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निजी स्कूलों की मनमानी के विरोध में छात्र अभिभावक मंच ने किया धरना प्रदर्शन, सौंपा ज्ञापन

छात्र अभिभावक मंच का आरोप है कि इस माहमारी के समय में निजी स्कूलों ने खुली लूट मचा रखी है, लेकिन सरकार और शिक्षा विभाग के निदेशक इस विषय में कुछ नहीं कर रहे हैं.

Student Guardian  tribune protest against govt. and education department
छात्र अभिभावक मंच
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Published : Jun 19, 2020, 5:08 PM IST

शिमलाः कोरोना के इस संकट के समय में भी प्रदेश में निजी स्कूलों की मनमानी नहीं रुक रही है. निजी स्कूल सरकार और शिक्षा विभाग के निर्देशों का पालन भी नहीं कर रहे हैं. इसी के विरोध में शुक्रवार को छात्र अभिभावक मंच ने शिक्षा निदेशालय के बाहर धरना प्रदर्शन किया.

इस प्रदर्शन के दौरान जमकर नारेबाजी सरकार और शिक्षा विभाग के खिलाफ की गई. यह प्रदर्शन निजी स्कूलों की मनमानी, प्रदेश सरकार के केवल ट्यूशन फीस लेने के आदेशों की अवहेलना के खिलाफ किया गया. इस प्रदर्शन के माध्यम से मंच ने निजी स्कूलों की मनमानी से विभाग को अवगत करवाया और संयुक्त निदेशक को अपना मांग पत्र भी सौंपा.

वीडियो रिपोर्ट

छात्र अभिभावक मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा ने निजी स्कूलों की मनमानी को लेकर सरकार और विभाग को भी आड़े हाथ लिया. उन्होंने कहा कि इन स्कूलों को सरकार का ही संरक्षण प्राप्त है, जिसकी वजह से इनकी मनमानी रुकने का नाम नहीं ले रही हैं. बड़े निजी स्कूलों की सरकार के साथ सांठगांठ है, लेकिन सरकार ने अभिभावकों के दबाव में आकर आदेश निजी स्कूलों को जारी कर दिए है. इसके बावजूद इन्हें लागू करवाने में सरकार कोई रुचि नहीं दिखा रही है और ना ही शिक्षा विभाग की ओर से किसी तरह की कोई कार्रवाई इन निजी स्कूलों के खिलाफ की जा रही है. इस वजह से अभिभावकों को ज्यादा फीस का बोझ अभी भी झेलना पड़ रहा है और निजी स्कूल उनसे बिना किसी डर के भारी-भरकम ट्यूशन फीस वसूल रहे हैं.

उन्होंने आरोप लगाया कि कोरोना महामारी के इस समय में भी निजी स्कूल खासी लूट कर रहे हैं , बावजूद इसके भी सरकार और शिक्षा विभाग चुप्पी साधे हुए बैठे हुए हैं. स्कूलों की ओर से अभिभावकों पर बार-बार फीस जमा करवाने का दवाब बनाया जा रहा है. यही वजह है कि अधिकतर अभिभावकों ने अपने बच्चों के भविष्य को देखते हुए इस तिमाही फीस में ट्यूशन फीस के साथ ही सभी तरह के एनुअल चार्जिज के साथ अन्य फंड भी वसूल लिए है. जो ट्यूशन फीस अभिभावकों से वसूली गई है. उसमें भी 10 से 20 फीसदी बढ़ोतरी स्कूलों ने की है.

अब यह स्कूल ज्यादा वसूली गई फीस को अगली किस्तों में समाहित करने में भी आनाकानी कर रहे है और न ही फीस को लौटा रहे है. सरकार की ओर से भी कोई उचित मैकेनिज्म तैयार नहीं किया गया है, जिसकी वजह से ही यह निजी स्कूल मनमानी कर रहे है .

विजेंद्र मेहरा ने कहा कि बहुत से निजी स्कूलों ने कोरोना काल का फायदा उठाते हुए अन्य चार्जेज को हटाकर 90 से 100 फीसदी फीस ट्यूशन फीस के नाम पर ही फीस बुकलेट में दर्शा दी है. यह ट्यूशन फीस कुल फीस के पचास प्रतिशत से अधिक नहीं वसूली जानी चाहिए. इसके लिए विभाग को पूरा मैकेनिज्म तैयार करना चाहिए.

छात्र अभिभावक मंच का आरोप है कि इस माहमारी के समय में निजी स्कूल खुली लूट कर रहे है, लेकिन सरकार और शिक्षा विभाग के निदेशक इस विषय में कुछ नहीं कर रहे है. निजी स्कूलों ने पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष ट्यूशन फीस को चार से पांच गुणा बढ़ाकर अभिभावकों पर कोरोना काल की तिमाही में ही 10 से 15 हजार रुपए का अतिरिक्त बोझ डाल दिया है, जिसका मंच की ओर से कड़ा विरोध किया जा रहा है. राजेंद्र मेहरा ने कहा कि अगर सरकार और निदेशक उच्च शिक्षा वर्ष 2019 कि तर्ज पर केवल ट्यूशन फीस लेने के साथ ही तीन माह की फीस को हर महीने के आधार पर वसूल करने के आदेशों का निजी स्कूलों से पालन नहीं करवाता है तो मंच का आंदोलन और उग्र होगा .

