ETV Bharat / state

यहां बिताया था ध्यानु भगत ने अपना अंतिम समय, आज हो रहा अनदेखी का शिकार - ध्यानु भगत ट्रस्ट

प्रदेश सरकार हिमाचल में कई पर्यटन स्थालों को विकसित करने की बात करती है, लेकिन प्रदेश के कई हिस्सों में ऐसी ऐतिहासिक धरोहरें मौजूद हैं, जो सरकार और प्रशासन की अनदेखी के कारण गुमनामी के अंधेरे में खोई हुई है.

DHYANU BHAGAT temple story sujanpur
यहां बिताया था ध्यानु भगत ने अपना अंतिम समय
author img

By

Published : Feb 11, 2020, 3:26 PM IST

सुजानपुर: हिमाचल प्रदेश अपनी विविधता और देव परंपराओं के लिए जाना जाता है. हिमाचल ही वह स्थल है जहां कई शक्तिपीठ मंदिर मौजूद है. जिनमें से एक है कांगड़ा का प्रसिद्ध माता ज्वाला जी का मंदिर. आप शायद इस बात को जान कर हैरान होंगे कि माता ज्वाला के मंदिर की कुछ कहानियां जिला हमीरपुर से भी जुड़ी हुई है.

दंत कथाओं के मुताबिक ज्वाला माता का एक बहुत प्रसिद्ध भक्त ध्यानु हुआ करता था. जिसने मां के चरणों में अपना शीश काटकर चढ़ाया था. भक्त ध्यानु ने अपना अंतिम समय नादौन कस्बे में व्यास नदी के किनारे गुजारा था. भक्त ध्यानू ने लगभग 20 वर्षों तक मां ज्वाला जी की आराधना की थी. इसी स्थान पर ध्यानु भगत की समाधि बनाई गई थी, लेकिन आज के समय में यह मंदिर और समाधि खंडहर और गुमनामी के अंधेरे में डूबते नजर आ रहे हैं.

वीडियो रिपोर्ट

विडंबना यह है कि इस ऐतिहासिक स्थल और धार्मिक स्थान की अनदेखी की जा रही है. हालांकि ध्यानु ट्रस्ट की ओर से इसके जीर्णोद्धार के लिए कुछ कदम उठाए गए हैं, लेकिन सरकार और प्रशासन की मदद के बिना यह प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं.

नादौन में भक्त ध्यानु ने अपने अंतिम समय में संतों के साथ समय बिताया और नादौन में ही रह कर माता तारा राणी की कथा की रचना भी की थी. जिसका गुणगान आज भी माता के जागरण के समय होता है. मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं का कहना है कि वह अक्सर समाधि स्थल पर आते हैं और शीश नवाते हैं. लोगों का कहना है कि समाधि स्थल की हालत दयनीय बनी हुई है.

ध्यानु भगत ट्रस्ट के चेयरमैन रमेश चंद गोस्वामी की मानें तो ध्यानू भक्त की समाधि स्थल की दशा को सुधारने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं और आगामी दिनों में स्थान को भव्य बनाने के लिए काम किया जाएगा. उन्होंने भी समाधि स्थल की दुदर्शा पर चिंता जाहिर की. उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से मंदिर के रख रखाव के लिए कोई प्रयास नहीं किया जा रहा.

ये भी पढ़ें: बिलासपुर पुलिस को मिली कामयाबी, 2.14 ग्राम चिट्टा सहित आरोपी को दबोचा

सुजानपुर: हिमाचल प्रदेश अपनी विविधता और देव परंपराओं के लिए जाना जाता है. हिमाचल ही वह स्थल है जहां कई शक्तिपीठ मंदिर मौजूद है. जिनमें से एक है कांगड़ा का प्रसिद्ध माता ज्वाला जी का मंदिर. आप शायद इस बात को जान कर हैरान होंगे कि माता ज्वाला के मंदिर की कुछ कहानियां जिला हमीरपुर से भी जुड़ी हुई है.

