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Nari Shakti Anita Kundu: हरियाणा की ऐसी बेटी जिसने तीन बार एवरेस्ट को बौना साबित किया, लांघे समाज के भी कई 'पहाड़' - nari shakti in haryana

आजादी का अमृत महोत्सव उन महिलाओं के जिक्र के बगैर अधूरा है जिन्होंने देश का नाम रोशन करने में अपनी सीमाओं को लांघा है. नारी शक्ति (Nari Shakti) की कहानी में हरियाणा की उस बेटी के बारे में जानिये जिसके हौसले के आगे दुनिया की सबसे ऊंची चोटी बार-बार झुक गई.

mountaineer anita kundu
अनीता कुंडू
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Published : Aug 10, 2022, 3:25 PM IST

Updated : Aug 10, 2022, 5:37 PM IST

हिसार/शिमला: देश को आजाद हुए 75 साल हो चुके हैं और इस वर्ष को आजादी के अमृत महोत्सव (Azadi ka Amrit Mahotsav) के रूप में मनाया जा रहा है. आजादी के सात दशक बाद (Indian Independence Day) भारत हर मोर्चे पर दुनिया के अग्रणी देशों को टक्कर दे रहा है. इसमें महिलाओं ने भी अपनी भूमिका निभाई है. आज महिलाओं ने कई क्षेत्रों में अपने हुनर का झंडा बुलंद किया है. आजादी के 75 साल का जश्न ऐसी महिला एचीवर्स के बिना अधूरा है. ये वो नारी शक्ती (Nari Shakti) है जिसने अपने जज्बे और हौसले की बदौलत देश का नाम रोशन किया. आज बात हरियाणा की उस बेटी की करेंगे जिसने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट (Mount Everest) को एक-दो बार नहीं बल्कि तीन बार फतेह किया.

मिलिए पर्वतारोही अनीता कुंडू से- हरियाणा के हिसार जिले में पैदा हुई अनीता कुंडू (Mountaineer Anita Kundu) का एडवेंचर गेम्स के प्रति शुरू से ही लगाव रहा. लेकिन समाज के रोड़े कई रोड़े उनकी राह में (Anita Kundu From Haryana) थे. फिर भी आज वो देश और दुनिया की जानी-मानी पर्वतारोही बन पाई हैं तो वो इसका श्रेय अपने माता-पिता को देती हैं. अनीता के मुताबिक उसके परिवारवाले अशिक्षित थे लेकिन उनकी सोच बड़ी थी. बेटा-बेटी में फर्क ना करके उन्होंने मुझे प्रेरित किया. जब अनीता 12 साल की थी तो उनके पिता का निधन हो गया, चार भाई बहनों में सबसे बड़ी होने के कारण जिम्मेदारी का बोझ आ गया. जिसके बाद उनके सपनों की उड़ान पर असर तो जरूर पड़ा लेकिन वक्त के साथ उन्होंने हालात को बौना साबित कर दिया.

पर्वतारोही अनीता कुंडू
पर्वतारोही अनीता कुंडू.

पढ़ाई और कबड्डी का शौक- अनीता की पढ़ाई हिसार से हुई और उन्होंने बीए की पढ़ाई जाट कॉलेज से की. इसके बाद प्राइवेट इंस्टीट्यूट से उन्होंने एमए हिस्ट्री से की. अनीता कुंडू हरियाणा के हिसार जिले के फरीदपुर गांव (Haryana Mountaineer Anita Kundu) की रहने वाली अनीता को बचपन में कबड्डी का शौक था, जिसके चलते उसने 5वीं कक्षा से ही कबड्डी खेलना शुरू कर दिया, लेकिन अनीता अपने इस शौक को अधिक दिन नहीं रख पाई. पिता की मौत के बाद सारे शौक धरे रह गए और परिवार को पालने की जिम्मेदारी ने नौकरी की राह पर छोड़ दिया.

एवरेस्ट पर लहराया तीन बार तिरंगा
एवरेस्ट पर लहराया तीन बार तिरंगा.

2008 में हरियाणा पुलिस में भर्ती हुईं- अनीता कुंडू अपने दम पर साल 2008 में हरियाणा पुलिस में भर्ती हुई. ये उनकी जिंदगी का टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ, क्योंकि इसके बाद उन्होंने पर्वतारोहण को लेकर कई बेसिक कोर्स किए और खुद को एक सफल पर्वतारोही के रूप में साबित किया. शुरूआत में देश की कई चोटियों को जीतने के बाद उन्होंने दुनिया की ऊंची-ऊंची चोटियों को बौना साबित कर दिया.

