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20 फरवरी तक होंगे विवाह, फिर 22 फरवरी को अस्त होंगे देवगुरु बृहस्पति

हिंदू धर्म में किसी भी मांगलिक कार्य खासतौर पर विवाह के लिए शुभ मुहूर्त का विशेष महत्व होता है. इसीलिए जब बात शादी की हो तो सबसे पहले शुभ मुहूर्त पर ही विचार किया जाता है और शादियों के शुभ मुहूर्त निकलते हैं ग्रह नक्षत्रों की चाल से. आज धर्म में हम आपको बताएंगे कि आने वाले दिनों में पड़ने वाले शुभ मुहूर्तों के विषय में. साथ ही बताएंगे कि 21 फरवरी से 15 अप्रैल तक आखिर क्यों नहीं है एक भी विवाह मुहूर्त.

अस्त होंगे देवगुरु बृहस्पति
अस्त होंगे देवगुरु बृहस्पति
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Published : Feb 19, 2022, 11:55 AM IST

शिमला : 22 फरवरी से 24 मार्च के बीच देव गुरु बृहस्पति अस्त रहेंगे. देव गुरु बृहस्पति के अस्त होने को सामान्य बोलचाल की भाषा में तारा लगना कहते हैं. तारा लगने पर शादी विवाह जैसे कार्य वर्जित रहते हैं. इस बीच होलाष्टक लग जाएंगे और उसके बाद सूर्य के मीन मलमास शुरू हो जाएंगे. अगला विवाह मुहूर्त 15 अप्रैल के बाद ही शुरू होगा.

ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि 22 फरवरी को देव गुरु बृहस्पति अस्त हो जाएंगे. इस बार शादियों के लिए मई और जून में सबसे ज्यादा मुहूर्त होंगे. 2022 में अक्षय तृतीया और देवउठनी एकादशी अबूझ मुहूर्त को मिलाकर शादियों के लिए कुल 52 दिन शुभ रहेंगे. अब फरवरी में शादी 20 फरवरी तक हैं. इसके बाद करीब डेढ़ माह के लिए विवाह और गृह प्रवेश, मुंडन, नामकरण सहित अन्य मांगलिक कार्यों पर विराम लग जाएगा, क्योंकि 22 फरवरी से गुरु अस्त हो जाएंगे. देवगुरु बृहस्पति को शादी समेत किसी भी मांगलिक कार्य का कारक माना जाता है. इन कार्यों को संपन्न कराने के लिए बृहस्पति का उदय होना बहुत जरूरी है.

22 फरवरी को अस्त होंगे देव गुरु बृहस्पति
22 फरवरी को अस्त होंगे देव गुरु बृहस्पति

वैदिक ज्योतिष में गुरु को शुभ फलदायी ग्रह माना गया है. जन्म कुंडली में गुरु ग्रह की स्थिति शुभ होने पर व्यक्ति को हर क्षेत्र में सफलता हासिल होती है. गुरु की कमजोर स्थिति से जातक को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. गुरु धनु व मीन राशि के स्वामी ग्रह हैं. यह कर्क राशि में उच्च व शनिदेव की राशि मकर में नीच के माने जाते हैं. प्रत्येक गुरुवार शिवजी को बेसन के लड्डू चढ़ाने चाहिए. गुरुवार को व्रत करें. इस दिन पीली वस्तुओं का दान अपने सामर्थ्य के अनुसार करें.

गुरुवार के दिन विष्णु भगवान को घी का दीपक लगाएं. शास्त्रों के मुताबिक विवाह में गुरु ग्रह को उदय होना आवश्यक माना जाता है. हमारे षोडश संस्कारों में विवाह का बहुत महत्त्व है. विवाह का दिन व लग्न निश्चित करते समय वर एवं वधु की जन्म पत्रिका अनुसार सूर्य, चंद्र व गुरु की गोचर स्थिति का ध्यान रखना अति आवश्यक होता है. जिसे त्रिबल शुद्धि कहा जाता है.

24 मार्च तक अस्त रहेंगे बृहस्पति : देवगुरु बृहस्पति 22 फरवरी से 24 मार्च के बीच अस्त रहेंगे. इस एक माह में कोई शुभ कार्य नहीं होगा. होलाष्टक लग जाएंगे और उसके बाद सूर्य के मीन मलमास शुरू हो जाएंगे. इस तरह 15 अप्रैल तक सभी शुभ कार्यों पर रोक रहेगी. सिर्फ 4 मार्च को फुलेरा दूज होने की वजह से आप उस दिन कोई भी शुभ कार्य कर सकते हैं. फुलेरा दूज को अबूझ मुहूर्त माना जाता है. इस दिन आप कोई भी मांगलिक कार्य बगैर किसी ज्योतिष से परामर्श लिए भी कर सकते हैं.

