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बसों ने थामें जिंदगी के पहिये... बस सेवा से जुड़े लोगों का गुजारा हुआ मुश्किल

कोरोना महामारी की वजह से शहरों में चलने वाली सिटी बस सेवा भी प्रभावित हुई है. लॉकडाउन ने इस व्यवसाय से जुड़े लोगों की कमर तोड़ दी है. अनलॉक की प्रक्रिया शुरू होने के बावजूद अभी भी हालात सामान्य नहीं हुए हैं. 15 से 20 हजार कमाने वाले चालक-परिचालकों की कमाई पांच से छह हजार रुपये महीने हो गई है.

City bus employees in trouble due to corona epidemic
हिमाचल सिटी बस सेवा.
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Published : Sep 29, 2020, 12:49 PM IST

हमीरपुर: हिमाचल में परिवहन की रीढ़ समझी जाने वाली बस सेवाओं पर भी कोरोना का बुरा असर पड़ा है. लॉकडाउन ने इस व्यवसाय से जुड़े लोगों की कमर तोड़ दी है. अनलॉक की प्रक्रिया शुरू होने के बावजूद अभी भी हालात सामान्य नहीं हुए हैं. हमीरपुर की अगर बात की जाए तो यहां पर ना तो ऑटो चलते हैं और ना ही इन दिनों बसों में अधिक लोग सफर करने के लिए घरों से निकल रहे हैं. इससे जिले में निजी और सरकारी बस चालकों की दिक्कतें बढ़ गई हैं.

लोकल बस रूट या यूं कहें कि शहरी क्षेत्र में चलने वाले इन निजी और सरकारी बसों के चालकों और परिचालकों की रोजी-रोटी पर भी संकट छा गया है. समय पर वेतन नहीं मिलने पर बस ऑपरेटर्स ने कमीशन के तौर पर काम कर रहे हैं.

वीडियो रिपोर्ट.

कमीशन के आधार पर काम कर रहे

निजी बस के परिचालक रंजीत कहते हैं कि अनलॉक की प्रक्रिया शुरू होने के बावजूद अभी तक हालात सुधरे नहीं हैं. बहुत कम सवारियां ही बसों में सफर कर रही हैं. पहले उन्हें वेतन मिलता था लेकिन अब जब सवारियां ही नहीं है तो कमीशन के आधार पर काम कर रहे हैं. एक दिन में ड्राइवर कंडक्टर पांच सौ तक की कमाई कर रहे हैं, जिसे दोनों आपस में बांट लेते हैं.

पांच से छह हजार तक सीमित हुई कमाई

जिला में हालात ऐसे हैं कि जो चालक और परिचालक महीने में 15 से 20 हजार कमाते थे. लेकिन लॉकडाउन में उनकी कमाई पांच से छह हजार रुपये महीने हो गई है. निजी क्षेत्र के लगभग एक हजार और सरकारी क्षेत्र के पांच सौ से अधिक चालक और परिचालक हैं. कोरोना महामाही की वजह से इनकी जिदंगी मुश्किल हो गई है.

समय पर वेतन देने की मांग

एचआरटीसी बस के चालक दिनेश का कहना है कि सैलरी लेट मिल रही है, जिस वजह से दिक्कत पेश आ रही है. निगम में नौकरी करने वाले लोग ज्यादातर लोग मध्यम वर्गीय परिवार से हैं. पूरा परिवार उन पर ही आश्रित होता है. ऐसे में यदि वेतन देरी से मिलेगी तो उनका गुजारा कैसे होगा. उन्होंने सरकार से समय पर वेतन देने की गुहार लगाई है.

60 फीसदी तक बस रूट अभी भी बंद

हमीरपुर शहर में बड़े स्तर पर कोई सिटी बस सर्विस नहीं है, लोकल बस रूट ही चलते हैं. अधिकतर बसें लोकल बस रूट की है जोकि 15 से 20 किलोमीटर के दायरे को कवर करती हैं. वहीं, अगर जिला की बात की जाए तो 300 से अधिक निजी बस रूट हैं लेकिन इनमें से 40 से 60 फीसदी रूट अभी भी बंद हैं. वहीं सरकारी क्षेत्र के 150 बस रूट में से अभी तक 49 रूट पर ही बसें चल रही हैं.