दंत कथाओं के मुताबिक ज्वाला माता का एक बहुत प्रसिद्ध भक्त ध्यानु हुआ करता था. जिसने मां के चरणों में अपना शीश काटकर चढ़ाया था. भक्त ध्यानु ने अपना अंतिम समय नादौन कस्बे में व्यास नदी के किनारे गुजारा था. भक्त ध्यानू ने लगभग 20 वर्षों तक मां ज्वाला जी की आराधना की थी. इसी स्थान पर ध्यानु भगत की समाधि बनाई गई थी, लेकिन आज के समय में यह मंदिर और समाधि खंडहर और गुमनामी के अंधेरे में डूबते नजर आ रहे हैं.

वीडियो रिपोर्ट

विडंबना यह है कि इस ऐतिहासिक स्थल और धार्मिक स्थान की अनदेखी की जा रही है. हालांकि ध्यानु ट्रस्ट की ओर से इसके जीर्णोद्धार के लिए कुछ कदम उठाए गए हैं, लेकिन सरकार और प्रशासन की मदद के बिना यह प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं.

नादौन में भक्त ध्यानु ने अपने अंतिम समय में संतों के साथ समय बिताया और नादौन में ही रह कर माता तारा राणी की कथा की रचना भी की थी. जिसका गुणगान आज भी माता के जागरण के समय होता है. मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं का कहना है कि वह अक्सर समाधि स्थल पर आते हैं और शीश नवाते हैं. लोगों का कहना है कि समाधि स्थल की हालत दयनीय बनी हुई है.

ध्यानु भगत ट्रस्ट के चेयरमैन रमेश चंद गोस्वामी की मानें तो ध्यानू भक्त की समाधि स्थल की दशा को सुधारने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं और आगामी दिनों में स्थान को भव्य बनाने के लिए काम किया जाएगा. उन्होंने भी समाधि स्थल की दुदर्शा पर चिंता जाहिर की. उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से मंदिर के रख रखाव के लिए कोई प्रयास नहीं किया जा रहा.

ये भी पढ़ें: बिलासपुर पुलिस को मिली कामयाबी, 2.14 ग्राम चिट्टा सहित आरोपी को दबोचा

Intro:स्लग -- मां ज्वाला माता जी के प्रसिद्ध भक्त ध्यानू के ऐतिहासिक व धार्मिक समाधि स्थल अनदेखी का शिकार, सैंकड़ों वर्ष पहले ध्यानू भक्त ने की थी 20 वर्ष मां ज्वाला जी की आराधना, इसी स्थल पर की थी ध्यानू भक्त ने संतों के साथ माता तारारानी कथा की रचना।


मां के चरणों मे अपना शीश काट कर भेंट किया था। उसी भक्त ध्यानू ने अपना समय हमीरपुर के नादौन शहर में गुजारा था, और माँ ज्वाला जी की 20 वर्ष तक भक्ति की थी, उसी जगह ध्यानू भक्त की सैंकड़ों वर्ष पहले बनाई गई समाधी खंडहर बनती जा रही है। गुमनामी के अंधेरे में डूबता जा रहा यह स्थान।

एंकर -- हिमाचल प्रदेश को देवी देवताओं की भूमि के नाम से जाना जाता है। यहां पर प्रसिद्ध शक्तिपीठ मंदिर मौजूद है। इनमें से एक मां ज्वाला माता जी का मंदिर भी है । माँ ज्वाला माता जी का एक बहुत प्रसिद्ध भक्त ध्यानू हुआ है। जिसने मां के चरणों में अपना शीश काटकर चढ़ाया था। भक्त ध्यानू ने हमीरपुर जिला के नादौन कस्बे में व्यास नदी के किनारे अपना अंतिम समय गुजारा था। लगभग 20 वर्षों तक माँ ज्वाला जी की आराधना की थी। इसी स्थान पर ध्यानू भक्त की समाधि बनाई गई थी। लेकिन आज के समय में यह मंदिर व समाधि खंडहर और गुमनामी के अंधेरे में डूबते नजर आ रहे हैं। वहीं ध्यानू भक्त ट्रस्ट के चैयरमेन की माने तो ध्यानू भक्त की समाधि व स्थल की दशा सुधारने के लिए प्रयास किये जा रहे हैं। लेकिन सरकार की तरफ से यहां पर कोई प्रयास नहीं किये गए।Body:


