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शिमला नगर निगम की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में, रोपे-वे के लिए चिन्हित जमीन पर पार्क का निर्माण - पार्क का निर्माण

शिमला नगर निगम की कार्यप्रणाली पर सवाल, रोप-वे की जगह पार्क का निर्माण

नगर निगम
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Published : Feb 3, 2019, 2:54 PM IST

शिमला: तीन साल पहले 23 जून 2015 को पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह ने पीसी चैंबर से टूटीकंडी के लिए रोप-वे बनाने के लिए शिलान्यास किया था, लेकिन अब उसी जगह नगर निगम ने पार्क बनाने का काम शुरु कर दिया है. रोप-वे प्रोजेक्ट को लेकर सभी औपचारिकताएं लगभग पूरी हो चुकी है और कभी भी इस जगह पर निर्माण कार्य शुरू हो सकता है.


पूर्व की कांग्रेस सरकार ने शिलान्यास के दौरान इस प्रोजेक्ट को साढे तीन साल में पूरा करने का दावा किया था, लेकिन सारी औपचारिकताएं पूरी न होने के चलते निर्माण कार्य रूका था. अब जब मामला सुलझा था और फॉरेस्ट क्लीयरेंस भी रोप-वे को मिल चुकी है लेकिन नगर निगम ने यहां लाखों रूपये खर्च कर पार्क बनाने का काम शुरू कर दिया है।


ऐसे में नगर निगम की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े होने लगे हैं की कंगाली में चल रहा नगर निगम कुछ समय के लिए पार्क बना कर लाखों की बर्बादी क्यों कर रहा है, लेकिन निगम तो यह कार्य मात्र हाउस में मंजूर की गई योजनाओं को निपटाने की मंशा में ही इस तरह पैसों की बर्बादी कर रहा है.

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निगम प्रशासन का तर्क है कि इस पार्क को बनाने में कोई ज्यादा खर्च नहीं हो रहा है। जो सड़क को चौड़ा कर पैदल मार्ग बनाया गया है वह अमृत योजना के तहत जोधा निवास तक बनाया जाना तय था, इसके अलावा जो रेलिंग पार्क में लगाई गई है वह पहले से ही वहां पड़ी थी.


इस मामले पर नगर निगम आयुक्त पंकज रॉय का कहना है कि इस स्थान का चयन रोप-वे टर्मिनल के लिए ही हुआ है और टर्मिनल यहां आएगा भी लेकिन इसमें समय लगेगा जिसे देखते हुए निगम हाउस में इस स्थान पर दादा-दादी पार्क बनाने को मंजूरी दी गई थी ताकि यहां के स्थानीय लोगों और वरिष्ठ नागरिकों को बैठने के लिए जगह मिल सके जिसके आधार पर इसका निर्माण किया जा रहा है.


उन्होंने कहा कि अधिक खर्च पार्क को बनाने के लिए निगम ने नहीं किया है और जो खर्च हुआ है रोप-वे बनाने वाली कंपनी से वसूल लेगा. अब जब इस स्थान पर रोप-वे बनना ही है तो निगम के निर्माण कार्य पर उनका कोई भी तर्क जनता को सही नहीं लग रहा है ओर निगम की कार्यप्रणाली एक बार फिर से सवालों के घेरे में है।

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शिमला: तीन साल पहले 23 जून 2015 को पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह ने पीसी चैंबर से टूटीकंडी के लिए रोप-वे बनाने के लिए शिलान्यास किया था, लेकिन अब उसी जगह नगर निगम ने पार्क बनाने का काम शुरु कर दिया है. रोप-वे प्रोजेक्ट को लेकर सभी औपचारिकताएं लगभग पूरी हो चुकी है और कभी भी इस जगह पर निर्माण कार्य शुरू हो सकता है.


पूर्व की कांग्रेस सरकार ने शिलान्यास के दौरान इस प्रोजेक्ट को साढे तीन साल में पूरा करने का दावा किया था, लेकिन सारी औपचारिकताएं पूरी न होने के चलते निर्माण कार्य रूका था. अब जब मामला सुलझा था और फॉरेस्ट क्लीयरेंस भी रोप-वे को मिल चुकी है लेकिन नगर निगम ने यहां लाखों रूपये खर्च कर पार्क बनाने का काम शुरू कर दिया है।


ऐसे में नगर निगम की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े होने लगे हैं की कंगाली में चल रहा नगर निगम कुछ समय के लिए पार्क बना कर लाखों की बर्बादी क्यों कर रहा है, लेकिन निगम तो यह कार्य मात्र हाउस में मंजूर की गई योजनाओं को निपटाने की मंशा में ही इस तरह पैसों की बर्बादी कर रहा है.

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निगम प्रशासन का तर्क है कि इस पार्क को बनाने में कोई ज्यादा खर्च नहीं हो रहा है। जो सड़क को चौड़ा कर पैदल मार्ग बनाया गया है वह अमृत योजना के तहत जोधा निवास तक बनाया जाना तय था, इसके अलावा जो रेलिंग पार्क में लगाई गई है वह पहले से ही वहां पड़ी थी.


इस मामले पर नगर निगम आयुक्त पंकज रॉय का कहना है कि इस स्थान का चयन रोप-वे टर्मिनल के लिए ही हुआ है और टर्मिनल यहां आएगा भी लेकिन इसमें समय लगेगा जिसे देखते हुए निगम हाउस में इस स्थान पर दादा-दादी पार्क बनाने को मंजूरी दी गई थी ताकि यहां के स्थानीय लोगों और वरिष्ठ नागरिकों को बैठने के लिए जगह मिल सके जिसके आधार पर इसका निर्माण किया जा रहा है.


