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शिमला में जयकारों के बीच माता दुर्गा का विसर्जन, श्रद्धालुओं ने सिंदूर होली खेलकर माता को दी विदाई.

शिमला के कालीबाड़ी मंदिर में स्थापित माता दुर्गा को भव्य तरिके से विदाई दी गई. भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने माता की विदाई से पहले सिंदूर होली खेल कर माता के जयकारों के साथ ढोल नगाड़ों की थाप पर नृत्य किया.

माता दुर्गा का विसर्जन
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Published : Oct 8, 2019, 7:34 PM IST

शिमला: देशभर में धूम-धाम के साथ बीते 9 दिनों से माता भगवती के विभिन्न रूपों की पूजा की गई. वहीं दशहरे के दिन प्रदेश की राजधानी शिमला के प्रसिद्ध कालीबाड़ी मंदिर में स्थापित माता दुर्गा की मूर्तियों को भव्य तरीके से विदाई दी गई. मंदिर परिसर में महिलाओं ने माता को सिंदूर लगाकर पूजा अर्चना की. जिसके बाद ढोल नगाड़ों की थाप पर महिलाओं ने मां दुर्गा के साथ सिंदूर की होली खेली और एक दूसरे को सिंदूर लगाकर सुख-समृद्धि व सुहाग की सलामती की मां से प्रार्थना की.

इस अवसर पर महिलाओं ने नाच गाने के साथ माता की विदाई कर सुख समृद्धि कामना की. वहीं, महिलाओं ने बताया कि विजय दशमी पर मां दुर्गा के साथ सिंदूर होली खेलने से सुहागिनों पर मां की अनुकंपा बनी रहती है .

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राजधानी शिमला के कालीबाड़ी मंदिर में बीते 50 वर्षों से इस परंपरा का निर्वहन किया जा रहा है. दशहरा के दिन यहां भारी संख्या में श्रद्धालु माता की विदाई से पहले सिंदूर होली खेलते हैं. बता दें कि माता दुर्गा की पूजा अर्चना करने के बाद मंगलवार को विजय दशमी के दिन जयकारों के बीच मां दुर्गा की विशाल प्रतिमा को विदाई दी गई. शिमला में मां की प्रतिमा को विसर्जन के लिए तारादेवी स्थित आईटीबीपी कैंप ले जाया गया और यहां बने तालाब में विसर्जन की रस्म को निभाया गया.

शिमला: देशभर में धूम-धाम के साथ बीते 9 दिनों से माता भगवती के विभिन्न रूपों की पूजा की गई. वहीं दशहरे के दिन प्रदेश की राजधानी शिमला के प्रसिद्ध कालीबाड़ी मंदिर में स्थापित माता दुर्गा की मूर्तियों को भव्य तरीके से विदाई दी गई. मंदिर परिसर में महिलाओं ने माता को सिंदूर लगाकर पूजा अर्चना की. जिसके बाद ढोल नगाड़ों की थाप पर महिलाओं ने मां दुर्गा के साथ सिंदूर की होली खेली और एक दूसरे को सिंदूर लगाकर सुख-समृद्धि व सुहाग की सलामती की मां से प्रार्थना की.

इस अवसर पर महिलाओं ने नाच गाने के साथ माता की विदाई कर सुख समृद्धि कामना की. वहीं, महिलाओं ने बताया कि विजय दशमी पर मां दुर्गा के साथ सिंदूर होली खेलने से सुहागिनों पर मां की अनुकंपा बनी रहती है .

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राजधानी शिमला के कालीबाड़ी मंदिर में बीते 50 वर्षों से इस परंपरा का निर्वहन किया जा रहा है. दशहरा के दिन यहां भारी संख्या में श्रद्धालु माता की विदाई से पहले सिंदूर होली खेलते हैं. बता दें कि माता दुर्गा की पूजा अर्चना करने के बाद मंगलवार को विजय दशमी के दिन जयकारों के बीच मां दुर्गा की विशाल प्रतिमा को विदाई दी गई. शिमला में मां की प्रतिमा को विसर्जन के लिए तारादेवी स्थित आईटीबीपी कैंप ले जाया गया और यहां बने तालाब में विसर्जन की रस्म को निभाया गया.

Intro::शिमला के कालीबाड़ी मंदिर में स्थापित माँ दुर्गा को भव्य तरिके से विदाई दी गई। कालीबाड़ी मंदिर माँ दुर्गा के मायके से उन्हें ससुराल के लिए यह विदाई कर दी गईं है। मंदिर में ढ़ोल नगाड़ो की थाप पर बंगाली महिलाओ ने माता का वर्ण किया और सिंदूर का तिलक लगाकर पूजा अर्चना कर माता को ख़ुशी से विदा किया। विदाई के समय बंगाली समुदाय की सुहागिन महिलाओं ने मां दुर्गा के साथ सिंदूर की होली खेली और उसके बाद एक दूसरे को सिंदूर लगाकर सुख-समृद्धि व सुहाग की सलामती की मां से प्रार्थना की।
Body:मंदिर में बंगाली समुदाय की ओर से बीते 50 वर्षो की परंपरा को कायम रखते हुए इस वर्ष भी छठे नवरात्रे पर अष्ट भुजाओं वाली मां दुर्गा की विशाल मूर्ति स्थापित की थी और दशमी तक मंदिर में माँ दुर्गा की पूजा अर्चना करने के बाद मंगलवार को विजय दशमी के दिन जयकारों के बीच मां दुर्गा की विशाल प्रतिमा को विदाई दी गई। शिमला में मां की प्रतिमा को विसर्जन के लिए तारादेवी स्थित आईटीबीपी कैंप ले जाया गया और यहां बने तालाब में विसर्जन की रस्म को निभाया गया।
इस अवसर पर बंगाली महिलाओं ने नाच गाने के साथ माँ की विदाई की खुशी मनाई। महिलाओं ने बताया कि विजय दशमी पर मां दुर्गा के साथ सिंदूर होली खेलने से सुहागिनों पर मां की अनुकंपा बनी रहती है और सुख के साथ-साथ सुहाग की लंबी आयु बनी रहती है। Conclusion:
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