हमीरपुरः भारत प्रतिभाशाली युवाओं का देश है. हिमाचल में भी प्रतिभाशाली युवाओं की कोई कमी नहीं है. भारत सरकार भी खेलो इंडिया और फिट इंडिया मूवमेंट के जरिए खेलों को बढ़ावा दे रही है, लेकिन हिमाचल प्रदेश में स्थिति कुछ अलग ही नजर आती है.
यहां की भौगोलिक परिस्थिति विषम होने की वजह से मैदानों की कमी है और जहां मैदान हैं, वहां सरकार-प्रशासन की बेरुखी के चलते मैदानों की हालत खस्ता है. देश को द्रोणाचार्य अवॉर्ड से अलंकृत अंतरराष्ट्रीय कोच देने वाले हमीरपुर जिला में हॉकी का खेल और खिलाड़ी बेरुखी के आगे पिछड़ते हुए नजर आ रहे हैं.
खिलाड़ियों को बेहतर सुविधा की आस
स्कूल में पढ़ने वाले हॉकी खिलाड़ी राजीव का कहना है कि हमीरपुर में बेहतर ग्राउंड होने से उन्हें सुविधा मिलेगी और इससे आसपास के जिलों के खिलाड़ियों को भी बेहतर सुविधाएं मिलेगी.
नादौन हॉकी हॉस्टल की स्थिति खराब
हमीरपुर शहर के खेल मैदान की तरह ही बेरुखी की मार झेल रहा है नादौन हॉकी हॉस्टल. यहां पिछले 10 सालों से एक कोच तक नहीं है और कमरों के हाल-बेहाल है. हद तो यह है कि हॉस्टल में न तो ग्राउंड है और न ही कोई सुविधा.
खंडर से कम नजर नहीं आता हॉस्टल
नादौन हॉकी हॉस्टल किसी खंडर से कम नजर नहीं आता. शिक्षा विभाग ने पिछले 10 सालों से यहां कोच की तैनाती नहीं की जा रही है. बाग स्कूल के डीपीई को ही कोच का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है. वहीं, उच्च शिक्षा उपनिदेशक का कहना है कि हालातों को जल्द ठीक करने की कवायद की जा रही है.
उपनिदेशक इस मसले को टालते नजर आ रहे हैं, लेकिन सरकार-प्रशासन की नकामयाबी और बेरुखी के आगे देश का नाम ऊंचा करने वाले बच्चों का भविष्य अंधकार की ओर जा रहा है.
हॉस्टल के नाम पर यहां सिर्फ खानापूर्ति
पिछले कई वर्षों से हॉस्टल में दाखिल खिलाड़ी नेशनल लेवल पर तो दूर राज्य स्तर पर भी नहीं खेल पाए हैं. हॉकी हॉस्टल के नाम पर यहां सिर्फ खानापूर्ति होती ही नजर आ रही है. शिक्षा विभाग बच्चों की डाइट मनी पर हर साल यहां लाखों रुपये खर्च कर रही है, जिसका फायदा मिलता नजर नहीं आ रहा है. वहीं, हॉस्टल के मसले पर जिला खेल अधिकारी विभाग में अधिकारियों से बातचीत करने की बात ही कर रहे हैं.
एस्ट्रोटर्फ पर खेली जाती है हॉकी
द्रोणाचार्य अवॉर्ड से अलंकृत अंतरराष्ट्रीय हॉकी कोच रोमेश पठानिया का कहना है कि अब दौर बदल चुका है. अब एस्ट्रोटर्फ पर हॉकी खेली जाती है, लेकिन जिला में इस तरह की सुविधा अभी तक खिलाड़ियों को नहीं मिल पाई है. उन्होंने प्रदेश सरकार से हमीरपुर जिला में एस्ट्रोटर्फ का निर्माण करने की मांग उठाई है, ताकि भविष्य में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों को पहचान मिल सके.
हिमाचल में दो एस्ट्रोटर्फ मैदान
आधुनिक दौर में एस्ट्रोटर्फ पर ही हॉकी खेली जाती है. हिमाचल में शिमला और ऊना में दो एस्ट्रोटर्फ मैदान हैं, लेकिन हमीरपुर जिला में यह सुविधा खिलाड़ियों को नहीं मिल पा रही है. एस्ट्रोटर्फ मैदान तो दूर, यहां बने मैदानों के रखरखाव भी सही तरह से नहीं हो रहा है.
जमीन पर काम करने की जरुरत
सरकार को चाहिए कि खेल सुविधाओं को दुरुस्त किया जाए, ताकि हिमाचल के युवाओं को भी आगे बढ़ने का मौका मिले और देवभूमि के युवा खेल जगत में भी देश-प्रदेश का नाम रोशन कर सके. इसके लिए बातचीत से आगे बढ़कर जमीन पर काम करने की जरुरत है.
ये भी पढ़ेंः विदेशी मेम का अमर प्रेम, पति के बगल में दफन होने के लिए किया 38 साल का इंतजार