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देश के उत्थान के लिए महिलाओं का सशक्तिकरण-संरक्षण जरूरी, शिकायतों पर त्वरित संज्ञान लें अधिकारी: डेजी ठाकुर

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Published : Sep 29, 2021, 6:03 PM IST

घरेलू हिंसा अधिनियम-2005 लागू होने के बाद घरेलू हिंसा में कमी आई है. वहीं, दूसरी ओर कोरोना काल में हिमाचल प्रदेश में घरेलू हिंसा के मामलों में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. ऐसे में महिलाओं को जागरूक करने के लिए कांगड़ा जिले में हिमाचल प्रदेश राज्य महिला आयोग (Himachal Pradesh State Commission for Women) की ओर से एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया. कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉक्टर डेजी ठाकुर ने घरेलू हिंसा के मामलों के शीघ्र निपटारा करने की बात कही.

workshop on domestic violence
कांगड़ा में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन

मंडी: कोरोना काल में हिमाचल प्रदेश में घरेलू हिंसा (domestic violence in himachal pradesh) के बढ़ते मामलों को देखते हुए महिलाओं को जागरूक करने के लिए हिमाचल प्रदेश राज्य महिला आयोग (Himachal Pradesh State Commission for Women) ने बुधवार को कागड़ा जिले में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया. कार्यशाला में महिलाओं को घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 के बारे में विस्तार से सभी को जानकारी दी गई. इस अवसर पर राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉक्टर डेजी ठाकुर (Himachal Women Commission President Dr Daisy Thakur) विशेष रूप से मौजूद रहीं.

कार्यशाला में डेजी ठाकुर ने कहा कि घरेलू हिंसा जैसी सामाजिक बुराई को समाप्त करने के लिए परिवारों के मध्य अधिक सामंजस्य और पारिवारिक मूल्यों में विश्वास आवश्यक है. उन्होंने कहा कि किसी भी देश के उत्थान के लिए महिलाओं का सशक्तिकरण, संरक्षण बहुत आवश्यक है. घरेलू हिंसा अधिनियम-2005 महिलाओं को शारीरिक, मानसिक, आर्थिक, लैंगिक हिंसा से सुरक्षा प्रदान करता है. उन्होंने बताया कि अधिनियम के लागू होने के पश्चात महिलाओं पर होने वाली घरेलू हिंसा में उल्लेखनीय कमी आई है.

डेजी ठाकुर ने बताया कि एक ही छत के नीचे हिंसा से पीड़ित महिलाओं एवं बालिकाओं को एकीकृत रूप से सहायता एवं सहयोग प्रदान करने के लिए प्रदेश भर में वन स्टॉप सेंटर (सखी) प्रत्येक जिला में स्थापित किए गए हैं. राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष ने कहा कि घरेलू हिंसा अधिनियम-2005 महिलाओं को हर प्रकार के उत्पीड़न से संरक्षण प्रदान करता है. उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाएं अपने विरूद्ध हो रहे अत्याचारों के खिलाफ मामला दर्ज नहीं करवाती हैं, जिसके लिए उन्हें और अधिक जागरूक करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि घरेलू हिंसा के अधिकतर मामले आपसी बातचीत से सुलझाए जा सकते हैं.

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इसके साथ ही डेजी ठाकुर ने कहा कि महिला एवं बाल विकास और पुलिस विभाग को अधिक समन्वय के साथ कार्य करना चाहिए ताकि घरेलू हिंसा के मामलों की जानकारी प्राप्त की जा सके. उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में महिला एवं बाल विकास विभाग के संरक्षण अधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है. उन्होंने प्रशिक्षण कार्यक्रम में उपस्थित सभी संरक्षण अधिकारियों तथा अन्य का आह्वान किया कि घरेलू हिंसा की शिकायतों का त्वरित संज्ञान लें और आवश्यकता पड़ने पर मामले की जानकारी उचित स्तर तक प्रेषित करें ताकि पीड़िता महिला को बिना देरी किए न्याय मिल सके. इस अवसर पर हिमाचल प्रदेश राज्य महिला आयोग के विधि अधिकारी अनुज वर्मा, एडवोकेट विनय सोनी और एडवोकेट विनय शर्मा ने घरेलू हिंसा अधिनियम-2005 की विस्तृत जानकारी प्रदान की.

