ETV Bharat / state

खतरे में ज्वालाजी मंदिर में लगा मोलारस वृक्ष, लोगों की आस्था से जुड़ा है ये सालों पुराना पेड़

शक्तिपीठ ज्वालाजी मंदिर के प्रांगण में 150 साल पुराने प्राचीन मौलसरी वृक्ष का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है. मौलसरी वृक्ष की जड़ों में इन दिनों खोखलापन आ गया है. इससे पेड़ धीरे-धीरे सूख रहा है. मंदिर के पुजारियों ने इस पेड़ के उचित रखरखाव और इसकी जांच की मांग मंदिर प्रशासन से की है.

maulsari tree in danger Jwalaji Temple
author img

By

Published : Sep 23, 2019, 5:35 PM IST

Updated : Sep 23, 2019, 11:14 PM IST

ज्वालामुखी: विश्व प्रसिद्ध शक्तिपीठ ज्वालाजी मंदिर के प्रांगण में 150 साल पुराने प्राचीन मौलारसी वृक्ष का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है. मौलारसी वृक्ष की जड़ों में इन दिनों खोखलापन आ गया है. इससे पेड़ धीरे-धीरे सूख रहा है. मंदिर के पुजारियों ने इस पेड़ के उचित रखरखाव और इसकी जांच की मांग मंदिर प्रशासन से की है.

पुजारियों का कहना है कि मंदिर प्रशासन को इस पेड़ की जांच कृषि विश्वविद्यायल पालमपुर के विशेषज्ञों से करवानी चाहिए, ताकि इस पेड़ को बचाया जा सके. उन्होंने कहा कि पेड़ के प्रति लोगों की काफी आस्था है. और मंदिर में हजारों श्रद्धालु मनोकामनाएं पूरी होने पर इस पेड़ में डोरियां ओर धागे बांधते हैं. ऐसे में इस पेड़ को बचाना प्रशासन की सबसे पहली प्राथमिकता होनी चाहिए.

ज्वालाजी मंदिर के पुजारी अनिवेंद्र ने कहा कि इस तरह के पेड़ बहुत कम देखने को मिलते है. उन्होंने कहा कि इन पेड़ों को कल्प वृक्ष कहा जाता है. इनमें पीपल, बड़, अर्जुन, कनयार, मौलरसी, नीम और पारिजात वृक्ष शामिल है. उन्होंने कहा ज्वालाजी मंदिर में ये मौलसरी वृक्ष पूर्वजों ने आज से 150 साल पहले स्थापित किया था, लेकिन आज ये पेड़ अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है .

वीडियो

पुजारी ने कहा कि कि मंदिर में स्तिथ ये प्राचीन वृक्ष मंदिर की शोभा में भी चार चांद लगाता है, लेकिन अब वृक्ष की जड़ो में आये खोखलेपन की वजह से इसके ऊपर के भाग की टहनियां धीरे-धीरे सूख रही है. धूप या बारिश में बचाव करने के लिए ये मौलसरी वृक्ष श्रद्धालुओं समेत यहां के पुजारियों के लिए किसी छाते से कम नहीं है. वहीं इस मौलारसी वृक्ष के नीचे भजन मंडली का पूरा पंडाल बैठता है. इसके अलावा ज्यादातर पुजारी भी अपने व्यस्त समय के बाद अपनी थकान इस ही पेड़ की छांव में बैठकर उतारते है.

एसडीएम ज्वालाजी व मंदिर का अतिरिक्त कार्यभार संभाल रहे अंकुश शर्मा ने कहा कि वृक्ष की जड़ो में खोखलापन आ रहा है. साथ ही धीरे-धीरे पेड़ सुख रहा है. पालपपुर कृषि विश्वविद्यालय से एक्सपर्ट को बुलाकर इस वृक्ष की जांच करवाई जाएगी, ताकि इसके अस्तित्व को बचाया जा सके. प्रशासन इस वृक्ष को बचाने के लिए अपनी ओर से हरसंभव कोशिश करेगा.

