शिमला: कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच हिमाचल में स्कूल फिलहाल बंद हैं. हिमाचल सरकार ने 31 जनवरी तक स्कूल बंद रखने का आदेश दिया था. अब 31 जनवरी को ही जयराम कैबिनेट की बैठक होनी है. जिसमें कैबिनेट प्रदेश में कोरोना को लेकर जारी पाबंदियों के साथ स्कूल खोलने पर भी फैसला लेगी. देश के कुछ राज्यों में स्कूल खुलने लगे हैं तो कुछ राज्यों ने इसकी तैयारी कर ली है. लेकिन सवाल है कि क्या हिमाचल में स्कूल खुलने (school opening in Himachal) चाहिए ? इस सवाल पर अभिभावक क्या कहते (parents on school opening in Himachal) हैं ?
अभिभावकों का डर- दरअसल प्रदेश में कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. अकेले जनवरी महीने में ही अब तक 38 हजार से ज्यादा नए मामले सामने आए हैं जबकि अकेले जनवरी में ही 101 लोगों की जान कोरोना ले चुका (corona cases in himachal) है. ऐसे में अभिभावकों को सबसे ज्यादा बच्चों के स्वास्थ्य की फिक्र है. लगातार बढ़ते मामलों को देखते हुए ज्यादातर अभिभावक बच्चों को स्कूल नहीं भेजना चाहते.
शिक्षण संस्थानों में हुआ था कोरोना ब्लास्ट- बीते साल के आखिरी महीनों में जब देशभर में शिक्षण संस्थान खुले तो कई स्कूल, कॉलेज में कोरोना के कई मामले एक साथ सामने आए. हिमाचल प्रदेश भी इस मामले में अछूता नहीं रहा. स्कूल, कॉलेज में एक साथ कई छात्र पॉजिटिव पाए गए थे. ऐसे में अभिभावकों को डर है कि फिर से स्कूल खुले तो ये नौबत फिर से आ सकती है.
सरकार झाड़ लेती है पल्ला- बीते साल कोरोना की लहर के बाद जब स्कूल खुले तो सरकार की तरफ से छात्रों को स्कूल तो बुलाया गया लेकिन इसमें सरकार ने अभिभावकों से इसकी लिखित सहमति भी मांगी गई थी. जिससे अभिभावकों के बीच ये संदेश गया कि सरकार पल्ला अपना पल्ला झाड़ना चाहती (omicron alert in himachal) है. वो बच्चों को स्कूल तो बुला रहे हैं लेकिन खुद की जिम्मेदारी पर नहीं बल्कि अभिभावकों की जिम्मेदारी पर. ऐसे में कई अभिभावकों ने इस रवैये पर सवाल भी उठाए हैं.
ऑनलाइन पढ़ाई- बीते करीब दो साल से छात्र ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं. हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्य में कई जगह नेटवर्क की समस्या भी छात्रों की ऑनलाइन पढ़ाई के आड़े आई है. ऑनलाइन पढ़ाई को लेकर कई छात्रों और अभिभावकों ने भी सवाल उठाए लेकिन जब स्कूल खोलने या बच्चों की सेहत की बात आई तो अभिभावकों ने स्कूल की बजाय ऑनलाइन क्लास को ही बेहतर माना है.
छात्र क्या कहते हैं- इस कोरोना काल में घर पर बैठने को मजबूर छात्रों में से एक बड़ा तबका स्कूल आना चाहता है. क्योंकि कोरोना के कारण पढ़ाई तो बाधित हुई ही है, बच्चों की फिजिकल एक्टिविटी पर भी असर पड़ा है.
सरकार को क्या करना चाहिए- छात्रों को स्कूल भेजने को लेकर अभिभावकों को सबसे ज्यादा छात्रों के स्वास्थ्य की चिंता है. जिसके लिए सरकार को इस चिंता को दूर करने के लिए कदम उठाने होंगे. बच्चों के वैक्सीनेशन से लेकर स्कूल में कोविड प्रोटोकॉल का पालन करने जैसे बंदोबस्त करने होंगे. साथ ही सरकार को कोई ऐसी नीति या ऐलान से भी बचना होगा जिससे अभिभावकों को ऐसा लगे कि सरकार पल्ला झाड़ रही है.
31 जनवरी को होगा फैसला- सोमवार 31 जनवरी को हिमाचल कैबिनेट की बैठक होने वाली है. जिसमें प्रदेश में कोरोना को देखते हुए प्रतिबंध लगाए गए हैं. राज्य में स्कूल 31 जनवरी तक बंद हैं, सरकार को इसपर भी फैसला लेना है. कुछ राज्य सरकारों ने स्कूल खोलने की तैयारी भी कर ली है. ऐसे में देखना होगा कि हिमाचल में स्कूल खोलने पर क्या फैसला होता है. क्योंकि प्रदेश में कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं और खुद मुख्यमंत्री इसपर चिंता जाहिर कर चुके हैं.
मुख्यमंत्री ने क्या कहा- प्रदेश में कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना के मामले तो कुछ कम हो रहे हैं, लेकिन कोरोना से होने वाली मौतें चिंता का विषय है. बीते एक हफ्ते में ही कोरोना रोजाना औसतन 7 से 8 लोगों की जान ले रहा है. ऐसे में सावधानी बरतने की जरूरत है.
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