शिमला: सप्ताह के पहले ही दिन सोमवार को कुल्लू बस हादसे (Kullu Bus Accident) ने हिमाचल को गहरा घाव दिया है. इस सड़क दुर्घटना में 13 लोगों की मौत हो गई. भयावह हादसे में केवल ड्राइवर और कंडक्टर ही बचे हैं. ये कोई पहला मौका नहीं है, जब हिमाचल में बस हादसे ने कभी न भरने वाले जख्म दिए हैं. हिमाचल की सड़कों पर दोपहिया, चार पहिया वाहनों के हादसे अकसर देखने को मिलते हैं, लेकिन बस हादसों में कैजुअल्टी अधिक होती है. कुल्लू बस हादसे में 15 सवारियों में से केवल चालक व परिचालक ही जिंदा बचे हैं. पीड़ादायक तथ्य ये है कि हिमाचल में हर महीने 100 से अधिक लोग सड़क दुर्घटनाओं (road accidents in Himachal) में जान गंवा देते हैं. हर हादसे के बाद मैजिस्ट्रियल जांच के आदेश होते हैं, लेकिन दुर्घटनाओं की रफ्तार में कोई कमी नहीं आती है.
हिमाचल में सड़क हादसे: हिमाचल में वर्ष 2016 से वर्ष 2020 तक 14504 रोड एक्सीडेंट (Major Bus Accidents in Himachal) पेश आए. वर्ष 2016 में पूरे साल भर दुर्घटनाओं की संख्या 3168 थी. इसी तरह वर्ष 2017 में 3114, वर्ष 2018 में 3110, वर्ष 2019 में 2873, वर्ष 2020 में 2239 रोड एक्सीडेंट हुए. यदि दुर्घटनाओं में मौतों का आंकड़ा देखें तो साल 2016 में 1271, साल 2017 में 1203, साल 2018 में 1208, साल 2019 में 1146 मौतें हुईं. दो साल पहले यानी वर्ष 2020 में कोरोना संकट आ गया. तब लॉकडाउन लगा था और हादसों की संख्या कम हुई थी. कोरोना वर्ष में यानी 2020 में हिमाचल में सड़क दुर्घटनाओं में 893 लोगों की मौत हुई. इस तरह पांच साल का आंकड़ा देखें तो पहाड़ी प्रदेश हिमाचल में 5721 लोगों की जान गई. इस तरह हिमाचल में हर साल औसतन 1144 लोगों की जान एक्सीडेंट में जा रही है.
हिमाचल में किस साल कितने सड़क हादसे और कितने लोगों की मौतों | ||
साल | सड़क हादसे | मौत |
2016 | 3168 | 1271 |
2017 | 3114 | 1203 |
2018 | 3110 | 1208 |
2019 | 2873 | 1146 |
2020 | 2239 | 893 |
कुल | 14504 | 5721 |
तीन साल पहले भी कुल्लू ने देखा था दिल दहला देने वाला मंजर: तीन साल पहले कुल्लू के ही बंजार में बस हादसे में 46 लोगों की मौत ने पूरे देश को गमगीन कर दिया था. निजी बस दुर्घटना का शिकार हुई थी. ये हादसा 21 जून 2019 को हुआ था. दुर्घटना में पहले 44 लोगों की मौत हुई और फिर गंभीर रूप से घायल दो यात्रियों ने पीजीआई चंडीगढ़ में दम तोड़ दिया था. निजी बस बंजार से गाड़ा गुशैणी जा रही थी. इस बस हादसे में 35 लोग घायल हुए थे. क्षमता से अधिक सवारियां बस में बिठाई गई थीं. एक तरह से ये लापरवाही का मामला था. हादसे में कई युवाओं ने अपनी जान गंवाई थी. तीन साल पहले ही 28 अप्रैल 2019 को पठानकोट से डलहौजी जा रही बस हादसे का शिकार हुई, जिसमें 12 यात्रियों की मौत हो गई थी.
