सोलन: कोरोना महामारी के चलते जहां अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ा है. वहीं, उद्योगों पर भी इसका प्रभाव पड़ा है. एशिया के सबसे बड़े फार्मा हब कहे जाने वाले जिला सोलन के बीबीएन क्षेत्र पर भी कोरोना वायरस का असर पड़ा है, लेकिन कोरोना के चलते जहां जिला प्रशासन ने एहतियात बरता है. वहीं, मजदूरों और उद्योगों को आर्थिक रूप से बढ़ाने के लिए भी दिशा निर्देश जारी किए.
डीसी सोलन केसी चमन ने कहा कि उद्योगों में शुरुआती लॉकडाउन में कुछ मुश्किलें आई लेकिन, उसके बाद से उद्योगों में कार्य शुरू होने लगा. जिला सोलन का बीबीएन क्षेत्र देश सहित विदेशों के लिए भी दवाइयां निर्यात कर रहा है.
वहीं, कोरोना काल मे देश के साथ साथ दूसरे देशों से आ रही हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन की मांग को भी जिला सोलन का बीबीएन क्षेत्र पूरा कर रहा है. बीबीएन क्षेत्र के फार्मा उद्योगों में रोजाना इस दवा की डेढ़ से दो लाख गोलियां तैयार की जा रही हैं.
जिस तरह प्रवासी मजदूर की घर वापसी हो रही है, उसको देखते हुए आंकलन लगाया जा रहा था कि फार्मा उद्योगों पर इसका संकट गहरा सकता है, लेकिन इन सभी बातों पर संशय दूर करते हुए डीसी सोलन ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए बताया कि प्रवासी मजदूरों के जाने से उद्योगों पर कोई भी असर नहीं पड़ा है.
डीसी सोलन केसी चमन ने बताया कि जो प्रवासी मजदूर जिला सोलन से अपने घर भेजे जा रहे हैं उनके जाने से जिला सोलन बीबीएन क्षेत्र में स्थापित एशिया के सबसे बड़े फार्मा हब को किसी भी तरह का असर नहीं पड़ा है. उन्होंने बताया कि जो लोग यहां से भेजे जा रहे हैं, वह झुग्गी झोपड़ी वाले हैं, आमतौर पर यह लोग है जो उद्योगों में ही काम करते हैं, लेकिन इनके जाने से उद्योगों में होने वाले उत्पादन पर किसी भी तरह का कोई भी असर नहीं पड़ रहा है.
डीसी ने बताया कि हर दिन देश के विभिन्न राज्यों में करीब 1500 गाड़ियां बीबीएन क्षेत्र से फार्मा उत्पाद लेकर जा रही है. उन्होंने बताया कि कोरोना महामारी को भी ध्यान में रखते हुए उद्योगों में सावधानी बरती जा रही है. डीसी सोलन केसी चमन ने कहा कि कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए जिला प्रशासन और प्रदेश सरकार लगातार प्रवासी मजदूरों को उनको घर भेज रही है.
श्रमिक को ट्रेनों के माध्यम से और बसों के माध्यम से मजदूरों को उनके घर भेजा जा रहा है. जिला सोलन से 18 राज्यों के करीब 30 हजार प्रवासी मजदूरों और झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले लोगों को उनके घर भेजा जा चुका है जिसमें से ट्रेनों के माध्यम से 4 हज़ार मजदूरों को तो वहीं, 26 हजार लोगों को बसों के माध्यम से जिला प्रशासन द्वारा भेजा गया है.
केसी चमन ने बताया कि श्रमिकों की काउंसलिंग करके सबसे पहले एशिया के सबसे बड़े फार्मा हब में लॉकडाउन के दौरान उद्योगों को शुरू किया गया था. दवाइयों की मांग ज्यादा होने के कारण इन उद्योगों को शुरू करना पड़ा. वहीं अब वन टाइम मुमेंट के आधार पर उद्योगों में इंटर स्टेट मूवमेंट एसओपी शुरू कर दी है.
उद्योगों में स्पेशलिस्ट जो बाहरी राज्यों में फंस चुके थे अब उन्हें आने की अनुमति दी गई है. अनुमति के साथ-साथ कोविड-19 का भी पूरा ध्यान रखा जा रहा है. डीसी ने बताया कि जल्द ही उद्योगों में पहले की तरह कार्य होना शुरू हो जाएगा और पहले की तरह ही जिंदगी पटरी पर लौट आएगी. डीसी सोलन सभी उद्योगों कार्य करने वाले कर्मचारियों से भी अपील की है कि वह भी सतर्कता बरतें ताकि कोरोना वायरस से बचाव हो सके.
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