ये भी पढ़ें: सुनसान इलाके में मिली बिना नंबर प्लेट की बाइक, पुलिस ने किया मामला दर्ज

ज्वालामुखी: विश्व प्रसिद्ध शक्तिपीठ ज्वालाजी मंदिर के प्रांगण में 150 साल पुराने प्राचीन मौलारसी वृक्ष का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है. मौलारसी वृक्ष की जड़ों में इन दिनों खोखलापन आ गया है. इससे पेड़ धीरे-धीरे सूख रहा है. मंदिर के पुजारियों ने इस पेड़ के उचित रखरखाव और इसकी जांच की मांग मंदिर प्रशासन से की है.

पुजारियों का कहना है कि मंदिर प्रशासन को इस पेड़ की जांच कृषि विश्वविद्यायल पालमपुर के विशेषज्ञों से करवानी चाहिए, ताकि इस पेड़ को बचाया जा सके. उन्होंने कहा कि पेड़ के प्रति लोगों की काफी आस्था है. और मंदिर में हजारों श्रद्धालु मनोकामनाएं पूरी होने पर इस पेड़ में डोरियां ओर धागे बांधते हैं. ऐसे में इस पेड़ को बचाना प्रशासन की सबसे पहली प्राथमिकता होनी चाहिए.

ज्वालाजी मंदिर के पुजारी अनिवेंद्र ने कहा कि इस तरह के पेड़ बहुत कम देखने को मिलते है. उन्होंने कहा कि इन पेड़ों को कल्प वृक्ष कहा जाता है. इनमें पीपल, बड़, अर्जुन, कनयार, मौलरसी, नीम और पारिजात वृक्ष शामिल है. उन्होंने कहा ज्वालाजी मंदिर में ये मौलसरी वृक्ष पूर्वजों ने आज से 150 साल पहले स्थापित किया था, लेकिन आज ये पेड़ अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है .

वीडियो

पुजारी ने कहा कि कि मंदिर में स्तिथ ये प्राचीन वृक्ष मंदिर की शोभा में भी चार चांद लगाता है, लेकिन अब वृक्ष की जड़ो में आये खोखलेपन की वजह से इसके ऊपर के भाग की टहनियां धीरे-धीरे सूख रही है. धूप या बारिश में बचाव करने के लिए ये मौलसरी वृक्ष श्रद्धालुओं समेत यहां के पुजारियों के लिए किसी छाते से कम नहीं है. वहीं इस मौलारसी वृक्ष के नीचे भजन मंडली का पूरा पंडाल बैठता है. इसके अलावा ज्यादातर पुजारी भी अपने व्यस्त समय के बाद अपनी थकान इस ही पेड़ की छांव में बैठकर उतारते है.

एसडीएम ज्वालाजी व मंदिर का अतिरिक्त कार्यभार संभाल रहे अंकुश शर्मा ने कहा कि वृक्ष की जड़ो में खोखलापन आ रहा है. साथ ही धीरे-धीरे पेड़ सुख रहा है. पालपपुर कृषि विश्वविद्यालय से एक्सपर्ट को बुलाकर इस वृक्ष की जांच करवाई जाएगी, ताकि इसके अस्तित्व को बचाया जा सके. प्रशासन इस वृक्ष को बचाने के लिए अपनी ओर से हरसंभव कोशिश करेगा.

ये भी पढ़ें: सुनसान इलाके में मिली बिना नंबर प्लेट की बाइक, पुलिस ने किया मामला दर्ज

Intro:स्पेशल स्टोरी।


विश्व प्रसिद्ध शक्तिपीठ ज्वालाजी मन्दिर के प्रांगण में स्तिथ 150 साल पुराने मौलसरी वृक्ष का अस्तित्व खतरे में

मन्दिर के पुजारियों ने प्रसाशन से इसकी जांच करवाने की उठायी मांग
कहा- मौलसरी वृक्ष की जड़ों में आ रहा खोखलापन, धीरे धीरे सुख रही पेड़ की कुछ टहनियांBody:

