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कोरोना ने बढ़ाई मिडल क्लास परिवारों की दिक्कतें, कमाई के साधन नहीं और महंगाई चरम पर - आर्थिक तंगी हमीरपुर

कोरोना संकट में मध्यमवर्गीय परिवारों की परेशानियां बढ़ चुकी हैं. हर महीने 1500 तक होने वाला खर्च अब बढ़कर 10 हजार तक पहुंच चुका है जिससे उन्हें आर्थिक तंगी में गुजर बसर करना पड़ रहा है.

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Published : Nov 5, 2020, 2:03 PM IST

Updated : Nov 6, 2020, 3:35 PM IST

हमीरपुर: महंगाई के इस दौर में कोरोना संकटकाल ने मध्यमवर्गीय परिवारों को आर्थिक तंगी में लाकर खड़ा कर दिया है. हालात ऐसे हैं कि जहां एक तरफ लोगों की कमाई का जरिया कम हुआ है तो वहीं खर्च भी बढ़ गए हैं. सेहत का ध्यान रखना भी जरूरी है और इसके लिए महीने का परिवारों का खर्चा सैकड़ों से हजारों रुपए बढ़ चुका है.

इसी को लेकर ईटीवी भारत ने हमीरपुर जिला के मध्यमवर्गीय परिवारों से विशेष बातचीत की. इस दौरान लोगों का मत था कि सेहत का ध्यान रखने के लिए उन्हें ज्यादा खर्च करना पड़ रहा है जबकि कमाई के साधन अभी तक पहले की तरह शुरू नहीं हो सके हैं.

वीडियो

महेंद्र का कहना है कि महीने का खर्च 1 हजार रुपये तक बढ़ चुका है. खुद की सेहत तथा बच्चों की सेहत के लिए ड्राई फ्रूट और विटामिन सी की दवाइयां भी खरीदनी पड़ रही हैं. वहीं, संजीव कुमार का कहना है कि कोरोना की वजह से उनका महीने का ₹2000 खर्च अधिक बढ़ गया है कमाई नहीं हो रही है और खर्चे अधिक बढ़ गए हैं.

गृहिणियों का भी बजट गड़बड़ा गया है. गृहणी मंजू का कहना है कि मास्क सैनिटाइजर और ड्राई फ्रूट इत्यादि खरीदने के लिए उनका खर्चा महीने का 500 से ₹600 बढ़ गया है. कोरोना की वजह से सब कुछ चौपट हो चुका है और जिंदगी 15 साल पीछे चली गई है.

वहीं, गृहिणी माया देवी का कहना है कि पहले कम में गुजारा हो जाता है लेकिन अब कोरोना संकट के बाद महंगाई भी बढ़ गई है जिस वजह से महीने का ₹10,000 तक खर्च हो रहा है सेहत का ध्यान रखने के लिए भी हर चीज खरीदनी पड़ रही है इस वजह से खर्च बढ़ गया है.

दवाई विक्रेता राजेश शर्मा का कहना है कि कोरोना संकट से पहले मास्क सैनिटाइजर आदि की मांग ना के बराबर थी लेकिन अब एक मध्यम वर्गीय परिवार को पांच सौ से ₹700 खर्च करने पड़ रहे हैं सेहत का ध्यान रखने के लिए अब यह चीजें जरूरी हो गई है.

इसके साथ ही ड्राई फ्रूट के थोक विक्रेता सुशील सोनी का कहना है कि बाजार में ड्राई फ्रूट की मांग 50 से 60% बढ़ गई है हालांकि ड्राई फ्रूट के दामों में कोई बढोतरी दर्ज नहीं की गई है लेकिन अब लोग अपनी सेहत का ध्यान रखने के लिए मिठाइयों के बजाय ड्राई फ्रूट को अधिक तवज्जो दे रहे हैं.

लोगों को ड्राई फ्रूट रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की दवाइयां और मास्क और सेनीटाइजर खरीदने के लिए अतिरिक्त खर्च करना पड़ रहा है. दिहाड़ी दार लोगों को तो अधिक परेशानी पेश आ रही है ना तो दिहाड़ी लग रही है और ना ही महंगाई से राहत मिल रही है.