नूरपुर बस हादसे में बुझ गए थे कई घरों के चिराग: कांगड़ा जिले के नूरपुर में स्कूल बस हादसे के जख्म अभी भी हरे हैं. नूरपुर बस हादसे में वर्ष 2018 में 26 बच्चों की जान चली गई थी. फिर अगले साल यानी 2019 में सिरमौर जिले के ददाहू में स्कूल बस हादसे का शिकार हुई और सात बच्चे काल कवलित हो गए. नूरपुर बस हादसे के ठीक नौ महीने बाद ददाहू बस हादसा हुआ था. पीड़ा की बात देखिए कि जिस दिन हाईकोर्ट में नूरपुर बस हादसे को लेकर सुनवाई हो रही थी, उसी दिन सिरमौर के ददाहू में स्कूल बस दुर्घटनाग्रस्त हो गई. इसी तरह शिमला शहर के उपनगर झंझीड़ी में स्कूली बस दुर्घटना का शिकार हुई, जिसमें दो बच्चों की मौत हो गई थी. इसी साल 26 अप्रैल को मंडी के कोटली में स्कूल बस खाई में गिर गई. इस हादसे में 15 बच्चे घायल हुए थे. गनीमत रही कि हादसा भयावह नहीं था.
हिमाचल के बड़े बस हादसे
- 11 अगस्त 2012: चंबा का गागला में बस हादसे में 52 लोगों की मौत.
- 27 सितंबर 2013: सिरमौर जिले के ददाहू में ददाहू-टिक्कर मार्ग पर बस हादसे में 21 लोगों की मौत.
- वर्ष 2013 में मंडी के झीड़ी में निजी बस हादसे में 48 लोगों की मौत हुई थी.
- नवंबर 2014: चंबा में 3 नवंबर को निजी बस हादसे में 16 लोगों की मौत. बस दुर्घटना में 12 लोगों ने मौके पर ही दम तोड़ दिया था.
- 23 जुलाई 2015: कुल्लू में पार्वती नदी में बस गिरने से 45 की मौत.
- सितंबर 2015: जनजातीय जिला किन्नौर केनाथपा में निजी बस के गहरी खाई में गिरी, 18 यात्रियों की मौत, 15 घायल.
- नवंबर 2016 की सात तारीख को मंडी के बिंद्रावणी में निजी बस हादसे में 17 लोगों की मौत.
- 20 अप्रैल 2017: शिमला जिले में हिमाचल व उत्तराखंड सीमा पर गुम्मा के समीप बस हादसे में 45 लोगों की मौत.
- 20 जुलाई 2017: जिला शिमला के रामपुर के खनेरी में निजी बस हादसे में 28 लोगों की मौत.
- जून 2018: शिमला से टिक्कर जा रही सरकारी बस हादसे का शिकार. इसमें 9 यात्रियों ने जान गांवाई थी.
- 10 मार्च 2021: चंबा के बैरागढ़ में निजी बस हादसे में 10 लोगों की मौत.
मानवीय लापरवाही और ओवर स्पीड के कारण सबसे अधिक दुर्घटना: सड़क दुर्घटनाओं में सबसे अधिक पेश आया कारण मानवीय लापरवाही और ओवर स्पीड है. सरकार ने विधानसभा में सड़क हादसों पर हुई चर्चा में बताया था कि हिमाचल में कुल हादसों में 95 फीसदी हादसे मानवीय चूक से होते हैं. ओवर स्पीड से 51 फीसदी से अधिक, गफलत के कारण मुड़ने से 16 फीसदी से अधिक, लापरवाही से गाड़ी चलाने के कारण 9 फीसदी से अधिक हादसे हुए. इसके अलावा 4.5 फीसदी हादसे खराब सड़कों, गाड़ियों की खस्ताहालत और मौसम आदि के कारण पेश आए हैं. ब्लैक स्पॉट पर भी हादसे अधिक होते हैं. वहीं, हिमाचल पुलिस के सर्वे के अनुसार राज्य में शाम छह से नौ बजे के बीच सबसे अधिक हादसे होते हैं. कुल हादसों का 49 फीसदी ओवर स्पीड के कारण देखा गया है. रैश ड्राइविंग के कारण 19 फीसदी हादसे पेश आते हैं.
