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मंडियों तक कैसे पहुंचेगी सेब की फसल, यहां सड़क सुविधा तो दूर पैदल चलने तक का नहीं है रास्ता - भरमौर

भरमौर के तहत पंचायत खनी गांव भालो एक ऐसा गांव है जहां अभी तक घोड़े-खच्चर को ले जाने जैसा रास्ता भी नहीं बन पाया है. नतीजतन बागवानों को पीठ पर उठाकर अपनी सेब की फसल को सड़क तक पहंचाना पड़ता है.

no road facility in village bhalo Chamba
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Published : Jun 4, 2019, 9:57 AM IST

चंबाः जिले में सेब की बंपर फसल होने की प्रबल उम्मीदों के बावजूद कई गांवों के बागवानों के चेहरों पर खुशी नहीं दिखाई दे रही है. आजादी के सात दशकों के बाद भी कई गांवों को सड़क सुविधा नहीं मिल पाई है. इसी कड़ी में भरमौर के तहत पंचायत खनी गांव भालो एक ऐसा गांव है जहां अभी तक घोड़े-खच्चर तक को ले जाने जैसा रास्ता भी नहीं बन पाया है. नतीजतन बागवानों को पीठ पर उठाकर अपनी सेब की फसल को सड़क तक पहुंचाना पड़ता है.

no road facility in village bhalo Chamba
एडीएम भरमौर से मिलने जाते ग्रामीण

सड़क सुविधा न होने से खफा ग्रामीण सोमवार को एडीएम भरमौर के दर पर पहुंचे और प्रशासन के माध्यम से सरकार के समक्ष गांव को सड़क सुविधा से जोड़ने की मांग प्रमुखता के साथ उठाई. अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी के पास पहुंचे ग्रामीणों ने बताया कि इससे पूर्व भी कई बार ये मांग प्रमुखता से उठाई गई है लेकिन आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई है.

ग्रामीणों ने बताया कि प्रत्येक चुनाव में सड़क बनवाने की बात जनप्रतिनिधि करते हैं. लेकिन चुनाव खत्म होते ही वे अपना वादा भूल जाते हैं. किसी भी सरकार ने उनका दर्द नहीं जाना और वे केवल उपेक्षा के शिकार ही हुए हैं. आपात स्थिति में मरीज को पीठ पर उठा कर अस्पताल तक पहुंचाना एक चुनौती बन जाता है.

जानकारी देते ग्रामीण

कई बार तो मरीज अस्पताल पहुंचने के पहले बीच रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं. लोगों ने कहा कि क्षेत्र में सेब की अच्छी पैदावार तो होती है, लेकिन सड़क न होने के कारण उन्हें उसका लाभ नहीं मिल पाता. उन्हें सेब को कई किलोमीटर तक पीठ पर लादकर बाजारों तक पहुंचाना पड़ता हैं. उन्होंने मांग की है कि जल्द से जल्द गांव को सड़क सुविधा से जोड़ा जाए, ताकि लोगों को दिक्कतों का सामना न करना पड़े.

पढ़ेंः पोस्टकोड 626 के तहत लिखित परीक्षा का नतीजा घोषित, यहां देखें पूरा रिजल्ट

चंबाः जिले में सेब की बंपर फसल होने की प्रबल उम्मीदों के बावजूद कई गांवों के बागवानों के चेहरों पर खुशी नहीं दिखाई दे रही है. आजादी के सात दशकों के बाद भी कई गांवों को सड़क सुविधा नहीं मिल पाई है. इसी कड़ी में भरमौर के तहत पंचायत खनी गांव भालो एक ऐसा गांव है जहां अभी तक घोड़े-खच्चर तक को ले जाने जैसा रास्ता भी नहीं बन पाया है. नतीजतन बागवानों को पीठ पर उठाकर अपनी सेब की फसल को सड़क तक पहुंचाना पड़ता है.

no road facility in village bhalo Chamba
एडीएम भरमौर से मिलने जाते ग्रामीण

सड़क सुविधा न होने से खफा ग्रामीण सोमवार को एडीएम भरमौर के दर पर पहुंचे और प्रशासन के माध्यम से सरकार के समक्ष गांव को सड़क सुविधा से जोड़ने की मांग प्रमुखता के साथ उठाई. अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी के पास पहुंचे ग्रामीणों ने बताया कि इससे पूर्व भी कई बार ये मांग प्रमुखता से उठाई गई है लेकिन आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई है.