तेल का भी नहीं निकल पा रहा खर्च

बस अड्डा हमीरपुर के प्रभारी देवराज कहते हैं कि कोरोना महामारी की वजह से दिक्कत तो आ रही है. बसों में सवारियां नहीं होने से तेल का भी खर्च नहीं निकल पा रहा है. व्यवस्था सुधारने के लिए कर्मचारी और प्रबंधन लगातार कोशिश कर रहा है. उम्मीद है जल्द ही हालात सुधरेंगे.

हमीरपुर: हिमाचल में परिवहन की रीढ़ समझी जाने वाली बस सेवाओं पर भी कोरोना का बुरा असर पड़ा है. लॉकडाउन ने इस व्यवसाय से जुड़े लोगों की कमर तोड़ दी है. अनलॉक की प्रक्रिया शुरू होने के बावजूद अभी भी हालात सामान्य नहीं हुए हैं. हमीरपुर की अगर बात की जाए तो यहां पर ना तो ऑटो चलते हैं और ना ही इन दिनों बसों में अधिक लोग सफर करने के लिए घरों से निकल रहे हैं. इससे जिले में निजी और सरकारी बस चालकों की दिक्कतें बढ़ गई हैं.

लोकल बस रूट या यूं कहें कि शहरी क्षेत्र में चलने वाले इन निजी और सरकारी बसों के चालकों और परिचालकों की रोजी-रोटी पर भी संकट छा गया है. समय पर वेतन नहीं मिलने पर बस ऑपरेटर्स ने कमीशन के तौर पर काम कर रहे हैं.

वीडियो रिपोर्ट.

कमीशन के आधार पर काम कर रहे

निजी बस के परिचालक रंजीत कहते हैं कि अनलॉक की प्रक्रिया शुरू होने के बावजूद अभी तक हालात सुधरे नहीं हैं. बहुत कम सवारियां ही बसों में सफर कर रही हैं. पहले उन्हें वेतन मिलता था लेकिन अब जब सवारियां ही नहीं है तो कमीशन के आधार पर काम कर रहे हैं. एक दिन में ड्राइवर कंडक्टर पांच सौ तक की कमाई कर रहे हैं, जिसे दोनों आपस में बांट लेते हैं.

पांच से छह हजार तक सीमित हुई कमाई

जिला में हालात ऐसे हैं कि जो चालक और परिचालक महीने में 15 से 20 हजार कमाते थे. लेकिन लॉकडाउन में उनकी कमाई पांच से छह हजार रुपये महीने हो गई है. निजी क्षेत्र के लगभग एक हजार और सरकारी क्षेत्र के पांच सौ से अधिक चालक और परिचालक हैं. कोरोना महामाही की वजह से इनकी जिदंगी मुश्किल हो गई है.

समय पर वेतन देने की मांग

एचआरटीसी बस के चालक दिनेश का कहना है कि सैलरी लेट मिल रही है, जिस वजह से दिक्कत पेश आ रही है. निगम में नौकरी करने वाले लोग ज्यादातर लोग मध्यम वर्गीय परिवार से हैं. पूरा परिवार उन पर ही आश्रित होता है. ऐसे में यदि वेतन देरी से मिलेगी तो उनका गुजारा कैसे होगा. उन्होंने सरकार से समय पर वेतन देने की गुहार लगाई है.

60 फीसदी तक बस रूट अभी भी बंद

हमीरपुर शहर में बड़े स्तर पर कोई सिटी बस सर्विस नहीं है, लोकल बस रूट ही चलते हैं. अधिकतर बसें लोकल बस रूट की है जोकि 15 से 20 किलोमीटर के दायरे को कवर करती हैं. वहीं, अगर जिला की बात की जाए तो 300 से अधिक निजी बस रूट हैं लेकिन इनमें से 40 से 60 फीसदी रूट अभी भी बंद हैं. वहीं सरकारी क्षेत्र के 150 बस रूट में से अभी तक 49 रूट पर ही बसें चल रही हैं.

तेल का भी नहीं निकल पा रहा खर्च

बस अड्डा हमीरपुर के प्रभारी देवराज कहते हैं कि कोरोना महामारी की वजह से दिक्कत तो आ रही है. बसों में सवारियां नहीं होने से तेल का भी खर्च नहीं निकल पा रहा है. व्यवस्था सुधारने के लिए कर्मचारी और प्रबंधन लगातार कोशिश कर रहा है. उम्मीद है जल्द ही हालात सुधरेंगे.

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