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कोरोना काल में सेरी कल्चर को बढ़ावा देने में जुटीं महिलाएं, रेशम से मजबूत कर रहीं परिवार की आर्थिकी

कोरोना संकट के बीच प्रदेश में महिलाएं आर्थिक मजबूती की ओर कदम बढ़ा रही हैं. कोरोना काल में महिलाएं सेरी कल्चर को बढ़ावा देने के लिए जुट गई हैं. घरों में पूरी जिम्मेदारी निभाने के साथ-साथ महिलाएं रेशम भी तैयार कर रही हैं. हमीरपुर और ऊना जिले में हजारों किसान सेरी कल्चर को बढ़ावा देने के लिए मेहनत कर रहे हैं. विभाग ने रेशम पालन से जुड़े किसानों को उनके घरों में जाकर जागरूक किया है. इसके अच्छे परिणाम देखने को मिले हैं.

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Published : May 13, 2021, 6:08 PM IST

In the Corona era, women are promoting seri culture
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भोरंज/हमीरपुर: कोरोना महामारी के दौरान घरों में महिलाओं ने सेरी कल्चर को बढ़ावा देने के साथ ही अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत करने जुट गई हैं. रेशम की अच्छी पैदावार होने पर महिलाएं इस कार्य को बेडे़ पैमान पर करने के लिये तैयार हो गई हैं. इससे आने वाले समय में हमीरपुर और ऊना जिले में सेरी कल्चर व्यवसाय को मजबूती मिलेगी.

महिलाएं दे रही हैं सेरी कल्चर को बढ़ावा

बता दें कि मार्च महीने में उद्योग विभाग द्वारा बनाए गए हमीरपुर और ऊना जिले के 10 रेशम पालन एवं प्रशिक्षण केंद्रों में 3 राज्यों कर्नाटक के मैसूर, उत्तराखंड के देहरादून और हिमाचल प्रदेश के पालमपुर से करीब 1087 औंस रेशम बीज पहुंचा है और इसे हमीरपुर जिला में सेरी कल्चर अर्थात रेशम पालन के लिए करीब 1900 किसान और ऊना जिले में 350 किसान को अप्रैल महीने में चिंतपूर्णी, मनबरी, उसूर प्रजातियों के रेशम बीज वितरित किया गया.

विभाग ने घर-घर जाकर किया रेशम कीट पालन का निरीक्षण

कोरोना महामारी के चलते किसानों ने अपने घरों में रेशम पालन की ओर विशेष ध्यान देकर 20 से 25 दिनों में अच्छा रेशम उत्पादन किया. इसके लिए विभाग के कर्मचारियों ने घर-घर जाकर रेशम कीट पालन का निरीक्षण कर किसानों को बेहतर उत्पादन के लिए जागरूक किया है.

उत्तम किस्म का रेशम तैयार

यही वजह है कि भोरंज उपमंडल की धमरोल गांव की पिंकी देवी, मीरा देवी ने पहली बार सेरी कल्चर अर्थात रेशम कीट पालन को चुनकर अच्छा उत्पादन किया है. नियमित देखभाल करके और समय पर शहतूत की पत्तियां डालकर उत्तम किस्म का रेशम तैयार कर लिया है. उनका कहना है कि बंजर भूमि में शहतूत के पौधे लगाकर सेरी कल्चर को अधिक से अधिक बढ़ावा दिया जा सकता है. इन दिनों रेशम तैयार हो चुका है.

किन-किन केंद्रों में तैयार हो रहा है रेशम

हमीरपुर जिला में सात रेशम पालन एवं प्रशिक्षण केंद्र नादौन, जंगलबैरी, भलवानी, बोहणी, बल्ह-बिहाल, सलासी, कांगू तथा ऊना जिला के तीन टकराला, खड्ड व हटली में किसान रेशम को तैयार करने में जुटे हुए हैं.

क्या कहते हैं रेशम पालन एवं प्रशिक्षण केंद्र प्रभारी ?

