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IGMC में चरमरा रही स्वास्थ्य सुविधाएं, 2 दिन से खराब पड़ी सिटी स्कैन मशीन - शिमला

आईजीएमसी में लाखों रुपये की लागत से स्थापित की गई सिटी स्कैन मशीन बुधवार को खराब हो गई, जिससे मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ा.

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Published : Apr 4, 2019, 8:26 PM IST

शिमला: आईजीएमसी प्रबंधन भले ही मरीजों को सुविधा देने को लेकर खूब दावे करता हो, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है. दरअसल आईजीएमसी में लाखों रुपये की लागत से स्थापित की गई सिटी स्कैन मशीन बुधवार को खराब हो गई, जिससे मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ा.

बता दें कि आईजीएमसी में एक ही सिटीस्कैन मशीन स्थापित की गई है, जिससे प्रदेश के सैकड़ों मरीज एक ही सिटीस्कैन मशीन के सहारे है और रोजाना 3500 के करीब मरीज आईजीएमसी में अपना उपचार करवाने आते हैं. ऐसे में 100 के लगभगमरीज ऐसे होते हैं, जिन्हें डॉक्टर सिटीस्कैन के लिए लिखतेहैं और वो निजी लैब में अपना सिटी स्कैन नहीं करवा पाते हैं.

दरअसल मशीनों को ठीक करने के लिए प्रशासन द्वारा चंडीगढ़ से मैकेनिक बुलाए गए थे, लेकिन गुरुवार तक मशीन ठीक नहीं हो पाई. मशीन ठीक न होने की वजह से कुछ मरीजों को डीडीयू अस्पताल भेजा गया, तो कई मरीजों ने निजी लैब में जाकर सिटीस्कैन करवाया.

आईजीएमसी में सिटी स्कैन1 हजार रुपये से कम होता था, लेकिन सिटी स्कैन मशीन खराब होने से मरीजों को दोगुने रुपये खर्च करके निजी लैब में सिटी स्कैन करवाना पड़ा. आईजीएमसी में पहली बार मशीन खराब नहीं हुई है, बल्कि इससे पहले भी कई बार मशीन खराब हो चुकी है. आईजीएमसी में सिटी स्कैन करवाने के लिए मरीजों को डेट दी जाती है. गुरुवार को उन मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ा, जिनको सिटी स्कैन के लिए तारीख दी गई थी.

वरिष्ठ चिकित्सकअधिकारी जनकराज ने बताया कि तकनीकी खराबी के कारण मशीन खराब हो गई थी, जिससे सीटी स्कैन नहीं हो पाए हैं. उन्होंने बताया कि मशीन को ठीक करवाने के लिए मैकेनिक बुलाए गए हैं और जल्द ही मशीन को ठीक करवाया जाएगा, जिससे मरीजों को परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा.

शिमला: आईजीएमसी प्रबंधन भले ही मरीजों को सुविधा देने को लेकर खूब दावे करता हो, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है. दरअसल आईजीएमसी में लाखों रुपये की लागत से स्थापित की गई सिटी स्कैन मशीन बुधवार को खराब हो गई, जिससे मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ा.

बता दें कि आईजीएमसी में एक ही सिटीस्कैन मशीन स्थापित की गई है, जिससे प्रदेश के सैकड़ों मरीज एक ही सिटीस्कैन मशीन के सहारे है और रोजाना 3500 के करीब मरीज आईजीएमसी में अपना उपचार करवाने आते हैं. ऐसे में 100 के लगभगमरीज ऐसे होते हैं, जिन्हें डॉक्टर सिटीस्कैन के लिए लिखतेहैं और वो निजी लैब में अपना सिटी स्कैन नहीं करवा पाते हैं.

दरअसल मशीनों को ठीक करने के लिए प्रशासन द्वारा चंडीगढ़ से मैकेनिक बुलाए गए थे, लेकिन गुरुवार तक मशीन ठीक नहीं हो पाई. मशीन ठीक न होने की वजह से कुछ मरीजों को डीडीयू अस्पताल भेजा गया, तो कई मरीजों ने निजी लैब में जाकर सिटीस्कैन करवाया.

आईजीएमसी में सिटी स्कैन1 हजार रुपये से कम होता था, लेकिन सिटी स्कैन मशीन खराब होने से मरीजों को दोगुने रुपये खर्च करके निजी लैब में सिटी स्कैन करवाना पड़ा. आईजीएमसी में पहली बार मशीन खराब नहीं हुई है, बल्कि इससे पहले भी कई बार मशीन खराब हो चुकी है. आईजीएमसी में सिटी स्कैन करवाने के लिए मरीजों को डेट दी जाती है. गुरुवार को उन मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ा, जिनको सिटी स्कैन के लिए तारीख दी गई थी.