ग्रामीणों ने बताया कि प्रत्येक चुनाव में सड़क बनवाने की बात जनप्रतिनिधि करते हैं. लेकिन चुनाव खत्म होते ही वे अपना वादा भूल जाते हैं. किसी भी सरकार ने उनका दर्द नहीं जाना और वे केवल उपेक्षा के शिकार ही हुए हैं. आपात स्थिति में मरीज को पीठ पर उठा कर अस्पताल तक पहुंचाना एक चुनौती बन जाता है.

जानकारी देते ग्रामीण

कई बार तो मरीज अस्पताल पहुंचने के पहले बीच रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं. लोगों ने कहा कि क्षेत्र में सेब की अच्छी पैदावार तो होती है, लेकिन सड़क न होने के कारण उन्हें उसका लाभ नहीं मिल पाता. उन्हें सेब को कई किलोमीटर तक पीठ पर लादकर बाजारों तक पहुंचाना पड़ता हैं. उन्होंने मांग की है कि जल्द से जल्द गांव को सड़क सुविधा से जोड़ा जाए, ताकि लोगों को दिक्कतों का सामना न करना पड़े.

पढ़ेंः पोस्टकोड 626 के तहत लिखित परीक्षा का नतीजा घोषित, यहां देखें पूरा रिजल्ट


---------- Forwarded message ---------
From: ajay sharma <ajay76597@gmail.com>
Date: Mon, Jun 3, 2019, 7:54 PM
Subject: मंडियों तक कैसे पहंुचेगी सेब की फसल, सडक सुविधा से नहीं जुड पाया है यह गांव
To: rajneeshkumar <rajneeshkumar@etvbharat.com>


अजय शर्मा, चंबा
सेब की बंपर फसल होने की प्रबल उम्मीदों के बावजूद कई गांवों के बागवानों के चेहरों पर खुशी नहीं दिखाई दे रही है। भरपूर फसल होने के बाद भी
बागवानों की मेहनत बगीचों में ही सडने के लिए छोड दी जाएगी। बजह साफ है कि आजादी के सात दशकों के बाद भी इन गांवों को सडक सुविधा नहीं मिल पाई है। वहीं इनमें एक गांव ऐसा भी है जहां तक अभी तक घोडा-खच्चर रोड भी नहीं
बन पाया है। नतीजतन चाह कर भी बागवान अपनी सेब की फसल को सडक तक नहीं पहंुचा पाते है। लिहाजा सडक सुविधा न होने से खफा ग्रामीण सोमवार को एडीएम भरमौर के दरबार में पहंुचे है और प्रशासन के माध्यम से सरकार के समक्ष गांव को सडक सुविधा से जोडने की मांग प्रमुखता के साथ उठाई है।
अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी के दरबार में पहंुचे ग्रामीणों ने बताया कि इससे पूर्व भी कई बार मांग प्रमुखता से उठाई गई है। चुनाव प्रचार के दौरान यहां पहुंचे राजनेताओं ने हर बाद उनसे चुनाव के बाद सड़क सुविधा से जोड़ने का वादा किया। लेकिन वह मात्र एक वादे तक ही सिमटा रहा। किसी भी सरकार ने ग्रामीणों का दर्द नहीं जाना और वे केवल उपेक्षा के शिकार ही हुए हैं। हालात यह हैं कि गांव तक एक घोड़ा सड़क तक भी नहीं है। आपातकालीन स्थिति में मरीज को पीठ पर उठा कर अस्पताल तक पहुंचाना एक चुनौती बन जाता है। कई बार तो मरीज बीच रास्ते में ही समय पर उपचार न मिलने के कारण दम तोड़ देते हैं। उन्होंने कहा कि क्षेत्र में सेब की अच्छी पैदावार तो होती है लेकिन सड़क न होने के कारण उन्हें उसका लाभ नहीं मिल पाता। उन्हें सेब को कई किलोमीटर तक पीठ पर लादकर बाजारों तक पहुंचाना पड़ता है। उन्होंने मांग की है कि जल्द से जल्द गांव को सड़क सुविधा से जोड़ा जाए
ताकि लोगों को दिक्कतों आ सामना न करना पड़े।
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