हमीरपुर जिला के अधिकांश रेशम पालन एवं प्रशिक्षण केंद्रों व ऊना जिला के टकारला केंद्र के प्रभारी वरिष्ठ इंस्पेक्टर मदन लाल शर्मा का कहना है कि दोनों जिलों के 10 केंद्र में रेशम तैयार होने को हैं. इससे किसान अपनी आर्थिकी को मजबूत करेंगे. विभाग ने रेशम पालन से जुड़े किसानों को उनके घरों में जाकर जागरूक किया है. इसके अच्छे परिणाम देखने को मिले हैं.

यह भी पढ़ें :- मंडी पुलिस की कार्रवाई: 66 बीघा जमीन से नष्ट किए अफीम के 15 लाख पौधे

भोरंज/हमीरपुर: कोरोना महामारी के दौरान घरों में महिलाओं ने सेरी कल्चर को बढ़ावा देने के साथ ही अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत करने जुट गई हैं. रेशम की अच्छी पैदावार होने पर महिलाएं इस कार्य को बेडे़ पैमान पर करने के लिये तैयार हो गई हैं. इससे आने वाले समय में हमीरपुर और ऊना जिले में सेरी कल्चर व्यवसाय को मजबूती मिलेगी.

महिलाएं दे रही हैं सेरी कल्चर को बढ़ावा

बता दें कि मार्च महीने में उद्योग विभाग द्वारा बनाए गए हमीरपुर और ऊना जिले के 10 रेशम पालन एवं प्रशिक्षण केंद्रों में 3 राज्यों कर्नाटक के मैसूर, उत्तराखंड के देहरादून और हिमाचल प्रदेश के पालमपुर से करीब 1087 औंस रेशम बीज पहुंचा है और इसे हमीरपुर जिला में सेरी कल्चर अर्थात रेशम पालन के लिए करीब 1900 किसान और ऊना जिले में 350 किसान को अप्रैल महीने में चिंतपूर्णी, मनबरी, उसूर प्रजातियों के रेशम बीज वितरित किया गया.

विभाग ने घर-घर जाकर किया रेशम कीट पालन का निरीक्षण

कोरोना महामारी के चलते किसानों ने अपने घरों में रेशम पालन की ओर विशेष ध्यान देकर 20 से 25 दिनों में अच्छा रेशम उत्पादन किया. इसके लिए विभाग के कर्मचारियों ने घर-घर जाकर रेशम कीट पालन का निरीक्षण कर किसानों को बेहतर उत्पादन के लिए जागरूक किया है.

उत्तम किस्म का रेशम तैयार

यही वजह है कि भोरंज उपमंडल की धमरोल गांव की पिंकी देवी, मीरा देवी ने पहली बार सेरी कल्चर अर्थात रेशम कीट पालन को चुनकर अच्छा उत्पादन किया है. नियमित देखभाल करके और समय पर शहतूत की पत्तियां डालकर उत्तम किस्म का रेशम तैयार कर लिया है. उनका कहना है कि बंजर भूमि में शहतूत के पौधे लगाकर सेरी कल्चर को अधिक से अधिक बढ़ावा दिया जा सकता है. इन दिनों रेशम तैयार हो चुका है.

किन-किन केंद्रों में तैयार हो रहा है रेशम

हमीरपुर जिला में सात रेशम पालन एवं प्रशिक्षण केंद्र नादौन, जंगलबैरी, भलवानी, बोहणी, बल्ह-बिहाल, सलासी, कांगू तथा ऊना जिला के तीन टकराला, खड्ड व हटली में किसान रेशम को तैयार करने में जुटे हुए हैं.

क्या कहते हैं रेशम पालन एवं प्रशिक्षण केंद्र प्रभारी ?

हमीरपुर जिला के अधिकांश रेशम पालन एवं प्रशिक्षण केंद्रों व ऊना जिला के टकारला केंद्र के प्रभारी वरिष्ठ इंस्पेक्टर मदन लाल शर्मा का कहना है कि दोनों जिलों के 10 केंद्र में रेशम तैयार होने को हैं. इससे किसान अपनी आर्थिकी को मजबूत करेंगे. विभाग ने रेशम पालन से जुड़े किसानों को उनके घरों में जाकर जागरूक किया है. इसके अच्छे परिणाम देखने को मिले हैं.

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