वरिष्ठ चिकित्सकअधिकारी जनकराज ने बताया कि तकनीकी खराबी के कारण मशीन खराब हो गई थी, जिससे सीटी स्कैन नहीं हो पाए हैं. उन्होंने बताया कि मशीन को ठीक करवाने के लिए मैकेनिक बुलाए गए हैं और जल्द ही मशीन को ठीक करवाया जाएगा, जिससे मरीजों को परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा.

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आईजीएमसी में सिटी स्कैन मशीन खराब 

मुश्किल में मरीज 

शिमला। 

आईजीएमसी प्रशासन मरीजों को सुविधा देने को लेकर एक से बढ़कर एक दावें करता है, लेकिन यहां स्थिति कुछ और ही व्यां कर रही है। आईजीएमसी में लाखों रूपए की लागत से स्थापित की गई सिटी स्कैन मशीन बुधवार रात को खराब हो गई। इसको ठीक करने में प्रशासन द्वारा चंडीगढ़ से मैकेनिक तो बुलाए थे, लेकिन वीरवार शाम तक मशीन ठीक नहीं हो पाई। मशीन शराब होने के चलते कुछ मरीजों को तो डीडीयू अस्पताल भेजा गया, लेकिन कइयों ने निजी लैब में जाकर महंगे में सिटी स्कैन करवाया। आईजीएमसी  में सैकड़ों लोग अपना इलाज करवाने आते है, लेकिन उन्हें परेशानियां झेलने में मजबूर होना पड़ता है। इन दिनों आईजीएमसी में मरीजों की संखया काफी बढ़ चुकी है। रोजाना 3500 के करीब मरीज आईजीएमसी में अपना उपचार करवाने आ रहे है। ऐसे में 100 के लगभग मरीज ऐसे होते है जिनकों डाक्टर सिटी  स्कैन के लिएलिखते  है। जहां मरीजों का सिटी  स्कैन 1 हजार रूपए से कम होता था वहीं अब मरीजों को दौगुने पैसे खर्च कर नीजी लैब में अपने सिटी . स्कैन करवाने पड़ रहे है। इनमें आधे से ज्यादा मरीज तो ऐसे है जो कि इतने ज्यादा पैसे खर्च करने में असमर्थ है। अस्पताल में कुछ ऐसे भी गरीब मरीज होते है, जो कि बहुत ही गरीब होते है और वे निजी जैब में अपना सिटी स्कैन नहीं करवा पाते है। मशीन आई.जी.एम.सी. में पहली बार खराब नहीं हुई है, बल्कि इससे पहले भी कई बार मशीन खराब हो चुकी है। जिसके कारन  मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। सिटी . स्कैन करवाने के लिए मरीजों को डेट दी जाती है। जिसके कारन मरीज और ज्यादा परेशान हो जाते है। जो गरीब लोग ग्रामिण क्षेत्र से अपना सिटी  स्कैन करवाने आते है, उन्हें दर-दर ठोकरे खानी पड़ती है। वीरवार को काफी मरीज ऐसे थे, जिन्हें सिटी  स्कैन की डेट दी गई थी, लेकिन उन्हें बिना सिटी . स्कैन करवाए ही वापिस घर की ओर जाना पड़ा। 

 एक सिटी  स्कैन के सहारे सैकड़ों मरीज

आई.जी.एम.सी. में एक ही सिटी  स्कैन मशीन स्थापित की गई है। ऐसे में प्रदेश के सैकड़ों मरीज एक ही सिटी  स्कैन मशीन के सहारे है। अगर यह मशीन ठीक भी होती है तो भी मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। यहां पर अतिरिक्त मशीन का होना बहुत जरूरी है। आई.जी.एम.सी. प्रदेश का सबसे बड़ा अस्पताल है। ऐसे में यहां पर अतिरिक्त मशीनों का होना जरूरी है।

 तकनिकी खराबी के चलते मशीन खराब हो गई थी। जिसके चलते सी.टी. स्कैन नहीं हो पाए। मशीन को ठीक करवाने के लिए मैकेनिक बुलाए गए है। जल्द ही मशीन को ठीक करवाया जाएगा। मरीजों को ज्यादा दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा।

-जनक राज एम.एस. आई.जी.एम.सी.।


 

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