हमीरपुर: हिमाचल के सुजानपुर की होली देशभर में विख्यात है. दूर दूर से लोग यहां होली खेलने के लिए आते हैं. होली के मौके पर यहां सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन होता है. देशभर के कलाकार यहां आकर लोगों का मनोरंजन करते हैं, लेकिन इस बार कोरोना के चलते सुजानपुर में होली नहीं खेली जाएगी.
बीते साल भी कोरोना के चलते होली मेले को बीच मे ही रोकना पड़ा था. अब इस बार भी सुजानपुर होली मेला कोरोना के चलते नहीं हो पाया है. हमीरपुर की डीसी देवश्वेता बनिक ने शुक्रवार को सुजानपुर के मुरली मनोहर मंदिर में पूजा-अर्चना करके होली उत्सव की परंपरा का ही निर्वहन किया.
बता दें कि इससे पहले सुजानपुर के राष्ट्रस्तरीय होली मेले का आगाज प्रदेश के सीएम की ओर से किया जाता रहा है. सुजानपुर शहर में रथ यात्रा निकालने के बाद सीएम के मुरली मनोहर मंदिर में पूजा अर्चना के बाद होली मेले का आगाज किया जाता था.
कई साल पुराना है इतिहास
हिमाचल प्रदेश के सुजानपुर में मनाई जाने वाली राष्ट्र स्तरीय होली उत्सव के आयोजन के पीछे एक रोचक कहानी है. रियासतों और रजवाड़ा शाही के दौर में शुरू हुआ ये उत्सव आज भी सदियों पुरानी परंपराओं के अनुसार ही मनाया जाता है. कटोच वंश के शासन में होली उत्सव सुजानपुर का शुभारंभ हुआ था. रजवाड़ा शाही के दौर से ही यह उत्सव 3 दिन तक मनाया जाता था. राजा के महल में तालाब में रंग घोलकर होली खेली जाती थी. सुजानपुर नगर की स्थापना 1761 ई. में कटोच वंश के राजा घमंड चंद ने की थी, लेकिन इसे संपूर्ण करने का श्रेय कला प्रेमी और राजा घमंड चंद के पोते संसार चंद को जाता है.
उल्टे हाथ में कान्हा जी ने पकड़ी है मुरली
राजा संसार चंद के दौर में ही सुजानपुर होली उत्सव को ख्याति मिली. संसार चंद ने ही प्राचीन मुरली मनोहर मंदिर का निर्माण भी करवाया और होली उत्सव को नई पहचान भी दी. होली के मौके पर राजा हाथी-घोड़ों पर सवार होकर अपने महल से मंदिर में पहुंचते थे. होली उत्सव से पहले राजा यहां पर पूजा करते थे. इस मंदिर से भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी को गुलाल लगाकर ही सुजानपुर होली मेले की शुरूआत होती थी. मुरली मनोहर मंदिर हिमाचल के प्राचीन मंदिरों में से एक है. सबसे खास बात ये है कि मंदिर में कृष्ण की प्रतिमा ने उल्टे हाथ में बांसुरी पकड़ रखी है, जबकि हर मंदिर में कृष्ण भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति सीधे हाथों में रहती है.
मंदिर में हुआ था चमत्कार
इसके पीछे भी एक कहानी जुड़ी है. जिस समय मुरली मनोहर मंदिर के अंदर श्री कृष्ण की मूर्ति की स्थापना की जा रही थी उस समय महाराजा संसार चंद ने पुजारियों से सवाल किया कि क्या प्रमाण है कि यहां श्री कृष्ण विरामान हैं. राजा ने कहा कि अगर सुबह तक मुझे जवाब नहीं मिला तो सभी पुजारियों के सिर काट दिए जाएंगे. इसके बाद मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए. राजा का फरमान सुनकर सभी पुजारी रात भर चिंता में रहे, लेकिन जब सुबह मंदिर के अंदर भगवान श्री कृष्ण के चमत्कार को देखकर दंग रह गए. सुबह होते ही बांसुरी दूसरी दिशा में घूम गई थी.
लख टकिया के नाम से जाना जाता है ये मंदिर
मुरली मनोहर मंदिर को एक लख टकिया मंदिर के नाम से भी जाना जाता है क्योकि इसका निर्माण महाराजा संसार चंद ने एक लाख रुपए से करवाया था. मंदिर को देखकर राजा महाराजाओं के जमाने की याद ताजा हो जाती है. मंदिर के अंदर बेहतरीन नक्काशी की गई है. मंदिर की सजावट इस तरीके से हुई है कि भक्तजन यहां आकर भक्ति में लीन हो जाते हैं.
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