हरियाणा पुलिस में है पर्वतारोही अनीता कुंडू
हरियाणा पुलिस में है पर्वतारोही अनीता कुंडू.

बेफिक्र और दृढ़ निश्चय के साथ अनीता कुंडू ने अपने डीजीपी से मदद मांगी. जिन्होंने उन्हें पर्वतारोहण और रॉक-क्लाइम्बिंग सीखने की अनुमति दी. जिसके लिए 2009 में उन्हें भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) के साथ एक ट्रेनिंग के लिए भेजा गया. जहां उन्होंने हर ट्रेनिंग में खुद को साबित किया. वजन उठाने से लेकर ऊंचाई पर दौड़ना, जंगल में जीवित रहने के कौशल से लेकर भोजन या पानी के बिना जीवित रहना जैसे गुर सीखे.

अनीता कुंडू ने इन चोटियों पर लहराया तिरंगा- अनीता कुंडू ने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट को तीन बार फतेह किया है. एवरेस्ट की ऊंचाई 8848 मीटर है. इसके अलावा अनीता कुंडू ने ऑस्ट्रेलिया का कार्सटेंस पिरामिड शिखर, उत्तराखंड में रुदुगैरा के 5800 मीटर ऊंचे शिखर को फतेह कर चुकी हैं. उतरी अमेरिका की देनाली पर भी अनीता ने संघर्ष किया. माउंट एवरेस्ट के समान ही माउंट मनास्लू को भी हरियाणा की बेटी ने फतेह किया है. इन सभी उपलब्धियों के लिए अनीता को तेनजिंग नोर्गे नेशनल अवॉर्ड (Tenzing Norgay National Award) से सम्मानित किया जा चुका है.

साल 2009 और 2011 के बीच अनीता ने माउंट सतोपंथ और माउंट कोकस्टेट सहित चुनौतीपूर्ण शिखरों पर चढ़ाई की. अनिता को पर्वतारोही होने के साथ शाकाहारी होने की सभी बाधाओं का सामना करना पड़ा. ठंड के मौसम में दो महीने तक नहाना तक मुमकिन नहीं होता. चढ़ाई के दौरान सूखे मेवे, सूप और डिब्बा बंद खाद्य पदार्थों पर जीवित रहना पड़ा. नेपाल की ओर से सफलतापूर्वक चोटी पर चढ़ने के बाद, अनीता ने पहली बार 2015 में चीन की ओर से माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने का प्रयास किया.

दुर्भाग्य से तब भूकंप आ गया. जिसकी वजह से अनीता को लगभग 22,000 फीट की ऊंचाई के बाद वापस लौटना पड़ा. हालांकि उनकी टीम कुछ सदस्य भूकंप से नहीं बच सके. 21 मई 2017 को अनिता ने फिर से माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई की. जहां वो राष्ट्रीय ध्वज फहराने में सफल रही.

चीन और नेपाल दोनों साइड से एवरेस्ट फतेह करने वाली पहली भारतीय महिला
चीन और नेपाल दोनों साइड से एवरेस्ट फतेह करने वाली पहली भारतीय महिला.

अनीत कुंडू की उपलब्धियां- बीते करीब 14 सालों में अनीता कुंडू दुनिया के कई पहाड़ चढ़कर वहां भारत का तिरंगा लहरा चुकी हैं. 18 मई 2013 को पहली बार एवरेस्ट फतेह करने वाली अनीता कुंडू के नाम कई उपलब्धियां हैं. साल 2017 में उन्होंने चीन के रास्ते एवरेस्ट को फतेह किया और साल 2018 में उन्होंने दुनिया की 7 सबसे ऊंची चोटियों पर तिरंगा लहराया. इसके अलावा अनिता कूंडू, अंटार्कटिका की सबसे ऊंची चोटी विनसन मासिफ, अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी किलिमंजारो, यूरोप की सबसे ऊंची चोटी एल्बर्स, दक्षिण अमेरिका की एकोनकागुआ के फतह किया.

- तीन बार दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट को फतेह कर चुकी हैं.

