हमीरपुर : नगर परिषद हमीरपुर में व्यवस्था राम भरोसे ही चल रही है. हालात ऐसे हैं कि नगर परिषद में 50% से अधिक पद रिक्त हैं. जिसके कारण लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
74 में से 40 पद खाली- नगर परिषद हमीरपुर में नियमित तौर पर सरकार की तरफ से कुल 74 पद सृजित किए गए हैं जिनमें से 40 रिक्त हैं. हालात ऐसे हैं कि कुछ पदों पर तो पिछले दो दशक से कोई अधिकारी और कर्मचारी ही तैनात नहीं किया गया है. नगर परिषद हमीरपुर से कर्मचारी और अधिकारी सेवानिवृत्त हो रहे हैं लेकिन उनकी जगह पद नहीं भरे जा रहे हैं. साल 1998 में यहां पर सेनेटरी इंस्पेक्टर का पद अंतिम दफा भरा गया था जिसके बाद यह पद लगातार खाली चल रहा है. इस तरह के हालात नगर परिषद हमीरपुर के अन्य कई ब्रांच में है.
कई पद सालों से खाली- नगर परिषद हमीरपुर में कर्मचारियों की कमी का आलम यह है कि 5 क्लर्क के पद सृजित हैं लेकिन एक क्लर्क के सहारे काम चल रहा है. सेनेटरी इंस्पेक्टर का पद करीब 25 साल से खाली है ऐसे में शहर में स्वच्छता का अंदाजा लगाया जा सकता है. वर्क सुपरवाइजर का पद भी कुछ समय पहले ही कर्मचारी की सेवानिवृत्ति के चलते खाली हो गया है.
सेवानिवृत्ति के बाद भी दे रहे सेवाएं- नगर परिषद हमीरपुर में सीनियर असिस्टेंट रिटायरमेंट के बाद भी अपनी सेवाएं दे रहे हैं. सरकार को उनके सेवाओं को लेकर नगर परिषद की तरफ से प्रपोजल भेजी गई है. रिक्त पद ना भरे जाने से नगर परिषद हमीरपुर की विभिन्न ब्रांच में लोगों के काम अटक रहे हैं।. सीनियर असिस्टेंट से लेकर जूनियर असिस्टेंट तक सभी पद रिक्त चल रहे हैं. सेवानिवृत्ति के बाद भी सीनियर असिस्टेंट अभी तक अपना चार्ज किसी को हैंडओवर नहीं कर पाए हैं.
जनता हो रही परेशान- नगर परिषद में स्टाफ की कमी के कारण लोगों को छोटे-छोटे काम के लिए कई चक्कर काटने पड़ रहे हैं. कर्मचारियों की कमी की वजह से लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. लोगों के रोजमर्रा के काम के साथ साथ नगर परिषद हमीरपुर के विकास कार्य भी कर्मचारियों की कमी के चलते प्रभावित हो रहे हैं.
सरकार बदली, हालात नहीं- पूर्व की भाजपा सरकार ने भी नगर परिषद हमीरपुर के यही हालात थे हालांकि सत्ता परिवर्तन के बावजूद नगर परिषद हमीरपुर के हालात नहीं बदले हैं. जबकि ये मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का गृह जिला है. हालांकि नगर परिषद पर बीजेपी का कब्जा है लेकिन नगर परिषद के हालात ना पूर्व की बीजेपी सरकार में बदले और ना ही मौजूदा सरकार के दौरान कुछ हुआ. खाली पदों को भरने के लिए नगर परिषद के चुने हुए नुमाइंदों की तरफ से कई दफा सरकार को प्रपोजल भेजी गई है. पिछले कई सालों से यहां प्रक्रिया औपचारिकता मात्र बनकर रह गई है.
आउटसोर्स कर्मियों की भर्ती को मंजूरी नहीं- पूर्व की भाजपा सरकार के दौरान नगर परिषद हमीरपुर के पदाधिकारियों ने आउटसोर्स के आधार पर कर्मचारियों की भर्ती करने की मांग की थी. बाकायदा शहरी विकास विभाग निदेशालय को प्रपोजल भेजी गई थी लेकिन यह प्रपोजल अभी तक फाइलों में ही धूल फांक रहा है और भर्ती की मंजूरी का इंतजार जारी है.
ना मिस्त्री, ना बेलदार- नगर परिषद हमीरपुर के अध्यक्ष मनोज कुमार मिन्हास ने बताया कि कर्मचारियों के पद रिक्त होने की वजह से कामकाज में काफी मुश्किल आ रही है. सेवानिवृत्ति के बाद कर्मचारियों की तैनाती नहीं हो रही है जिस वजह से ज्यादा दिक्कत हो रही है. हालात ऐसे हैं कि नगर परिषद के पास ना तो मिस्त्री है और ना ही बेलदार, उन्होंने सरकार से मांग की है कि यदि नियमित तौर पर भर्ती नहीं की जाती है तो कम से कम आउटसोर्स आधार पर भर्ती करने की मंजूरी दी जाए.
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