ये भी पढ़ें: Mandi Lok Sabha seat: भाजपा-कांग्रेस में प्रत्याशियों को लेकर कवायद शुरू, इन नामों पर मुहर लगा सकती हैं पार्टियां

मंडी: कोरोना काल में हिमाचल प्रदेश में घरेलू हिंसा (domestic violence in himachal pradesh) के बढ़ते मामलों को देखते हुए महिलाओं को जागरूक करने के लिए हिमाचल प्रदेश राज्य महिला आयोग (Himachal Pradesh State Commission for Women) ने बुधवार को कागड़ा जिले में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया. कार्यशाला में महिलाओं को घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 के बारे में विस्तार से सभी को जानकारी दी गई. इस अवसर पर राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉक्टर डेजी ठाकुर (Himachal Women Commission President Dr Daisy Thakur) विशेष रूप से मौजूद रहीं.

कार्यशाला में डेजी ठाकुर ने कहा कि घरेलू हिंसा जैसी सामाजिक बुराई को समाप्त करने के लिए परिवारों के मध्य अधिक सामंजस्य और पारिवारिक मूल्यों में विश्वास आवश्यक है. उन्होंने कहा कि किसी भी देश के उत्थान के लिए महिलाओं का सशक्तिकरण, संरक्षण बहुत आवश्यक है. घरेलू हिंसा अधिनियम-2005 महिलाओं को शारीरिक, मानसिक, आर्थिक, लैंगिक हिंसा से सुरक्षा प्रदान करता है. उन्होंने बताया कि अधिनियम के लागू होने के पश्चात महिलाओं पर होने वाली घरेलू हिंसा में उल्लेखनीय कमी आई है.

डेजी ठाकुर ने बताया कि एक ही छत के नीचे हिंसा से पीड़ित महिलाओं एवं बालिकाओं को एकीकृत रूप से सहायता एवं सहयोग प्रदान करने के लिए प्रदेश भर में वन स्टॉप सेंटर (सखी) प्रत्येक जिला में स्थापित किए गए हैं. राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष ने कहा कि घरेलू हिंसा अधिनियम-2005 महिलाओं को हर प्रकार के उत्पीड़न से संरक्षण प्रदान करता है. उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाएं अपने विरूद्ध हो रहे अत्याचारों के खिलाफ मामला दर्ज नहीं करवाती हैं, जिसके लिए उन्हें और अधिक जागरूक करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि घरेलू हिंसा के अधिकतर मामले आपसी बातचीत से सुलझाए जा सकते हैं.

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इसके साथ ही डेजी ठाकुर ने कहा कि महिला एवं बाल विकास और पुलिस विभाग को अधिक समन्वय के साथ कार्य करना चाहिए ताकि घरेलू हिंसा के मामलों की जानकारी प्राप्त की जा सके. उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में महिला एवं बाल विकास विभाग के संरक्षण अधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है. उन्होंने प्रशिक्षण कार्यक्रम में उपस्थित सभी संरक्षण अधिकारियों तथा अन्य का आह्वान किया कि घरेलू हिंसा की शिकायतों का त्वरित संज्ञान लें और आवश्यकता पड़ने पर मामले की जानकारी उचित स्तर तक प्रेषित करें ताकि पीड़िता महिला को बिना देरी किए न्याय मिल सके. इस अवसर पर हिमाचल प्रदेश राज्य महिला आयोग के विधि अधिकारी अनुज वर्मा, एडवोकेट विनय सोनी और एडवोकेट विनय शर्मा ने घरेलू हिंसा अधिनियम-2005 की विस्तृत जानकारी प्रदान की.

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