गुरु अस्त होने से मार्च में मुहूर्त नहीं : 22 फरवरी को गुरु अस्त हो जाने के बाद 17 अप्रैल से शादियों का सीजन शुरू होगा जो कि 8 जुलाई तक रहेगा. फिर 10 जुलाई को देवशयन होने से चातुर्मास शुरू हो जाएगा और 20 नवंबर तक शादियों के लिए मुहूर्त नहीं रहेंगे. इसके बाद 21 नवंबर से 14 दिसंबर तक सिर्फ 9 ही विवाह मुहूर्त होंगे.

सबसे ज्यादा विवाह मुहूर्त मई-जून में : इस साल अप्रैल में शादियों के 6 मुहूर्त हैं. वहीं सबसे ज्यादा विवाह मुहूर्त मई में 15 और जून में 12 दिन रहेंगे. इसके बाद जुलाई में 5 दिन और नवंबर में 4 दिन और दिसंबर में 7 विवाह मुहूर्त रहेंगे.

गुरु मंगल के अस्त होने से मौसम में भी होगा बदलाव : 22 फरवरी को गुरु और मंगल पश्चिम दिशा में अस्त हो रहे हैं. इनके अस्त होने से इसका प्रभाव मौसम पर भी पड़ेगा. इस दौरान बारिश ओलावृष्टि के योग बनेंगे. इसी प्रकार गुरु अस्त होने के दो दिन पहले से ही विवाह आदि के मुहूर्त बंद हो जाएंगे. मार्च में मीन संक्रांति के कारण विवाह नहीं होंगे. विवाह कार्यों के लिए गुरु बल और शुक्र बल का होना जरूरी है, इसके बाद ही विवाह के योग बनते हैं. गुरु जहां दाम्पत्य जीवन में सुख देता हैए वहीं शुक्र सुख समृद्धि प्रदान करता है. इसलिए इन दोनों में से अगर एक भी ग्रह अस्त होता है तो इस स्थिति में विवाह के योग नहीं बनते हैं.

शुक्र-गुरु ग्रह के अस्त होने पर विवाह नहीं होते : विवाह मुहूर्त की गणना करते समय शुक्र तारा और गुरु तारा पर विचार किया जाता है. बृहस्पति और शुक्र के अस्त होने पर विवाह और अन्य मांगलिक कार्यक्रम नहीं किए जाते हैं. इसलिए इस दौरान कोई विवाह समारोह नहीं किया जाना चाहिए. आईए जानते हैं वर्ष 2022 के शुभ मुहूर्त -

विवाह के शुभ मुहूर्त
विवाह के शुभ मुहूर्त

ये भी पढ़ें: 19 फरवरी की लकी राशियां, इन 5 राशियों की लव लाइफ रहेगी शानदार, देखें लव राशिफल स्पेशल वीडियो में

शिमला : 22 फरवरी से 24 मार्च के बीच देव गुरु बृहस्पति अस्त रहेंगे. देव गुरु बृहस्पति के अस्त होने को सामान्य बोलचाल की भाषा में तारा लगना कहते हैं. तारा लगने पर शादी विवाह जैसे कार्य वर्जित रहते हैं. इस बीच होलाष्टक लग जाएंगे और उसके बाद सूर्य के मीन मलमास शुरू हो जाएंगे. अगला विवाह मुहूर्त 15 अप्रैल के बाद ही शुरू होगा.

ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि 22 फरवरी को देव गुरु बृहस्पति अस्त हो जाएंगे. इस बार शादियों के लिए मई और जून में सबसे ज्यादा मुहूर्त होंगे. 2022 में अक्षय तृतीया और देवउठनी एकादशी अबूझ मुहूर्त को मिलाकर शादियों के लिए कुल 52 दिन शुभ रहेंगे. अब फरवरी में शादी 20 फरवरी तक हैं. इसके बाद करीब डेढ़ माह के लिए विवाह और गृह प्रवेश, मुंडन, नामकरण सहित अन्य मांगलिक कार्यों पर विराम लग जाएगा, क्योंकि 22 फरवरी से गुरु अस्त हो जाएंगे. देवगुरु बृहस्पति को शादी समेत किसी भी मांगलिक कार्य का कारक माना जाता है. इन कार्यों को संपन्न कराने के लिए बृहस्पति का उदय होना बहुत जरूरी है.