- एवरेस्ट पर दोनों रास्तों यानी चीन और नेपाल के रास्ते चढ़ने वाली पहली भारतीय महिला पर्वतारोही (First Indian Woman Mountaineer) हैं. दो बार नेपाल और एक बार चीन के रास्ते पहुंची एवरेस्ट की चोटी पर

- दुनिया के सातों महाद्वीपों की सबसे ऊंची चोटियों पर लहराया तिरंगा

- साल 2019 में प्रतिष्ठित तेनजिंग नोर्गे नेशनल अवॉर्ड (Tenzing Norgay National Adventure Award) मिल चुका है.

- हरियाणा सरकार के नारी शक्ति और कल्पना चावला पुरस्कार के साथ-साथ देश के कई प्रतिष्ठित सम्मान उन्हें मिल चुके हैं.

हर महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी पर अनीता कुंडू ने लहराया है तिरंगा
हर महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी पर अनीता कुंडू ने लहराया है तिरंगा

समाज के भी कई पहाड़ लांघे- पिता की मौत के बाद घर की सबसे बड़ी बेटी होने की वजह से रिश्तेदारों ने उन्हें शादी के लिए मजबूर किया. लेकिन समाज की सोच को उन्होंने सिरे से खारिज किया और घर की जिम्मेदारी संभालने के लिए मां के साथ खेती-बाड़ी और दूध बेचने का काम किया. जहां-जहां महिलाओं को पुरुषों से कम आंका गया अनीता ने उस काम को करने की ठानी. पुलिस की नौकरी के लिए भी महिलाओं को कम आंका जाता था लेकिन अनीता ने उस चैलेंज को भी स्वीकार किया और जब पर्वतारोही बनने की बात आई तो उन्होंने फिर से समाज के हर पहाड़ को लांघकर अपना सपना पूरा किया.

दुनिया की कई चोटियों को फतेह कर चुकी हैं अनीता कुंडू
दुनिया की कई चोटियों को फतेह कर चुकी हैं अनीता कुंडू.

हरियाणा की पर्वतारोही अनीता कुंडू कहती हैं कि महिलाएं आज किसी से कम नहीं है. और वो हर उस काम को मुमकिन करने में यकीन रखती हैं जिसे महिलाओं के लिए मुश्किल या नामुमकिन माना जाता है. स्वतंत्रता दिवस के 75 बरस पूरे होने पर (Indian Independence Day) अनीता कुंडू जैसी नारी शक्ति (Nari Shakti) को पूरा देश सलाम करता है. जिन्होंने अपनी राह में आने वाली हर बाधा को दरकिनार करते हुए देश के तिरंगे का मान बढ़ाया है.

ये भी पढ़ें: Nari Shakti Seema Thakur: HRTC बस का स्टीयरिंग थामने वाली पहली महिला ड्राइवर सीमा ठाकुर की कहानी

हिसार/शिमला: देश को आजाद हुए 75 साल हो चुके हैं और इस वर्ष को आजादी के अमृत महोत्सव (Azadi ka Amrit Mahotsav) के रूप में मनाया जा रहा है. आजादी के सात दशक बाद (Indian Independence Day) भारत हर मोर्चे पर दुनिया के अग्रणी देशों को टक्कर दे रहा है. इसमें महिलाओं ने भी अपनी भूमिका निभाई है. आज महिलाओं ने कई क्षेत्रों में अपने हुनर का झंडा बुलंद किया है. आजादी के 75 साल का जश्न ऐसी महिला एचीवर्स के बिना अधूरा है. ये वो नारी शक्ती (Nari Shakti) है जिसने अपने जज्बे और हौसले की बदौलत देश का नाम रोशन किया. आज बात हरियाणा की उस बेटी की करेंगे जिसने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट (Mount Everest) को एक-दो बार नहीं बल्कि तीन बार फतेह किया.

मिलिए पर्वतारोही अनीता कुंडू से- हरियाणा के हिसार जिले में पैदा हुई अनीता कुंडू (Mountaineer Anita Kundu) का एडवेंचर गेम्स के प्रति शुरू से ही लगाव रहा. लेकिन समाज के रोड़े कई रोड़े उनकी राह में (Anita Kundu From Haryana) थे. फिर भी आज वो देश और दुनिया की जानी-मानी पर्वतारोही बन पाई हैं तो वो इसका श्रेय अपने माता-पिता को देती हैं. अनीता के मुताबिक उसके परिवारवाले अशिक्षित थे लेकिन उनकी सोच बड़ी थी. बेटा-बेटी में फर्क ना करके उन्होंने मुझे प्रेरित किया. जब अनीता 12 साल की थी तो उनके पिता का निधन हो गया, चार भाई बहनों में सबसे बड़ी होने के कारण जिम्मेदारी का बोझ आ गया. जिसके बाद उनके सपनों की उड़ान पर असर तो जरूर पड़ा लेकिन वक्त के साथ उन्होंने हालात को बौना साबित कर दिया.

