सुजानपुर: हिमाचल प्रदेश अपनी विविधता और देव परंपराओं के लिए जाना जाता है. हिमाचल ही वह स्थल है जहां कई शक्तिपीठ मंदिर मौजूद है. जिनमें से एक है कांगड़ा का प्रसिद्ध माता ज्वाला जी का मंदिर. आप शायद इस बात को जान कर हैरान होंगे कि माता ज्वाला के मंदिर की कुछ कहानियां जिला हमीरपुर से भी जुड़ी हुई है.
दंत कथाओं के मुताबिक ज्वाला माता का एक बहुत प्रसिद्ध भक्त ध्यानु हुआ करता था. जिसने मां के चरणों में अपना शीश काटकर चढ़ाया था. भक्त ध्यानु ने अपना अंतिम समय नादौन कस्बे में व्यास नदी के किनारे गुजारा था. भक्त ध्यानू ने लगभग 20 वर्षों तक मां ज्वाला जी की आराधना की थी. इसी स्थान पर ध्यानु भगत की समाधि बनाई गई थी, लेकिन आज के समय में यह मंदिर और समाधि खंडहर और गुमनामी के अंधेरे में डूबते नजर आ रहे हैं.
विडंबना यह है कि इस ऐतिहासिक स्थल और धार्मिक स्थान की अनदेखी की जा रही है. हालांकि ध्यानु ट्रस्ट की ओर से इसके जीर्णोद्धार के लिए कुछ कदम उठाए गए हैं, लेकिन सरकार और प्रशासन की मदद के बिना यह प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं.
नादौन में भक्त ध्यानु ने अपने अंतिम समय में संतों के साथ समय बिताया और नादौन में ही रह कर माता तारा राणी की कथा की रचना भी की थी. जिसका गुणगान आज भी माता के जागरण के समय होता है. मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं का कहना है कि वह अक्सर समाधि स्थल पर आते हैं और शीश नवाते हैं. लोगों का कहना है कि समाधि स्थल की हालत दयनीय बनी हुई है.
ध्यानु भगत ट्रस्ट के चेयरमैन रमेश चंद गोस्वामी की मानें तो ध्यानू भक्त की समाधि स्थल की दशा को सुधारने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं और आगामी दिनों में स्थान को भव्य बनाने के लिए काम किया जाएगा. उन्होंने भी समाधि स्थल की दुदर्शा पर चिंता जाहिर की. उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से मंदिर के रख रखाव के लिए कोई प्रयास नहीं किया जा रहा.
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