शिमलाः शहरी विकास, नगर एवं नियोजन मंत्री सुरेश भारद्वाज, उद्योग और परिवहन मंत्री बिक्रम सिंह और वन मंत्री राकेश पठानिया ने जिला कांगड़ा के धर्मशाला के मैक्लोडगंज में वन भूमि पर निर्मित होटल एवं रेस्तरां को तोड़ने के लिए जारी किए गए एनजीटी के आदेशों को कायम रखने के लिए भारत के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले की सराहना की है.
पिछली सरकार के कार्यकाल के दौरान किए गए अवैध कार्य
मंत्रियों ने कहा कि इस निर्णय ने पिछली सरकार के कार्यकाल के दौरान किए गए अवैध कार्य फिर सामने आए हैं. उन्होंने कहा कि होटल का निर्माण एक निजी निवेशक ने तत्कालीन वरिष्ठ कांग्रेस के नेताओं की मिलीभगत से किया था. इस दौरान सभी मानदण्डों की उल्लंघना कर राजनीतिक संरक्षण के तहत अवैध निर्माण किया गया था.
बस अड्डे की जगह पर बना दिया होटल
उन्होंने कहा की माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने सिविल अपील के आधार पर बस अड्डे, होटल और रेस्तरां निर्माण की अनियमितताओं की जांच करने के लिए जिला और सत्र न्यायाधीश कांगड़ा को 9 सितम्बर, 2016 को जांच अधिकारी नियुक्त किया था. वर्ष 2018 में जांच अधिकारी ने माननीय सर्वोच्च न्यायालय को रिपोर्ट सौंपी. उन्होंने कहा कि यह पाया गया कि इन सम्पत्तियों के निर्माण के लिए न तो नगर एवं नियोजन विभाग से नक्शा स्वीकृत किया गया और न ही वन संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत मंजूरी ली गई. उन्होंने कहा कि सक्षम अधिकारी से अनुमति लिए बिना भूमि उपयोग में बदलाव किए गए. उन्होंने कहा कि होटल का निर्माण ऐसी जगह पर किया गया जहां बस अड्डा निर्मित किया जाना था.
दोषी कंपनी को तत्कालीन कांग्रेस सरकार का था पूर्ण संरक्षण
सुरेश भारद्वाज, बिक्रम सिंह तथा राकेश पठानिया ने कहा कि एनजीटी ने 2016 में दोषियों को अवैध ढांचे को उखाड़ने के आदेश दिए थे. जिसके लिए समिति गठित की गई और उन्होंने होटल के निर्माण में कई अनियमितताएं पाईं. उन्होंने कहा कि दोषी कंपनी को तत्कालीन कांग्रेस सरकार का पूर्ण संरक्षण था और उन्होंने सभी मानदण्डों का उल्लंघन किया. तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने एनजीटी के आदेशों के बावजूद न तो अवैध ढांचों को गिराया और न ही दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई की. उन्होंने कहा कि दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय तत्कालीन कांग्रेस सरकार एनजीटी के निर्णय के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष गई.
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