शिमला: प्राचीन विरासत को सहजने का जिम्मा जिस भाषा कला एवं संस्कृति अकादमी को सरकार की ओर से दिया गया है उस अकादमी के पास विरासत को सहजने के लिए जगह ही नहीं है.
अकादमी का एक पुस्तकालय है जहां पर पुस्तकों को सहज कर रखा जाता है. यह पुस्तकालय निजी भवन के दो कमरों में चल रहा है जहां न किताबों को सही रखने की जगह है और ना ही वहां छात्रों को बैठकर पढ़ने की सुविधा है. प्रदेश के बाहरी राज्यों से भी शोधार्थी यहां आकर रिसर्च करते हैं. प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियों के लिए भी छात्र इस पुस्तकालय में आते हैं.
इस पुस्तकालय में वैसे तो ऐतिहासिक विरासतों का अपार भंडार है लेकिन इन्हें किन हालातों में रखा जा रहा है इसकी सुध किसी को नहीं हैं. पुस्तकालय में जगह कम है और किताबें अधिक ऐसे में इन्हें सलीके से रख पाना भी मुश्किल हैं.
इस पुस्तकालय में कला, संस्कृति, पुरातत्व ,साहित्य इतिहास से जुड़ा प्रदेश का काफी दुर्लभ संग्रह हैं. बता दें कि पुस्तकालय में कुछ ऐसी किताबें हैं जो बहुत ही कम मिलती हैं. इतनी कीमती और दुर्लभ पुस्तकों को एक ऐसी जगह पर कर रखा गया है जहां पर वह सुरक्षित नहीं है.
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हालांकि अकादमी के इस पुस्तकालय को यहां से शिफ्ट करने आदेश भी पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने की थी लेकिन इस पुस्तकालय को यहां से शिफ्ट नहीं किया गया और अभी भी इसी खस्ताहाल भवन में इसे चलाया जा रहा है. अकादमी के सचिव डॉ .कर्म सिंह ने कहा कि यह बात सच है कि अकादमी के पुस्तकालय में जगह कम है यहां आने वाले छात्रों को बैठने की व्यवस्था सही नहीं है.