वीओ 1-- हिमाचल प्रदेश के जिला हमीरपुर के नादौन में अपने जीवन का अंतिम समय ब्यास नदी के किनारे गुजारा था। इसी स्थान पर मां ज्वाला जी की लगभग 20 वर्षो तक आराधना की थी। जिस स्थान पर ध्यानू ने आराधना की थी उसी स्थान पर ध्यानू की समाधि सैंकड़ों वर्ष पहले बनाई गई थी। विडंबना यह है कि इस ऐतिहासिक स्थल और धार्मिक स्थान की अनदेखी की जा रही है। हालांकि ध्यानू ट्रस्ट की ओर से इसके जीर्णोद्धार के लिए कुछ कदम उठाए गए हैं। लेकिन सरकार और प्रशासन की मदद के बिना यह प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं।

मां ज्वाला माता के चरणों में अपना सिर काट कर भेंट करने वाले भक्त ध्यानू का जिक्र आते ही मुगल सम्राट अकबर का शासन याद आता है जिस समय सम्राट अकबर ने ध्यानू भक्त की भक्ति की परीक्षा लेते हुए मां ज्वाला का अपमान किया था जिस पर मां ज्वाला ने अकबर का अंहकार तोडा था।

नादौन में भक्त ध्यानू ने अपने अंतिम समय में संतों के साथ समय बिताया और नादौन में ही रह कर माता तारा राणी की कथा की रचना भी की थी जिसका गुणगान आज भी माता के जागरण के समय होता है और माता तारा रानी की कथा के बिना कोई भी जागरण संपन्न नहीं होता है। वहीं श्रद्धालुओं का कहना है कि कि अकसर समाधि स्थल पर आते है और शीश नवाते हैं। लेकिन समाधि वाली जगह की हालत दयनीय बनी हुई है जिस कारण माता के भक्त ध्यानू की समाधि को देखकर दुख होता है।

बाइट -- शांतनु कुमार ( श्रद्धालु)
FEED FILE -- DHIYANU 2


बाइट-- अनिल चौहान ( श्रद्धालु)
FEED FILE -- DHIYANU 3

वीओ 2-- वहीं ध्यानू भक्त ट्रस्ट के चेयरमैन रमेश चंद गोस्वामी की माने तो ध्यानू भक्त की समाधि स्थल की दशा को सुधारने के लिए प्रयास किए जा रहे है और आगामी दिनों में स्थान को भव्य बनाने के लिए काम किया जाएगा। उन्होंने भी समाधि स्थल की दुदर्शा पर चिंता जाहिर की और कहा कि सरकार की ओर से भी इस ओर कोई प्रयास नहीं किए गए है।

बाइट -- रमेश चंद गोस्वामी ( चैयरमेन , ध्यानू ट्रस्ट)
FEED FILE -- DHIYANU 4

Conclusion:ध्यानू भक्त का इतिहास

बता दे कि जिन दिनों भारत में मुगल सम्राट अकबर का शासन था, उन्ही दिनों की यह घटना है आगरा के रहने वाले निवासी माता का एक सेवक (ध्यानु भगत) एक हजार यात्रियों सहित माता के दर्शन के लिए जा रहा था। इतना बड़ा दल देखकर बादशाह के सिपाहियों ने दिल्ली के चांदनी चौक में उन्हें रोक लिया और अकबर के दरबार में ले जाकर ध्यानु भगत को पेश किया । बादशाह के पूछने पर ध्यानू भक्त ने बताया कि वह ज्वाला मां के दर्शन के लिए जा रहे है लेकिन इस पर अकबर ने मां की शक्ति पर शंका जाहिर की और कहा कि मैं तुम्हारे घोडे का सिर अलग कर रहा हूं। अगर तुम्हारी माता में शक्ति है तो इसे जोड कर दिखाएं जिस पर ध्यानू भक्त ने एक माह का समय अकबर से मांगा और मां के दर्शन के लिए निकल पडा था। ज्वाला जी पहुंचकर ध्यानू भक्त ने माता की भक्ति की लेकिन कई दिनों बाद भी माता के प्रसन्न नहीं होने पर ध्यानू भक्त ने अपना सिर काट कर माता के चरणों में भेंट कर दिया, जिस पर माता प्रसन्न हुई और दर्शन दिए। उसी समय दिल्ली में घोडे का कटा हुआ सिर भी जुड गया और ध्यानू भक्त का सिर भी जुड गया।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.