन उन्हें टांडा में भर्ती करवाया गया, लेकिन यहां से 28 मार्च को सही इलाज और सुविधाएं ना मिलने के चलते उन्हें चंडीगढ़ से सटे पंचकूला के एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया, लेकिन वह नहीं बच पाए.
राजेंद्र शर्मा के बेटे अभिनव शर्मा कहता हैं कि वह पिता की मदद के लिए अस्पताल में गुहार लगाते रहे, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. 8 मार्च को पिता का निधन हो गया. अभिनव नीदरलैंड में आईटी इंजीनियर हैं.
आधी रात को मांगी मदद
अभिनव ने मीडिया से बातचीत में कहा कि जब टांडा मेडिकल कॉलेज में पिता की हालत खराब हो रही थी तो उन्होंने अपने इलाके शाहपुर की विधायक और मौजूदा सरकार में मंत्री सरवीण चौधरी को फोन किया, लेकिन किसी ने फोन नहीं उठाया. इसके बाद रात को 2 बजे मेरे पिता का ऑक्सीजन लेवल 89 था, जोकि गिरता गया. वह अस्पताल के स्टाफ के सामने गिड़गिड़ाए तो जवाब मिला, हमारे पास और भी मरीज हैं. हम आपके पापा के साथ ही नहीं रह सकते.
स्वास्थ्य मंत्री को किया फोन
अभिनव बताते हैं कि रात को उन्होंने जब स्वास्थ्य मंत्री को फोन किया तो किसी शख्स ने फोन उठाया और मदद का भरोसा दिया, लेकिन कोई मदद नहीं मिली. अगली सुबह डॉक्टर्स ने कहा कि आपके पिता की हालत ठीक है और उन्होंने धर्मशाला कोविड सेंटर में शिफ्ट किया जाएगा, लेकिन उनकी तबीयत ठीक नहीं थी, इसलिए हम उन्हें चंडीगढ़ ले गए, जहां पता चला कि उनके लंग्स में इन्फेक्शन हो गया है, जोकि बढ़ता गया और उनकी मौत हो गई.
हिमाचल की स्वास्थ्य व्यवस्था पर उठाए सवाल
अभिनव हिमाचल की स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहते हैं. कि कोई भी मंत्री आपकी जिंदगी नहीं बचाएगा. सूबे में ऐसा कोई अस्पताल नहीं है, जहां जरूरत के अनुसार बैड और वेंटिलेटर हैं, क्योंकि हमारे पूर्व सीएम और मंत्री इलाज के लिए प्रदेश से बाहर जाते हैं. ऐसे में इसी बात से पता चलता है कि प्रदेश की स्वास्थ्य प्रणाली कैसी है. साथ ही हिमाचल में अच्छे निजी अस्पताल भी नहीं हैं. अभिनव का आरोप है कि टांडा में एक महीने से सीटी स्कैन की मशीन खराब पड़ी है. कोविड वार्ड में दिन में 2 बार डॉक्टर आते हैं और रात को डॉक्टर मिलते ही नहीं हैं.
मां और भाई भी बीमार
अभिनव ने बताया कि उनकी मां और भाई भी धर्मशाला कोविड केयर सेंटर में भर्ती थे तो रात को जब भाई को 103 बुखार आया तो कोई डॉक्टर उन्हें देखने नहीं पहुंचा. जब हमने सीएमओ से शिकायत की इसके अगले दिन डॉक्टर देखने आया. दवाएं भी खिड़की से दी जाती हैं. बाद में जब मां और भाई की तबीयत बिगड़ी तो उन्हें भी चंडीगढ़ में शिफ्ट करना पड़ा. अब उनकी तबीयत में सुधार हो रहा है. अभिनव कहते हैं कि उन्हें हिमाचली होने पर गर्व था, लेकिन मौजूदा हालात को देखकर शर्म महसूस होती है कि प्रदेश में एक अच्छा अस्पताल भी नहीं है जहां, इलाज करवाया जा सके.
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