22 फरवरी को अस्त होंगे देव गुरु बृहस्पति
22 फरवरी को अस्त होंगे देव गुरु बृहस्पति

वैदिक ज्योतिष में गुरु को शुभ फलदायी ग्रह माना गया है. जन्म कुंडली में गुरु ग्रह की स्थिति शुभ होने पर व्यक्ति को हर क्षेत्र में सफलता हासिल होती है. गुरु की कमजोर स्थिति से जातक को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. गुरु धनु व मीन राशि के स्वामी ग्रह हैं. यह कर्क राशि में उच्च व शनिदेव की राशि मकर में नीच के माने जाते हैं. प्रत्येक गुरुवार शिवजी को बेसन के लड्डू चढ़ाने चाहिए. गुरुवार को व्रत करें. इस दिन पीली वस्तुओं का दान अपने सामर्थ्य के अनुसार करें.

गुरुवार के दिन विष्णु भगवान को घी का दीपक लगाएं. शास्त्रों के मुताबिक विवाह में गुरु ग्रह को उदय होना आवश्यक माना जाता है. हमारे षोडश संस्कारों में विवाह का बहुत महत्त्व है. विवाह का दिन व लग्न निश्चित करते समय वर एवं वधु की जन्म पत्रिका अनुसार सूर्य, चंद्र व गुरु की गोचर स्थिति का ध्यान रखना अति आवश्यक होता है. जिसे त्रिबल शुद्धि कहा जाता है.

24 मार्च तक अस्त रहेंगे बृहस्पति : देवगुरु बृहस्पति 22 फरवरी से 24 मार्च के बीच अस्त रहेंगे. इस एक माह में कोई शुभ कार्य नहीं होगा. होलाष्टक लग जाएंगे और उसके बाद सूर्य के मीन मलमास शुरू हो जाएंगे. इस तरह 15 अप्रैल तक सभी शुभ कार्यों पर रोक रहेगी. सिर्फ 4 मार्च को फुलेरा दूज होने की वजह से आप उस दिन कोई भी शुभ कार्य कर सकते हैं. फुलेरा दूज को अबूझ मुहूर्त माना जाता है. इस दिन आप कोई भी मांगलिक कार्य बगैर किसी ज्योतिष से परामर्श लिए भी कर सकते हैं.

गुरु अस्त होने से मार्च में मुहूर्त नहीं : 22 फरवरी को गुरु अस्त हो जाने के बाद 17 अप्रैल से शादियों का सीजन शुरू होगा जो कि 8 जुलाई तक रहेगा. फिर 10 जुलाई को देवशयन होने से चातुर्मास शुरू हो जाएगा और 20 नवंबर तक शादियों के लिए मुहूर्त नहीं रहेंगे. इसके बाद 21 नवंबर से 14 दिसंबर तक सिर्फ 9 ही विवाह मुहूर्त होंगे.

सबसे ज्यादा विवाह मुहूर्त मई-जून में : इस साल अप्रैल में शादियों के 6 मुहूर्त हैं. वहीं सबसे ज्यादा विवाह मुहूर्त मई में 15 और जून में 12 दिन रहेंगे. इसके बाद जुलाई में 5 दिन और नवंबर में 4 दिन और दिसंबर में 7 विवाह मुहूर्त रहेंगे.

गुरु मंगल के अस्त होने से मौसम में भी होगा बदलाव : 22 फरवरी को गुरु और मंगल पश्चिम दिशा में अस्त हो रहे हैं. इनके अस्त होने से इसका प्रभाव मौसम पर भी पड़ेगा. इस दौरान बारिश ओलावृष्टि के योग बनेंगे. इसी प्रकार गुरु अस्त होने के दो दिन पहले से ही विवाह आदि के मुहूर्त बंद हो जाएंगे. मार्च में मीन संक्रांति के कारण विवाह नहीं होंगे. विवाह कार्यों के लिए गुरु बल और शुक्र बल का होना जरूरी है, इसके बाद ही विवाह के योग बनते हैं. गुरु जहां दाम्पत्य जीवन में सुख देता हैए वहीं शुक्र सुख समृद्धि प्रदान करता है. इसलिए इन दोनों में से अगर एक भी ग्रह अस्त होता है तो इस स्थिति में विवाह के योग नहीं बनते हैं.

शुक्र-गुरु ग्रह के अस्त होने पर विवाह नहीं होते : विवाह मुहूर्त की गणना करते समय शुक्र तारा और गुरु तारा पर विचार किया जाता है. बृहस्पति और शुक्र के अस्त होने पर विवाह और अन्य मांगलिक कार्यक्रम नहीं किए जाते हैं. इसलिए इस दौरान कोई विवाह समारोह नहीं किया जाना चाहिए. आईए जानते हैं वर्ष 2022 के शुभ मुहूर्त -

विवाह के शुभ मुहूर्त
विवाह के शुभ मुहूर्त

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