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बरसात में बरतें विशेष सावधानी, सांप के काटने पर तुरंत करें ये उपाय - सर्पदंश के इलाज की मुफ्त सुविधा

सिविल अस्पताल बिलासपुर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाॅ. प्रकाश दरोच ने जानकारी देते हुए बताया गर्मियों और बरसात के मौसम में सांप ज्यादा निकलते हैं. इसलिए कोविड-19 के साथ-साथ सांपों से भी बचाव करना आवश्यक है. किसी भी प्रकार की लापरवाही जानलेवा हो सकती है और इससे बचने के लिए सही जानकारी होना आवश्यक है.

snake bite situations
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Published : Aug 27, 2020, 4:10 PM IST

Updated : Aug 27, 2020, 4:16 PM IST

बिलासपुर: सिविल अस्पताल बिलासपुर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाॅ. प्रकाश दरोच ने बताया कि गर्मियों और बरसात के मौसम में सांप ज्यादा निकलते हैं. इसलिए कोविड-19 के साथ-साथ सांपों से भी बचाव करना आवश्यक है. किसी भी प्रकार की लापरवाही जानलेवा हो सकती है और इससे बचने के लिए सही जानकारी होना आवश्यक है.

सर्पदंश की घटना के दौरान काटे गए स्थान पर दांतों के हल्के या सपष्ट दिखने वाले निशान व जख्म होते हैं, जो सूजन से कई बार ढक जाते हैं. सांप के काटने पर विषाक्तता से कभी-कभी मृत्यु भी हो सकती है. अब यह पता लग चुका है कि अधिकांश सांप विषहीन होते हैं.

वीडियो.

सर्पदंश के स्थान पर तीव्र जलन, सूजन और दर्द होना, आवाज का बैठना, ज्यादा नींद लगना, तनाव, मिचली व उल्टी होना, अनैच्छिक रूप से मल-मूत्र का त्याग, लकवा होना, पलकों का गिरना, एक वस्तु की दो दिखाई देना और पुतलियों का फैलना दंश के मुख्य लक्षण हैं.

सीएमओ दरोच ने बताया कि सभी सरकारी अस्पतालों में सर्पदंश के इलाज की मुफ्त सुविधा उपलब्ध है. सर्पदंश जहरीला है या नहीं विशेषज्ञ द्वारा जांच से ही पता लग सकता है. व्यक्ति को शांत रखें और आश्वस्त करें कि वह ठीक हो जाएगा, नहीं तो तनाव व दिल की तेज धड़कन से जहर तेजी से शरीर में फैलेगा.

सांप द्वारा काटे गए व्यक्ति को चलने फिरने न दें, दंश के स्थान को हृदय से नीचे रखें, ताकि जहर शरीर के अन्य भागों में न फैल जाए, महत्वपूर्ण लक्षणों जैसे बुखार, नब्ज, सांस की गति और रक्तचाप की निगरानी करें, आघात में व्यक्ति को सीधा लिटाएं, दोनों पांव एक फूट उंचा उठाएं और कंबल ओढ़ा दें, तुरन्त व्यक्ति को इलाज के लिए 108 के द्वारा नजदीक के सरकारी अस्पताल ले जाएं.

सर्पदंश जानलेवा है या नहीं, सोचने में समय न गवाएं, मन्त्र व झाड़ने से जहर उतारने में भी बिल्कुल समय न गवाएं, काटे गए स्थान पर न चीरा लगाएं, न चूसें, सर्पदंश के व्यक्ति को अति-उत्तेजित ने होने दें, व्यक्ति को खाने पीने को कुछ न दें और स्थानीय औषधि का इस्तेमाल भी न करें.

सर्पदंश से बचाव हेतु घर के आस-पास साफ सफाई रखें, घास व झाडियां न उगने दें, इन्हें समय-समय पर काटते रहें, दाल, अनाज, पानी के बर्तन ढक कर रखें, कूड़े कचरे का समय-समय पर सही समापन करें, घर के अन्दर व बाहर चूहों के बिलों को पत्थर व सीमेंट से बन्द कर दें, चूहे मारने की दवा से चूहे मार दें, जाली दार खिड़की व दरवाजों का प्रयोग करें. घर और रसोई से पानी की निकास पाइप पर भी जाली लगाएं, नंगे पांव बाहर न जाएं, जूते पहने, अंधेरे में बाहर निकलने पर लाइट जलाएं या टाॅर्च का प्रयोग करें, सोने से पहले बिस्तर अच्छी तरह झाड़ लें और बरसात के दिनों में जमीन पर न सोएं.

