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प्राचीन पुस्तकों के लिए नहीं है जगह, खस्ताहाल में लाइब्रेरी

अकादमी का एक पुस्तकालय है जहां पर पुस्तकों को सहज कर रखा जाता है. पुस्तकालय निजी भवन के दो कमरों में चल रहा है जहां न किताबों को सही रखने की जगह है और ना ही छात्रों के लिए बैठने की व्यवस्था है.

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Published : Jul 8, 2019, 3:08 PM IST

शिमला: प्राचीन विरासत को सहजने का जिम्मा जिस भाषा कला एवं संस्कृति अकादमी को सरकार की ओर से दिया गया है उस अकादमी के पास विरासत को सहजने के लिए जगह ही नहीं है.

अकादमी का एक पुस्तकालय है जहां पर पुस्तकों को सहज कर रखा जाता है. यह पुस्तकालय निजी भवन के दो कमरों में चल रहा है जहां न किताबों को सही रखने की जगह है और ना ही वहां छात्रों को बैठकर पढ़ने की सुविधा है. प्रदेश के बाहरी राज्यों से भी शोधार्थी यहां आकर रिसर्च करते हैं. प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियों के लिए भी छात्र इस पुस्तकालय में आते हैं.

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इस पुस्तकालय में वैसे तो ऐतिहासिक विरासतों का अपार भंडार है लेकिन इन्हें किन हालातों में रखा जा रहा है इसकी सुध किसी को नहीं हैं. पुस्तकालय में जगह कम है और किताबें अधिक ऐसे में इन्हें सलीके से रख पाना भी मुश्किल हैं.

इस पुस्तकालय में कला, संस्कृति, पुरातत्व ,साहित्य इतिहास से जुड़ा प्रदेश का काफी दुर्लभ संग्रह हैं. बता दें कि पुस्तकालय में कुछ ऐसी किताबें हैं जो बहुत ही कम मिलती हैं. इतनी कीमती और दुर्लभ पुस्तकों को एक ऐसी जगह पर कर रखा गया है जहां पर वह सुरक्षित नहीं है.

ये भी पढ़ें: पीएम मोदी के सहारे सीएम जयराम का मिशन इन्वेस्ट : 85 हजार करोड़ के लिए जी-जान से जुटी सरकार

हालांकि अकादमी के इस पुस्तकालय को यहां से शिफ्ट करने आदेश भी पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने की थी लेकिन इस पुस्तकालय को यहां से शिफ्ट नहीं किया गया और अभी भी इसी खस्ताहाल भवन में इसे चलाया जा रहा है. अकादमी के सचिव डॉ .कर्म सिंह ने कहा कि यह बात सच है कि अकादमी के पुस्तकालय में जगह कम है यहां आने वाले छात्रों को बैठने की व्यवस्था सही नहीं है.

शिमला: प्राचीन विरासत को सहजने का जिम्मा जिस भाषा कला एवं संस्कृति अकादमी को सरकार की ओर से दिया गया है उस अकादमी के पास विरासत को सहजने के लिए जगह ही नहीं है.

अकादमी का एक पुस्तकालय है जहां पर पुस्तकों को सहज कर रखा जाता है. यह पुस्तकालय निजी भवन के दो कमरों में चल रहा है जहां न किताबों को सही रखने की जगह है और ना ही वहां छात्रों को बैठकर पढ़ने की सुविधा है. प्रदेश के बाहरी राज्यों से भी शोधार्थी यहां आकर रिसर्च करते हैं. प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियों के लिए भी छात्र इस पुस्तकालय में आते हैं.

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इस पुस्तकालय में वैसे तो ऐतिहासिक विरासतों का अपार भंडार है लेकिन इन्हें किन हालातों में रखा जा रहा है इसकी सुध किसी को नहीं हैं. पुस्तकालय में जगह कम है और किताबें अधिक ऐसे में इन्हें सलीके से रख पाना भी मुश्किल हैं.

इस पुस्तकालय में कला, संस्कृति, पुरातत्व ,साहित्य इतिहास से जुड़ा प्रदेश का काफी दुर्लभ संग्रह हैं. बता दें कि पुस्तकालय में कुछ ऐसी किताबें हैं जो बहुत ही कम मिलती हैं. इतनी कीमती और दुर्लभ पुस्तकों को एक ऐसी जगह पर कर रखा गया है जहां पर वह सुरक्षित नहीं है.

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हालांकि अकादमी के इस पुस्तकालय को यहां से शिफ्ट करने आदेश भी पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने की थी लेकिन इस पुस्तकालय को यहां से शिफ्ट नहीं किया गया और अभी भी इसी खस्ताहाल भवन में इसे चलाया जा रहा है. अकादमी के सचिव डॉ .कर्म सिंह ने कहा कि यह बात सच है कि अकादमी के पुस्तकालय में जगह कम है यहां आने वाले छात्रों को बैठने की व्यवस्था सही नहीं है.

