बिलासपुर: जिला में स्वास्थ्य, पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के अलग-अलग दिशा निर्देशों के चलते बाहरी राज्यों से हिमाचल वापस आए लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. बाहरी राज्यों से लौटे लोगों का आरोप है कि एक ओर जहां स्वास्थ्य विभाग की एक टीम उन्हें स्वस्थ होने का प्रमाण पत्र दे रही है, तो दूसरी ओर अगले नाके पर रोककर उन्हें संदिग्ध करार दिया जा रहा है.
दरअसल, बिलासपुर के स्वारघाट में प्रदेश के बाहर से आने वाले व्यक्तियों को मेडिकल टीम द्वारा स्वस्थ होने का प्रमाण पत्र दिया गया. बावजूद इसके करीब दो घंटे बाद बनोहा नाके पर दूसरी टीम ने तीन लोगों और एक आठ साल की बच्ची को संदिग्ध मानकर क्षेत्रीय अस्पताल बिलासपुर भेज दिया.
लोगों का कहना है कि पुलिस कर्मियों को हेल्थ चेकअप का प्रमाण-पत्र दिखाने के बावजूद उन्हें संदिग्ध करार दिया गया. एक जगह उन्हें स्वस्थ बताना और दो घंटे बाद अस्वस्थ होने का दावा करना तर्कसंगत नहीं है.
हालांकि इन लोगों को नॉर्मल होने के चलते नजदीकी अस्पताल घुमारवीं या किसी अन्य क्वारंटाइन केंद्र में भर्ती किया जाना था और स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टर वहीं से ही सैंपल ले सकते थे.
वहीं, पुलिस अधिकारियों का कहना है हजारों लोगों की आवाजाही के चलते उन्हें मानसिक परेशानियों से गुजरना पड़ रहा है. करीब सात दिनों से उन्हें कठिन परिस्थितियों में काम करना पड़ रहा है. लोगों के साथ-साथ पुलिस कर्मियों को भी अव्यवस्था का सामना करना पड़ रहा है.