पर्वतारोही अनीता कुंडू
पर्वतारोही अनीता कुंडू.

पढ़ाई और कबड्डी का शौक- अनीता की पढ़ाई हिसार से हुई और उन्होंने बीए की पढ़ाई जाट कॉलेज से की. इसके बाद प्राइवेट इंस्टीट्यूट से उन्होंने एमए हिस्ट्री से की. अनीता कुंडू हरियाणा के हिसार जिले के फरीदपुर गांव (Haryana Mountaineer Anita Kundu) की रहने वाली अनीता को बचपन में कबड्डी का शौक था, जिसके चलते उसने 5वीं कक्षा से ही कबड्डी खेलना शुरू कर दिया, लेकिन अनीता अपने इस शौक को अधिक दिन नहीं रख पाई. पिता की मौत के बाद सारे शौक धरे रह गए और परिवार को पालने की जिम्मेदारी ने नौकरी की राह पर छोड़ दिया.

एवरेस्ट पर लहराया तीन बार तिरंगा
एवरेस्ट पर लहराया तीन बार तिरंगा.

2008 में हरियाणा पुलिस में भर्ती हुईं- अनीता कुंडू अपने दम पर साल 2008 में हरियाणा पुलिस में भर्ती हुई. ये उनकी जिंदगी का टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ, क्योंकि इसके बाद उन्होंने पर्वतारोहण को लेकर कई बेसिक कोर्स किए और खुद को एक सफल पर्वतारोही के रूप में साबित किया. शुरूआत में देश की कई चोटियों को जीतने के बाद उन्होंने दुनिया की ऊंची-ऊंची चोटियों को बौना साबित कर दिया.

हरियाणा पुलिस में है पर्वतारोही अनीता कुंडू
हरियाणा पुलिस में है पर्वतारोही अनीता कुंडू.

बेफिक्र और दृढ़ निश्चय के साथ अनीता कुंडू ने अपने डीजीपी से मदद मांगी. जिन्होंने उन्हें पर्वतारोहण और रॉक-क्लाइम्बिंग सीखने की अनुमति दी. जिसके लिए 2009 में उन्हें भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) के साथ एक ट्रेनिंग के लिए भेजा गया. जहां उन्होंने हर ट्रेनिंग में खुद को साबित किया. वजन उठाने से लेकर ऊंचाई पर दौड़ना, जंगल में जीवित रहने के कौशल से लेकर भोजन या पानी के बिना जीवित रहना जैसे गुर सीखे.

अनीता कुंडू ने इन चोटियों पर लहराया तिरंगा- अनीता कुंडू ने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट को तीन बार फतेह किया है. एवरेस्ट की ऊंचाई 8848 मीटर है. इसके अलावा अनीता कुंडू ने ऑस्ट्रेलिया का कार्सटेंस पिरामिड शिखर, उत्तराखंड में रुदुगैरा के 5800 मीटर ऊंचे शिखर को फतेह कर चुकी हैं. उतरी अमेरिका की देनाली पर भी अनीता ने संघर्ष किया. माउंट एवरेस्ट के समान ही माउंट मनास्लू को भी हरियाणा की बेटी ने फतेह किया है. इन सभी उपलब्धियों के लिए अनीता को तेनजिंग नोर्गे नेशनल अवॉर्ड (Tenzing Norgay National Award) से सम्मानित किया जा चुका है.

साल 2009 और 2011 के बीच अनीता ने माउंट सतोपंथ और माउंट कोकस्टेट सहित चुनौतीपूर्ण शिखरों पर चढ़ाई की. अनिता को पर्वतारोही होने के साथ शाकाहारी होने की सभी बाधाओं का सामना करना पड़ा. ठंड के मौसम में दो महीने तक नहाना तक मुमकिन नहीं होता. चढ़ाई के दौरान सूखे मेवे, सूप और डिब्बा बंद खाद्य पदार्थों पर जीवित रहना पड़ा. नेपाल की ओर से सफलतापूर्वक चोटी पर चढ़ने के बाद, अनीता ने पहली बार 2015 में चीन की ओर से माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने का प्रयास किया.

