बिलासपुर: अल्ट्राटेक सीमेंट कंपनी बाग्गा में ढुलाई कार्य के लिए अधिकृत खारसी परिवहन सहकारी सभा ने बरमाणा में एसीसी प्लांट बंद होने के बाद हक के लिए ट्रक ऑपरेटरों द्वारा किए जा रहे संघर्ष को अपना समर्थन दिया है. साथ ही अदानी ग्रुप की ओर से रेट कम करने के लिए डाले जा रहे दबाव को दादागिरी करार दिया है. सभा का कहना है कि ऑपरेटरों पर करोड़ों की देनदारी है और हर दिन करोड़ों का नुकसान हो रहा है. ऐसे में अदानी ग्रुप घाटे का रोना व हठधर्मिता छोड़ बगैर कोई शर्त प्लांट को सुचारू रूप से आरंभ करे. अन्यथा ऑपरेटर बड़ा जनांदोलन खड़ा करने के लिए विवश होंगे. (Daulat Singh Thakur Press Conference in Bilaspur) (Kharsi Transport Cooperative Society)
सभा ने मुख्यमंत्री सुखविंद्र सुक्खू से मामले में हस्तक्षेप करते हुए इस प्लांट को शुरू करवाने का आग्रह किया है. खारसी सभा के महासचिव दौलत सिंह ठाकुर ने बुधवार को यहां परिधि गृह में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि अदानी ग्रुप ने ढुलाई रेट अधिक होने व लगातार घाटा होने का हवाला देते हुए प्लांट पर तालाबंदी कर दी है. जिससे प्लांट में कार्यरत एक हजार से अधिक कर्मचारी और बीडीटीएस व पूर्व सैनिक निगम से संबद्ध हजारों ट्रक ऑपरेटरों की रोजी पर संकट खड़ा हो गया है. ट्रक ऑपरेटरों के समक्ष बैंक लोन की किश्तों की अदायगी की भी समस्या बनी हुई है. (ultratech cement company baga bilaspur) (ACC plant closed in Barmana)
इसके साथ ही बरमाणा से लेकर जिले की सीमा गरामोड़ा तक होटल-ढाबे, टायर पंक्चर, पेट्रोल पंप और स्पेयर पार्ट्स सहित अन्य कारोबार से जुड़े लोगों की रोजी का संकट भी बना है. इस विकट परिस्थिति में ऑपरेटरों के पास आंदोलन करने के सिवा और कोई चारा नहीं है. ऑपरेटर हर दिन हक के लिए आवाज उठा रहे हैं मगर अदानी ग्रुप रेट कम करने पर ही अडिग है. उन्होंने कहा कि अदानी ग्रुप की तरफ से पिछले दिन एक बयान आया है जिसमें ओपन टेंडर की बात कही गई है. यदि ओपन टेंडर होंगे तो बाहर की गाड़ियां आएंगी जो कि यहां के ऑपरेटरों को कदापि बर्दाश्त नहीं. क्योंकि यहां के लोगों ने प्लांट स्थापित करने के लिए अपनी जमीनें दी हैं और धूल बिलासपुर के लोग खा रहे हैं.
लिहाजा प्लांट से ढुलाई कार्य पर हक भी यहीं के लोगों का बनता है, इसलिए बाहरी गाड़ियों को यहां घुसने नहीं दिया जाएगा. ऐसे हालात में 1984 वाली स्थिति दोबारा पैदा हो सकती है. इसलिए प्लांट प्रबंधन ऑपरेटरों के समक्ष पैदा हुई स्थिति पर गौर करते हुए समस्या के समाधान की तरफ कदम बढ़ाए न कि उल जलूल बयान जारी कर ऑपरेटरों को बड़े संघर्ष की राह पर जाने के लिए विवश न करें. दौलत सिंह ठाकुर ने कहा कि कंपनी प्रबंधन 2005 में निर्धारित छह रुपए रेट तय करने पर अड़ा हुआ है, जबकि उस समय डीजल 35 रूपए प्रति लीटर था जो कि वर्तमान में 82 रूपए प्रति लीटर पहुुंच चुका है.
उन्होंने कहा कि 7 लाख रूपए का ट्रक जिसकी कीमत आज 30 लाख रूपए तक पहुंच चुकी है और मल्टीएक्सल ट्रक की कीमत 40 से 50 लाख रूपए तक है. इसी तरह 55 हजार रूपए तक टायर का जोड़ा पड़ता है. यही नहीं, उस समय सीमेंट के एक बैग का रेट 135 रूपए तय था जो कि आज 525 रूपए तक पहुंच गया है. ऐसे में 2005 के रेट को अब कैसे निर्धारित किया जा सकता है? महंगाई कहां पहुंच गई और कंपनी मनमानी कर रही है.
दौलत सिंह ठाकुर ने कहा कि अब तो किरतपुर नेरचौक फोरलेन भी लगभग बनकर तैयार है और जनवरी माह में छोटी गाड़ियों, जबकि अप्रैल माह से यातायात के लिए खुल जाएगा. फिर दूरी कम होने के चलते स्वत: ही ढुलाई रेट कम करना पड़ेगा, क्योंकि 80 फीसदी ट्रक सीमेंट लेकर इसी मार्ग से जाएंगे. ऐसे में कंपनी प्रबंधन मनमानी छोड़कर बगैर किसी शर्त प्लांट को शुरू करे. इस दौरान जिला परिषद उपाध्यक्ष प्रेम सिंह ठाकुर के अलावा कुलदीप सिंह ठाकुर और अन्य ट्रक ऑपरेटर मौजूद रहे.
घाटे का रोना रो रही कंपनी, ऑडिट करवाकर सच आएगा सामने- दौलत सिंह ठाकुर ने कहा कि कंपनी 2.25 करोड़ रूपए का घाटा हर दिन होने की बात कह रही है. सवाल यह है कि जब 38 साल पुराना यह प्लांट अदानी ग्रुप ने खरीदा था, तब घाटे के बारे में नहीं सोचा था. वैसे कंपनी को कोई घाटा नहीं है. ऑडिट करवाकर देख लें सच्चाई का पता चल जाएगा.
प्रबंधन व ऑपरेटरों के बीच का है मामला- दौलत सिंह ठाकुर ने कहा कि ऐसी सूचना है कि राज्य सरकार ने इस विषय पर संज्ञान लेते हुए रेट निर्धारण को लेकर एक स्टैंडिंग कमेटी गठित की है लेकिन सरकार से आग्रह है कि यह मसला ट्रक ऑपरेटरों व कंपनी प्रबंधन के बीच का है इसलिए किसी कमेटी की जरूरत नहीं है. क्योंकि प्रबंधन व ऑपरेटरों के बीच बाकायदा एमओयू साईन हुआ है. सरकार मामले में हस्तक्षेप कर प्लांट शुरू करवाने के लिए कंपनी प्रबंधन को कहे.
ये भी पढ़ें: अंबुजा सीमेंट प्लांट बंद विवाद: डीसी के साथ बैठक में नहीं निकला कोई हल