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बंदरों को मारने और उनकी नसबंदी का काम नगर निगम का नहीं- मेयर

शहर में लोगों के लिए परेशानी का सबब बन चुके बंदरों से निजात दिलाने के लिए नगर निगम ने अब अपने हाथ पीछे खींच लिए हैं. महापौर कुसुम सदरेट ने दो टूक कहा कि बंदरों को मारने और उनकी नसबंदी का काम नगर निगम का नहीं है.

Monkey probleam not solub by Municipal Corporation
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Published : Aug 1, 2019, 10:03 PM IST

शिमला: शहर में लोगों के लिए परेशानी का सबब बन चुके बंदरों से निजात दिलाने के लिए नगर निगम ने अब अपने हाथ पीछे खींच लिए हैं. दरअसल नगर निगम बंदरों की समस्या से छुटकारा दिलाने का कार्य वाइल्ड लाइफ का बताकर अपना पल्ला झाड़ लिया है.

महापौर कुसुम सदरेट ने दो टूक कहा कि बंदरों को मारने और उनकी नसबंदी का काम नगर निगम का नहीं है. महापौर एक तरफ तो शहर में बंदरों की गंभीर समस्या होने की बात तो कर रही है, लेकिन जब बंदरों की समस्याओं से निजात दिलाने की बात आ रही है तो सारी जिम्मेदारी वाइल्ड लाइफ पर थोप देती हैं.

महापौर कुसुम सदरेट ने कहा कि बंदरों की समस्या काफी पुरानी है और बंदरों पर सिर्फ वाइल्ड लाइफ ही काम करता है. उन्होंने बताया कि वाइल्ड लाइफ को पत्र लिखकर बंदरों पर जल्द कार्रवाई करने को कहा गया है.

वीडियो

बता दें कि शिमला में बच्चों से लेकर बजुर्ग और पर्यटक तक बंदरों के आतंक से परेशान हैं. शहर में हर रोज 6 से ज्यादा मामले अस्पतालों में बंदरों के काटने के आते हैं. आलम यह है कि लोगों का घरों से बाहर निकलना दुश्वार हो गया है. हालांकि सरकार ने बंदरों को वर्मिन घोषित कर उन्हें मारनी की अनुमति दे दी है, लेकिन कोई उन्हें मारने के लिए आगे नहीं आ रहा है.

शिमला: शहर में लोगों के लिए परेशानी का सबब बन चुके बंदरों से निजात दिलाने के लिए नगर निगम ने अब अपने हाथ पीछे खींच लिए हैं. दरअसल नगर निगम बंदरों की समस्या से छुटकारा दिलाने का कार्य वाइल्ड लाइफ का बताकर अपना पल्ला झाड़ लिया है.

महापौर कुसुम सदरेट ने दो टूक कहा कि बंदरों को मारने और उनकी नसबंदी का काम नगर निगम का नहीं है. महापौर एक तरफ तो शहर में बंदरों की गंभीर समस्या होने की बात तो कर रही है, लेकिन जब बंदरों की समस्याओं से निजात दिलाने की बात आ रही है तो सारी जिम्मेदारी वाइल्ड लाइफ पर थोप देती हैं.

महापौर कुसुम सदरेट ने कहा कि बंदरों की समस्या काफी पुरानी है और बंदरों पर सिर्फ वाइल्ड लाइफ ही काम करता है. उन्होंने बताया कि वाइल्ड लाइफ को पत्र लिखकर बंदरों पर जल्द कार्रवाई करने को कहा गया है.

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बता दें कि शिमला में बच्चों से लेकर बजुर्ग और पर्यटक तक बंदरों के आतंक से परेशान हैं. शहर में हर रोज 6 से ज्यादा मामले अस्पतालों में बंदरों के काटने के आते हैं. आलम यह है कि लोगों का घरों से बाहर निकलना दुश्वार हो गया है. हालांकि सरकार ने बंदरों को वर्मिन घोषित कर उन्हें मारनी की अनुमति दे दी है, लेकिन कोई उन्हें मारने के लिए आगे नहीं आ रहा है.

Intro:शिमला शहर में लोगो के लिए परेशानी का सबब बन चुके बन्दरो से निजात दिलाने में नगर निगम ने अब अपने हाथ खींच लिए है। नगर निगम बन्दरो की समस्या से छुटकारा दिलाने का कार्य वाइल्ड लाइफ का बता कर अपना पल्ला झाड़ लिया है।महापौर कुसुम सदरेट ने दो टूक कहा कि बन्दरो को मारने ओर उसकी नसबंदी का काम नगर निगम का नही है । बन्दरो का नगर निगम कुछ नही कर सकता है। महापौर एक तरफ तो शहर में बन्दरो की गम्भीर समस्या होने की बात तो कर रही है लेकिन जब इन बन्दरो की समस्याओं से निजात दिलाने की बात आ रही है तो सारी जिम्मेवारी वाइल्ड लाइफ पर थोफ कर अपना पल्ला झाड़ रही है।


Body:महापौर कुसुम सदरेट ने कहा कि बन्दरो की समस्या काफी पुरानी है। बन्दरो पर सिर्फ वाइल्ड लाइफ ही काम करता है। उन्हें पत्र लिख दिया है और उन्हें शहर में बन्दरो पर जल्द कार्यवाई करने को कहा है। उन्होने कहा कि नगर निगम इस मामले में कुछ नही कर सकता है।


Conclusion:बता दे शिमला शहर में बन्दरो के आतंक से बच्चो से लेकर बजुर्ग ओर यहां आने वाले पर्यटक भी परेशान है। शहर में हर रोज 6 से ज्यादा मामले अस्पतालों में बंदरों के काटने के आते है। लोगो का घरों से बाहर निकलना भी दुश्वार ही गया है। हालांकि सरकार ने बन्दरो को वर्मिन घोषित कर उन्हें मारनी की अनुमति दे दी है लेकिन कोई उन्हें मारने के लिए आगे नही आ रहा है। धर्मिक आस्था के चलते लोग बन्दरो को नही मार रहे है। लोग सरकार और नगर निगम से बन्दरो से छुटकारा दिलाने की गुहार लगा रहे है लेकिन निगम ने भी अब हाथ खड़े कर दिए है।
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