दुर्भाग्य से तब भूकंप आ गया. जिसकी वजह से अनीता को लगभग 22,000 फीट की ऊंचाई के बाद वापस लौटना पड़ा. हालांकि उनकी टीम कुछ सदस्य भूकंप से नहीं बच सके. 21 मई 2017 को अनिता ने फिर से माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई की. जहां वो राष्ट्रीय ध्वज फहराने में सफल रही.

चीन और नेपाल दोनों साइड से एवरेस्ट फतेह करने वाली पहली भारतीय महिला
चीन और नेपाल दोनों साइड से एवरेस्ट फतेह करने वाली पहली भारतीय महिला.

अनीत कुंडू की उपलब्धियां- बीते करीब 14 सालों में अनीता कुंडू दुनिया के कई पहाड़ चढ़कर वहां भारत का तिरंगा लहरा चुकी हैं. 18 मई 2013 को पहली बार एवरेस्ट फतेह करने वाली अनीता कुंडू के नाम कई उपलब्धियां हैं. साल 2017 में उन्होंने चीन के रास्ते एवरेस्ट को फतेह किया और साल 2018 में उन्होंने दुनिया की 7 सबसे ऊंची चोटियों पर तिरंगा लहराया. इसके अलावा अनिता कूंडू, अंटार्कटिका की सबसे ऊंची चोटी विनसन मासिफ, अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी किलिमंजारो, यूरोप की सबसे ऊंची चोटी एल्बर्स, दक्षिण अमेरिका की एकोनकागुआ के फतह किया.

- तीन बार दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट को फतेह कर चुकी हैं.

- एवरेस्ट पर दोनों रास्तों यानी चीन और नेपाल के रास्ते चढ़ने वाली पहली भारतीय महिला पर्वतारोही (First Indian Woman Mountaineer) हैं. दो बार नेपाल और एक बार चीन के रास्ते पहुंची एवरेस्ट की चोटी पर

- दुनिया के सातों महाद्वीपों की सबसे ऊंची चोटियों पर लहराया तिरंगा

- साल 2019 में प्रतिष्ठित तेनजिंग नोर्गे नेशनल अवॉर्ड (Tenzing Norgay National Adventure Award) मिल चुका है.

- हरियाणा सरकार के नारी शक्ति और कल्पना चावला पुरस्कार के साथ-साथ देश के कई प्रतिष्ठित सम्मान उन्हें मिल चुके हैं.

हर महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी पर अनीता कुंडू ने लहराया है तिरंगा
हर महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी पर अनीता कुंडू ने लहराया है तिरंगा

समाज के भी कई पहाड़ लांघे- पिता की मौत के बाद घर की सबसे बड़ी बेटी होने की वजह से रिश्तेदारों ने उन्हें शादी के लिए मजबूर किया. लेकिन समाज की सोच को उन्होंने सिरे से खारिज किया और घर की जिम्मेदारी संभालने के लिए मां के साथ खेती-बाड़ी और दूध बेचने का काम किया. जहां-जहां महिलाओं को पुरुषों से कम आंका गया अनीता ने उस काम को करने की ठानी. पुलिस की नौकरी के लिए भी महिलाओं को कम आंका जाता था लेकिन अनीता ने उस चैलेंज को भी स्वीकार किया और जब पर्वतारोही बनने की बात आई तो उन्होंने फिर से समाज के हर पहाड़ को लांघकर अपना सपना पूरा किया.

दुनिया की कई चोटियों को फतेह कर चुकी हैं अनीता कुंडू
दुनिया की कई चोटियों को फतेह कर चुकी हैं अनीता कुंडू.

हरियाणा की पर्वतारोही अनीता कुंडू कहती हैं कि महिलाएं आज किसी से कम नहीं है. और वो हर उस काम को मुमकिन करने में यकीन रखती हैं जिसे महिलाओं के लिए मुश्किल या नामुमकिन माना जाता है. स्वतंत्रता दिवस के 75 बरस पूरे होने पर (Indian Independence Day) अनीता कुंडू जैसी नारी शक्ति (Nari Shakti) को पूरा देश सलाम करता है. जिन्होंने अपनी राह में आने वाली हर बाधा को दरकिनार करते हुए देश के तिरंगे का मान बढ़ाया है.

ये भी पढ़ें: Nari Shakti Seema Thakur: HRTC बस का स्टीयरिंग थामने वाली पहली महिला ड्राइवर सीमा ठाकुर की कहानी

Last Updated : Aug 10, 2022, 5:37 PM IST
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