ज्वालामुखी: विश्व प्रसिद्ध शक्तिपीठ ज्वालाजी मंदिर के प्रांगण में 150 साल पुराने प्राचीन मौलारसी वृक्ष का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है. मौलारसी वृक्ष की जड़ों में इन दिनों खोखलापन आ गया है. इससे पेड़ धीरे-धीरे सूख रहा है. मंदिर के पुजारियों ने इस पेड़ के उचित रखरखाव और इसकी जांच की मांग मंदिर प्रशासन से की है.
पुजारियों का कहना है कि मंदिर प्रशासन को इस पेड़ की जांच कृषि विश्वविद्यायल पालमपुर के विशेषज्ञों से करवानी चाहिए, ताकि इस पेड़ को बचाया जा सके. उन्होंने कहा कि पेड़ के प्रति लोगों की काफी आस्था है. और मंदिर में हजारों श्रद्धालु मनोकामनाएं पूरी होने पर इस पेड़ में डोरियां ओर धागे बांधते हैं. ऐसे में इस पेड़ को बचाना प्रशासन की सबसे पहली प्राथमिकता होनी चाहिए.
ज्वालाजी मंदिर के पुजारी अनिवेंद्र ने कहा कि इस तरह के पेड़ बहुत कम देखने को मिलते है. उन्होंने कहा कि इन पेड़ों को कल्प वृक्ष कहा जाता है. इनमें पीपल, बड़, अर्जुन, कनयार, मौलरसी, नीम और पारिजात वृक्ष शामिल है. उन्होंने कहा ज्वालाजी मंदिर में ये मौलसरी वृक्ष पूर्वजों ने आज से 150 साल पहले स्थापित किया था, लेकिन आज ये पेड़ अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है .
पुजारी ने कहा कि कि मंदिर में स्तिथ ये प्राचीन वृक्ष मंदिर की शोभा में भी चार चांद लगाता है, लेकिन अब वृक्ष की जड़ो में आये खोखलेपन की वजह से इसके ऊपर के भाग की टहनियां धीरे-धीरे सूख रही है. धूप या बारिश में बचाव करने के लिए ये मौलसरी वृक्ष श्रद्धालुओं समेत यहां के पुजारियों के लिए किसी छाते से कम नहीं है. वहीं इस मौलारसी वृक्ष के नीचे भजन मंडली का पूरा पंडाल बैठता है. इसके अलावा ज्यादातर पुजारी भी अपने व्यस्त समय के बाद अपनी थकान इस ही पेड़ की छांव में बैठकर उतारते है.
एसडीएम ज्वालाजी व मंदिर का अतिरिक्त कार्यभार संभाल रहे अंकुश शर्मा ने कहा कि वृक्ष की जड़ो में खोखलापन आ रहा है. साथ ही धीरे-धीरे पेड़ सुख रहा है. पालपपुर कृषि विश्वविद्यालय से एक्सपर्ट को बुलाकर इस वृक्ष की जांच करवाई जाएगी, ताकि इसके अस्तित्व को बचाया जा सके. प्रशासन इस वृक्ष को बचाने के लिए अपनी ओर से हरसंभव कोशिश करेगा.
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