ये भी पढ़ेंः बिलासपुर में मास्क नहीं पहनी तो जाओगे जेल, पुलिस ने जारी की अधिसूचना

शिमलाः कोरोना के इस संकट के समय में भी प्रदेश में निजी स्कूलों की मनमानी नहीं रुक रही है. निजी स्कूल सरकार और शिक्षा विभाग के निर्देशों का पालन भी नहीं कर रहे हैं. इसी के विरोध में शुक्रवार को छात्र अभिभावक मंच ने शिक्षा निदेशालय के बाहर धरना प्रदर्शन किया.

इस प्रदर्शन के दौरान जमकर नारेबाजी सरकार और शिक्षा विभाग के खिलाफ की गई. यह प्रदर्शन निजी स्कूलों की मनमानी, प्रदेश सरकार के केवल ट्यूशन फीस लेने के आदेशों की अवहेलना के खिलाफ किया गया. इस प्रदर्शन के माध्यम से मंच ने निजी स्कूलों की मनमानी से विभाग को अवगत करवाया और संयुक्त निदेशक को अपना मांग पत्र भी सौंपा.

वीडियो रिपोर्ट

छात्र अभिभावक मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा ने निजी स्कूलों की मनमानी को लेकर सरकार और विभाग को भी आड़े हाथ लिया. उन्होंने कहा कि इन स्कूलों को सरकार का ही संरक्षण प्राप्त है, जिसकी वजह से इनकी मनमानी रुकने का नाम नहीं ले रही हैं. बड़े निजी स्कूलों की सरकार के साथ सांठगांठ है, लेकिन सरकार ने अभिभावकों के दबाव में आकर आदेश निजी स्कूलों को जारी कर दिए है. इसके बावजूद इन्हें लागू करवाने में सरकार कोई रुचि नहीं दिखा रही है और ना ही शिक्षा विभाग की ओर से किसी तरह की कोई कार्रवाई इन निजी स्कूलों के खिलाफ की जा रही है. इस वजह से अभिभावकों को ज्यादा फीस का बोझ अभी भी झेलना पड़ रहा है और निजी स्कूल उनसे बिना किसी डर के भारी-भरकम ट्यूशन फीस वसूल रहे हैं.

उन्होंने आरोप लगाया कि कोरोना महामारी के इस समय में भी निजी स्कूल खासी लूट कर रहे हैं , बावजूद इसके भी सरकार और शिक्षा विभाग चुप्पी साधे हुए बैठे हुए हैं. स्कूलों की ओर से अभिभावकों पर बार-बार फीस जमा करवाने का दवाब बनाया जा रहा है. यही वजह है कि अधिकतर अभिभावकों ने अपने बच्चों के भविष्य को देखते हुए इस तिमाही फीस में ट्यूशन फीस के साथ ही सभी तरह के एनुअल चार्जिज के साथ अन्य फंड भी वसूल लिए है. जो ट्यूशन फीस अभिभावकों से वसूली गई है. उसमें भी 10 से 20 फीसदी बढ़ोतरी स्कूलों ने की है.

अब यह स्कूल ज्यादा वसूली गई फीस को अगली किस्तों में समाहित करने में भी आनाकानी कर रहे है और न ही फीस को लौटा रहे है. सरकार की ओर से भी कोई उचित मैकेनिज्म तैयार नहीं किया गया है, जिसकी वजह से ही यह निजी स्कूल मनमानी कर रहे है .

विजेंद्र मेहरा ने कहा कि बहुत से निजी स्कूलों ने कोरोना काल का फायदा उठाते हुए अन्य चार्जेज को हटाकर 90 से 100 फीसदी फीस ट्यूशन फीस के नाम पर ही फीस बुकलेट में दर्शा दी है. यह ट्यूशन फीस कुल फीस के पचास प्रतिशत से अधिक नहीं वसूली जानी चाहिए. इसके लिए विभाग को पूरा मैकेनिज्म तैयार करना चाहिए.

छात्र अभिभावक मंच का आरोप है कि इस माहमारी के समय में निजी स्कूल खुली लूट कर रहे है, लेकिन सरकार और शिक्षा विभाग के निदेशक इस विषय में कुछ नहीं कर रहे है. निजी स्कूलों ने पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष ट्यूशन फीस को चार से पांच गुणा बढ़ाकर अभिभावकों पर कोरोना काल की तिमाही में ही 10 से 15 हजार रुपए का अतिरिक्त बोझ डाल दिया है, जिसका मंच की ओर से कड़ा विरोध किया जा रहा है. राजेंद्र मेहरा ने कहा कि अगर सरकार और निदेशक उच्च शिक्षा वर्ष 2019 कि तर्ज पर केवल ट्यूशन फीस लेने के साथ ही तीन माह की फीस को हर महीने के आधार पर वसूल करने के आदेशों का निजी स्कूलों से पालन नहीं करवाता है तो मंच का आंदोलन और उग्र होगा .

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