ये भी पढ़ें- जलवाहक संघ ने उठाई नियमित किए जाने की मांग, जिला उपनिदेशक को सौंपा ज्ञापन

हमीरपुर: महंगाई के इस दौर में कोरोना संकटकाल ने मध्यमवर्गीय परिवारों को आर्थिक तंगी में लाकर खड़ा कर दिया है. हालात ऐसे हैं कि जहां एक तरफ लोगों की कमाई का जरिया कम हुआ है तो वहीं खर्च भी बढ़ गए हैं. सेहत का ध्यान रखना भी जरूरी है और इसके लिए महीने का परिवारों का खर्चा सैकड़ों से हजारों रुपए बढ़ चुका है.

इसी को लेकर ईटीवी भारत ने हमीरपुर जिला के मध्यमवर्गीय परिवारों से विशेष बातचीत की. इस दौरान लोगों का मत था कि सेहत का ध्यान रखने के लिए उन्हें ज्यादा खर्च करना पड़ रहा है जबकि कमाई के साधन अभी तक पहले की तरह शुरू नहीं हो सके हैं.

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महेंद्र का कहना है कि महीने का खर्च 1 हजार रुपये तक बढ़ चुका है. खुद की सेहत तथा बच्चों की सेहत के लिए ड्राई फ्रूट और विटामिन सी की दवाइयां भी खरीदनी पड़ रही हैं. वहीं, संजीव कुमार का कहना है कि कोरोना की वजह से उनका महीने का ₹2000 खर्च अधिक बढ़ गया है कमाई नहीं हो रही है और खर्चे अधिक बढ़ गए हैं.

गृहिणियों का भी बजट गड़बड़ा गया है. गृहणी मंजू का कहना है कि मास्क सैनिटाइजर और ड्राई फ्रूट इत्यादि खरीदने के लिए उनका खर्चा महीने का 500 से ₹600 बढ़ गया है. कोरोना की वजह से सब कुछ चौपट हो चुका है और जिंदगी 15 साल पीछे चली गई है.

वहीं, गृहिणी माया देवी का कहना है कि पहले कम में गुजारा हो जाता है लेकिन अब कोरोना संकट के बाद महंगाई भी बढ़ गई है जिस वजह से महीने का ₹10,000 तक खर्च हो रहा है सेहत का ध्यान रखने के लिए भी हर चीज खरीदनी पड़ रही है इस वजह से खर्च बढ़ गया है.

दवाई विक्रेता राजेश शर्मा का कहना है कि कोरोना संकट से पहले मास्क सैनिटाइजर आदि की मांग ना के बराबर थी लेकिन अब एक मध्यम वर्गीय परिवार को पांच सौ से ₹700 खर्च करने पड़ रहे हैं सेहत का ध्यान रखने के लिए अब यह चीजें जरूरी हो गई है.

इसके साथ ही ड्राई फ्रूट के थोक विक्रेता सुशील सोनी का कहना है कि बाजार में ड्राई फ्रूट की मांग 50 से 60% बढ़ गई है हालांकि ड्राई फ्रूट के दामों में कोई बढोतरी दर्ज नहीं की गई है लेकिन अब लोग अपनी सेहत का ध्यान रखने के लिए मिठाइयों के बजाय ड्राई फ्रूट को अधिक तवज्जो दे रहे हैं.

लोगों को ड्राई फ्रूट रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की दवाइयां और मास्क और सेनीटाइजर खरीदने के लिए अतिरिक्त खर्च करना पड़ रहा है. दिहाड़ी दार लोगों को तो अधिक परेशानी पेश आ रही है ना तो दिहाड़ी लग रही है और ना ही महंगाई से राहत मिल रही है.

ये भी पढ़ें- जलवाहक संघ ने उठाई नियमित किए जाने की मांग, जिला उपनिदेशक को सौंपा ज्ञापन

Last Updated : Nov 6, 2020, 3:35 PM IST
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