Intro:प्रदेश की प्राचीन विरासत को सहेजने का जिम्मा जिस भाषा कला एवं संस्कृति अकादमी को सरकार की ओर से दिया गया है उस अकादमी के पास विरासत को सहेजने के लिए जगह ही नहीं है। आलम यह है कि अकादमी का एक पुस्तकालय है जहां पर विरासतोंबको सहेज कर रखा जाता है लेकिन यह पुस्तकालय खस्ताहाल है। पुस्तकालय निजी भवन के दो कमरों में चल रहा है। यहां किताबों को सहेज कर रखने की जगह नहीं है और ना ही वहां पर बैठकर पढ़ाई करने की सुविधा छात्रों को मिल पा रही है। अकादमी के इस पुस्तकालय में वैसे तो ऐतिहासिक विरासतों का अपार भंडार है लेकिन इन्हें किन हालातों रखा जा रहा है इसकी सुध कोई नहीं ले रहा है। अकादमी के पुस्तकालय में जगह कम है और किताबें अधिक ऐसे में इन्हें सलीके से रख पाना भी मुश्किल होता जा रहा है।


Body:अकादमी के इस पुस्तकालय में कला, संस्कृति, पुरातत्व ,साहित्य इतिहास से जुड़ा प्रदेश का काफी दुर्लभ संग्रह है । यहां पर प्रदेश के साथ ही प्रदेश के बाहरी राज्यों से भी शोधार्थी आकर अनुसंधान करते हैं। इसके साथ ही प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियों के लिए भी छात्र इस पुस्तकालय में आते हैं । पुस्तकालय में कुछ ऐसी किताबें हैं जो बेहद ही दुर्लभ है और अन्य पुस्तकालयों में उनका मिल पाना संभव नहीं है। ऐसे में इतनी कीमती और दुर्लभ पुस्तकों को एक ऐसी जगह पर सहेज कर रखा गया है जहां पर यह सुरक्षित नहीं है और अपनी पहचान खोती जा रही हैं। अकादमी के पास अपना भवन ना होने के चलते यह सब दिक्कत है अकादमी में अपने पुस्तकालय में प्राचीन इतिहास से जुड़ी गई दुर्लभ पुस्तकों के साथ ही क़ई पांडुलिपियां भी पुस्तकालय में रखी गई है। इसके अलावा पाशा, सांचा जैसी प्राचीन ओर दुर्लभ चीजें इस पुस्तकालय की पहचान है लेकिन जहग की कमी के चलते इन्हें सही तरीके से यहां रख पाना संभव नहीं हो रहा है। यह भी एक वजह है कि प्राचीन पाण्डुलिपियों जो कि हाथों से लिखी गई है उन्हें सुरक्षित रख पाना इस पुस्तकालय के कर्मचारियों के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहा है। जिस भवन में यह पुस्तकालय चल रहा है उसकी हालत भी खस्ताहाल है। बिल्डिंग हैरीटेज है ओर ऐसे में इसकी मुरम्मत भी नहीं हो पा रही है।


Conclusion:हालांकि अकादमी के इस पुस्तकालय को यहां से शिफ्ट करने आदेश भी पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने की थी लेकिन इस पुस्तकालय को यहां से शिफ़्ट नहीं किया गया और अभी भी इसी ख़स्ताहाल भवन में इसे चलाया जा रहा है। अकादमी के सचिव डॉ .कर्म सिंह ने कहा कि यह बात सच है कि अकादमी के पुस्तकालय में जगह कम है यहां आने वाले छात्रों को बैठने की व्यवस्था सही नहीं है। साथ ही जो शोधार्थी प्रदेश के बाहर से भी इस पुस्तकालय में शोध कार्य के लिए आते हैं उनके लिए भी व्यवस्था सही तरीके की पुस्तकालय के पास नहीं है। उन्होंने माना कि पुस्तकालय को इस स्थान से शिफ्ट करने के प्रयास सरकार के स्तर पर किए जा रहे हैं जैसे ही सही विकल्प मिलेगा वैसे ही पुस्तकालय को यहां से किसी सही स्थान पर शिफ्ट किया जाएगा। बता के इस पुस्तकालय को विधानसभा के समीप बने नए राज्यस्तरी पुस्तकालय में भी शिफ़्ट किया जा सकता है लेकिन अभी उसे भी छात्रों के लिए नहीं खोला गया है। ऐसे में जब तक कोई अन्य विकल्प इस पुस्तकालय को शिफ्ट करने को लेकर नहीं मिलता है तब तक अकादमी के पुस्तकालय में रखी विरासतों को इसी तरह के हालातों के बीच रहना होगा।
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