ज्वालामुखी, 23 सितम्बर (नितेश): विश्व प्रसिद्ध शक्तिपीठ ज्वालाजी मन्दिर के प्रांगण में स्तिथ 150 साल पुराने प्राचीन मौलसरी वृक्ष का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। मौलसरी वृक्ष की जड़ों में इन दिनों खोखलापन आ गया है, जो पेड़ को धीरे धीरे सूखा रहा है। मन्दिर के पुजारियों ने इस पेड़ के उचित रखरखाब व इसकी जांच की मांग मन्दिर प्रसाशन से की है। पुजारियों का कहना है कि मन्दिर प्रशासन को इस पेड़ की जांच कृषि विश्वविद्यायल पालमपुर के चिकित्सकों से करबानी चाहिए, ताकि इस पेड़ को खत्म होने से बचाया जा सके। उन्होंने कहा कि पेड़ के प्रति लोगों की काफी आस्था है और मन्दिर में हज़ारों श्रद्धालु यहां जब उनकी मनोकामनाएं पूरी होती है तो इस पेड़ में डोरियां ओर धागे बांधते है, ऐसे में इस पेड़ को बचाना प्रसाशन की सबसे प्रथम प्राथमिकता होनी चाहिए। यही नही वृक्ष पर चूड़े चढ़ाने से लेकर सावन के महीने में झूले चढ़ाने की परंपरा को भी स्थानीय लोग व दूर दराज से आ रहे श्रद्धालु पूरी करते है।
ज्वालाजी मन्दिर के पुजारी अनिवेन्द्र ने कहा कि इस तरह के पेड़ बहुत कम देखने को मिलते है। उन्होंने कहा कि इन पेड़ों को कल्प बृक्ष कहा जाता है। इनमें पीपल, बड़, अर्जुन, कनयार, मौलसरी, नीम ओर पारिजात वृक्ष शामिल है, जिन्हें कल्प बृक्ष कहा जाता है। उन्होंने कहा ज्वालाजी मन्दिर में ये मौलसरी वृक्ष पूर्वजों द्वारा आज से 150 वर्ष पहले स्थापित किया था, लेकिन आज ये पेड़ अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है । उन्होंने कहा कि मन्दिर में स्तिथ ये प्राचीन वृक्ष मौलसरी मन्दिर की शोभा में भी चार चांद लगाता है, साथ ही मन्दिर प्रशासन की ओर से भी वृक्ष को काफी सजोये रखा था, लेकिन अब वृक्ष की जड़ो में आये खोखलेपन की बजह से इसके ऊपर के भाग की टहनियां धीरे धीरे सुख रही है।

मौलसरी वृक्ष के नीचे लगती है भजनों की मंडली
धूप या बारिश में बचाब करने के लिए ये मौलसरी वृक्ष श्रद्धालुओ सहित यहां के पुजारियों के लिए किसी छाते से कम नही है। वहीं इस मौलसरी वृक्ष के नीचे भजन मंडली का पूरा पंडाल बैठता है। इसके अलावा ज्यादातर पुजारी भी अपने व्यस्त समय के बाद अपनी थकान इस ही पेड़ की छांव में बैठकर उतारते है। पुजारी ये भी कहते है कि एक तो इस तरह के वृक्ष बहुत कम कुछ ही स्थानों में पाए जाते है वहीं इस तरह के वृक्ष कहीं भी हो वहां पर वासु दोष नही होता है।

Conclusion:बाइट
क्या कहते है एस डी एम ज्वालाजी
इस प्राचीन मौलसरी वृक्ष को लेकर एस डी एम ज्वालाजी व मन्दिर का अतिरिक्त कार्यभार संभाल रहे अंकुश शर्मा ने कहा कि वृक्ष की जड़ो में खोखलापन आ रहा है, साथ ही धीरे धीरे पेड़ सुख रहा है तो पालपपुर स्तिथ कृषि विश्वविद्यालय से एक्सपर्ट को बुलाकर इस वृक्ष की जांच करवाई जाएगी, ताकि इसके अस्तित्व को बचाया जा सके। प्रशासन इस वृक्ष को बचाने के लिए अपनी तरफ से हरसंभव कोशिश करेगा।
Last Updated : Sep 23, 2019, 11:14 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.