सड़क दुर्घटनाओं को लेकर हिमाचल पुलिस चिंतित: प्रदेश में हो रही सड़क दुर्घटनाओं को लेकर हिमाचल पुलिस भी चिंतित है. इसी को देखते हुए हिमाचल पुलिस ने एक सर्वे किया है, जिसमेx यह सामने आया है पिछले 5 सालों में 3,020 सड़क दुर्घटनाओं (वाहन सड़क से लुढ़कने के कारण हादसा rolled down accident in Himachal) हुई है, जिसमे 2,633 लोगो की मौत हुई है. सड़क के किनारे क्रैश बैरियर नहीं होने के कारण राज्य में 'रोल डाउन' दुर्घटनाएं दुर्घटनाओं का प्रमुख कारण बन गई हैं.
राज्य की कुल 38,035 किमी सड़क की लंबाई में दुर्घटना अवरोध कुल सड़क लंबाई के केवल 520 किमी (1.36%) पर स्थापित हैं. इन निष्कर्षों का विश्लेषण हिमाचल प्रदेश पुलिस विभाग द्वारा इन दुर्घटनाओं के मूल कारणों का आकलन करने और ऐसी दुर्घटनाओं को कम करने की रणनीति तैयार करने के लिए किया गया है. रोल डाउन के आंकड़ों के अनुसार 2,633 कीमती जानें चली गईं और 6,792 लोग घायल हो गए.
सबसे अधिक शिमला में दुर्घटनाएं: इस तरह की सबसे अधिक दुर्घटनाएं, 973 (32%) शिमला जिले में हुई हैं, इसके बाद मंडी 425 (14%) और 306 (10%) चंबा और सिरमौर में हुई हैं. शिमला जिले में सबसे अधिक 869 (33%), मंडी में 331 (13%), चंबा में 284 (11%) मौतें हुईं. 3,020 दुर्घटनाओं में से 2,881 (95%) रोल डाउन दुर्घटनाएं राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में हुई हैं. जबकि रोल डाउन दुर्घटनाएं पूरे दिन समान रूप से वितरित की जाती हैं, सबसे अधिक दुर्घटनाएं 587 (20%) शाम 6 बजे से 9 बजे के बीच हुई हैं.
राज्य में राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों पर 1185 (39%) के बाद लिंक सड़कों पर 1,679 (56%) ऐसी दुर्घटनाएं हुई हैं. 1,264 (42%) दुर्घटनाओं का प्रमुख कारण ओवर स्पीडिंग पाया गया है, इसके बाद 641 (21%) में खतरनाक ड्राइविंग और 609 (20%) में बिना देखभाल के मोड़ है. 1,530 (51%) रोल डाउन दुर्घटनाओं में, मोटर कारें शामिल थीं, इसके बाद 592 (20%) में पिकअप/जीप शामिल थे, जबकि पिछले पांच वर्षों में कुल 79 बसें लुढ़क गई.
कुल्लू जिले की सैंज घाटी में सोमवार की सुबह हुए दर्दनाक हादसे के मद्देनजर पुलिस महानिदेशक संजय कुंडू ने चालकों द्वारा यातायात उल्लंघन को कम करने के लिए यातायात जांच को बढ़ाने के लिए फील्ड संरचनाओं को निर्देश जारी किए हैं. उन्होंने कहा, 'ब्लैक स्पॉट, क्लस्टर का विवरण हिमाचल प्रदेश लोक निर्माण विभाग (एचपीपीडब्ल्यूडी) के अधिकारियों के पास क्रैश बैरियर लगाने के लिए है.' इसके अलावा, प्रत्येक जिले में 10 संवेदनशील हिस्सों की एक सूची, जिन्हें तुरंत दुर्घटना अवरोधों की आवश्यकता होती है, को एचपीपीडब्ल्यूडी अधिकारियों के साथ साझा किया गया है.
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