उन्होंने कहा कि अधिक खर्च पार्क को बनाने के लिए निगम ने नहीं किया है और जो खर्च हुआ है रोप-वे बनाने वाली कंपनी से वसूल लेगा. अब जब इस स्थान पर रोप-वे बनना ही है तो निगम के निर्माण कार्य पर उनका कोई भी तर्क जनता को सही नहीं लग रहा है ओर निगम की कार्यप्रणाली एक बार फिर से सवालों के घेरे में है।

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Intro:शिमला शहर में तीन साल पहले पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने पीसी चैंबर से टूटीकंडी के लिए रोपवे बनाने के लिए शिलान्यास किया था वहीं अब उस जगह पर नगर निगम ने पार्क बनाने का काम शुरू कर दिया है जबकी वह स्थान रोपवे के चिन्हित किया गया है और रोपवे प्रोजेक्ट को लेकर लगभग सभी औपचारिकताएं भी पूरी हो गई है और कभी भी इस जगह पर रोपवे का निर्माण कार्य शुरू हो सकता है। ऐसे में नगर निगम की ओर से इस स्थान पर लाखों रुपए खर्च कर तैयार किए जा रहे दादा दादी पार्क पर सवाल उठ रहे है। सवाल यह है कि जब इस जगह को पहले ही रोपवे के लिए चयनित किया जा चुका है तो किस आधार पर नगर निगम यहां पर पार्क का निर्माण कर रहा है।


Body:बता दे कि पूर्व की कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में टूटीकंडी रोपवे पप्रोजेक्ट का शिलान्यास 23 जून 2015 को तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने किया था। शिलान्यास के दौरान इस प्रोजेक्ट को साढ़े तीन वर्षों में पूरा करने का दावा किया गया था ,लेकिन औपचारिकताएं पूरी ना होने के चलते तय समय में इस प्रोजेक्ट को बनाने का काम शुरू नहीं हो पाया है। अब जब मामला सुलझा था और फॉरेस्ट क्लीयरेंस भी रोपवे को मिल चुकी है तो जिस स्थान पर यह बनना है वहां नगर निगम ने लाखों बर्बाद कर एक ऐसे पार्क का निर्माण करना शुरू कर दिया है जिसे बाद में यहां से हटाना पड़ेगा। ऐसे में नगर निगम की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े होने लगे है की कंगाली में चल रहा नगर निगम कुछ समय के लिए पार्क बना कर लाखों की बर्बादी क्यों कर रहा है, लेकिन निगम तो यह कार्य मात्र हाउस में मंजूर की गई योजनाओं को निपटाने की मंशा में ही इस तरह पैसों की बर्बादी कर रहा है।
निगम प्रशासन का तर्क है कि इस पार्क को बनाने में कोई ज्यादा खर्च नहीं हो रहा है। जो सड़क को चौड़ा कर पैदल मार्ग बनाया गया है वह अमृत योजना के तहत जोधा निवास तक बनाया जाना तय था। इसके अलावा जो रैलिंग पार्क में लगाई गई है वह पहले से ही वहां पड़ी थी। भले ही निगम प्रशासन पार्क पर अधिक पैसा खर्च ना होने की बात कह रहा हो लेकिन वास्तविकता कुछ ओर ही नज़र आ रही है। इस स्थान पर बीते एक साल से टनों के हिसाब वहां टूटे पेड़ और लोहे का बेकार समान पड़ा था जिसे वहां से हटाने के साथ ही पार्क बनाने के लिए जमीन को समतल करवा कर वहां रिटेनिंग वॉल लगाकर, बैंच ओर टाइलों को लगाने के लिए पैसा नगर निगम ने बर्बाद किया है, जिसकी वसूली रोपवे लाने वाली कंपनी से निगम करने की तैयारी में है।


Conclusion:मामले को लेकर नगर निगम आयुक्त पंकज रॉय का कहना है कि इस स्थान का चयन रोपवे टर्मिनल के लिए ही हुआ है और टर्मिनल यहां आएगा भी लेकिन इसमें समय लगेगा जिसे देखते हुए निगम हाउस में इस स्थान पर दादा दादी पार्क बनाने को मंजूरी दी गई थी ताकि यहां के स्थानीय लोगों और वरिष्ठ नागरिकों को बैठने के लिए जगह मिल सके जिसके आधार पर इसका निर्माण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अधिक खर्च पार्क को बनाने के लिए निगम ने नहीं किया है और जो खर्च हुआ है उसका हिसाब रखा जा रहा है। पार्क के लिए राशि भी हॉउस में मंजूर की गई थी। हालांकि उन्होंने इस बात को भी माना कि रोपवे टर्मिनल आने के बाद यहां से पार्क को कहीं और शिफ्ट करना ही होगा लेकिन जो भी खर्च पार्क को बनाने और इसे शिफ्ट करने में होगा उसे निगम रोपवे बनाने वाली कंपनी से वसूल लेगा।
बता दे कि रोपवे का निर्माण टूटीकंडी फैयरहिल होटल के पास से जोधा निवास जोड़ा जाएगा जिसका अंतिम टर्मिनल जहां निगम पार्क बना रहा है वहां होगा। रोपवे बनने से पर्यटक 10 मिनट के अंदर ही आईएसबीटी बस स्टैंड से जोधा निवास तक पहुंच सकेंगे। अब जब इस स्थान पर रोपवे बनना ही है तो निगम के निर्माण कार्य पर उनका कोई भी तर्क जनता को सही नहीं लग रहा है ओर निगम की कार्यप्रणाली एक बार फिर से सवालों में है।
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