पढ़ें: हिमाचल में कोरोना से 31वीं मौत, IGMC में 84 वर्षीय महिला ने तोड़ा दम

बिलासपुर: सिविल अस्पताल बिलासपुर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाॅ. प्रकाश दरोच ने बताया कि गर्मियों और बरसात के मौसम में सांप ज्यादा निकलते हैं. इसलिए कोविड-19 के साथ-साथ सांपों से भी बचाव करना आवश्यक है. किसी भी प्रकार की लापरवाही जानलेवा हो सकती है और इससे बचने के लिए सही जानकारी होना आवश्यक है.

सर्पदंश की घटना के दौरान काटे गए स्थान पर दांतों के हल्के या सपष्ट दिखने वाले निशान व जख्म होते हैं, जो सूजन से कई बार ढक जाते हैं. सांप के काटने पर विषाक्तता से कभी-कभी मृत्यु भी हो सकती है. अब यह पता लग चुका है कि अधिकांश सांप विषहीन होते हैं.

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सर्पदंश के स्थान पर तीव्र जलन, सूजन और दर्द होना, आवाज का बैठना, ज्यादा नींद लगना, तनाव, मिचली व उल्टी होना, अनैच्छिक रूप से मल-मूत्र का त्याग, लकवा होना, पलकों का गिरना, एक वस्तु की दो दिखाई देना और पुतलियों का फैलना दंश के मुख्य लक्षण हैं.

सीएमओ दरोच ने बताया कि सभी सरकारी अस्पतालों में सर्पदंश के इलाज की मुफ्त सुविधा उपलब्ध है. सर्पदंश जहरीला है या नहीं विशेषज्ञ द्वारा जांच से ही पता लग सकता है. व्यक्ति को शांत रखें और आश्वस्त करें कि वह ठीक हो जाएगा, नहीं तो तनाव व दिल की तेज धड़कन से जहर तेजी से शरीर में फैलेगा.

सांप द्वारा काटे गए व्यक्ति को चलने फिरने न दें, दंश के स्थान को हृदय से नीचे रखें, ताकि जहर शरीर के अन्य भागों में न फैल जाए, महत्वपूर्ण लक्षणों जैसे बुखार, नब्ज, सांस की गति और रक्तचाप की निगरानी करें, आघात में व्यक्ति को सीधा लिटाएं, दोनों पांव एक फूट उंचा उठाएं और कंबल ओढ़ा दें, तुरन्त व्यक्ति को इलाज के लिए 108 के द्वारा नजदीक के सरकारी अस्पताल ले जाएं.

सर्पदंश जानलेवा है या नहीं, सोचने में समय न गवाएं, मन्त्र व झाड़ने से जहर उतारने में भी बिल्कुल समय न गवाएं, काटे गए स्थान पर न चीरा लगाएं, न चूसें, सर्पदंश के व्यक्ति को अति-उत्तेजित ने होने दें, व्यक्ति को खाने पीने को कुछ न दें और स्थानीय औषधि का इस्तेमाल भी न करें.

सर्पदंश से बचाव हेतु घर के आस-पास साफ सफाई रखें, घास व झाडियां न उगने दें, इन्हें समय-समय पर काटते रहें, दाल, अनाज, पानी के बर्तन ढक कर रखें, कूड़े कचरे का समय-समय पर सही समापन करें, घर के अन्दर व बाहर चूहों के बिलों को पत्थर व सीमेंट से बन्द कर दें, चूहे मारने की दवा से चूहे मार दें, जाली दार खिड़की व दरवाजों का प्रयोग करें. घर और रसोई से पानी की निकास पाइप पर भी जाली लगाएं, नंगे पांव बाहर न जाएं, जूते पहने, अंधेरे में बाहर निकलने पर लाइट जलाएं या टाॅर्च का प्रयोग करें, सोने से पहले बिस्तर अच्छी तरह झाड़ लें और बरसात के दिनों में जमीन पर न सोएं.

पढ़ें: हिमाचल में कोरोना से 31वीं मौत, IGMC में 84 वर्षीय महिला ने तोड़ा दम

Last Updated : Aug 27, 2020, 4:16 PM IST
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