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जयराम कैबिनेट ने दी हिमाचल में नए वेतन आयोग को लागू करने की मंजूरी

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Published : Dec 20, 2021, 6:03 PM IST

Updated : Dec 20, 2021, 7:25 PM IST

new pay commission in Himachal
कैबिनेट बैठक में हिमाचल में नए वेतन आयोग को मंजूरी.

17:59 December 20

कैबिनेट बैठक में हिमाचल में नए वेतन आयोग (new pay commission in Himachal) को लागू करने की मंजूरी मिल गई है. नए वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के बाद हिमाचल को सालाना पांच हजार करोड़ रुपए अतिरिक्त जुटाने होंगे. इस फैसले से सरकार पर अतिरिक्त बोझ बढ़ने की संभावना है.

शिमला: जयराम कैबिनेट ने हिमाचल में नए वेतन आयोग (new pay commission in Himachal ) को लागू करने की मंजूरी दी है. जेसीसी बैठक में कर्मचारियों के साथ सहमति बनी थी. चुनावी साल में प्रदेश के सबसे बड़े वोट बैंक को साधने का मास्टर स्ट्रोक प्लान सरकार ने तैयार कर लिया है. इससे सालाना पांच हजार करोड़ रुपए का बोझ पड़ेगा.

हिमाचल का कर्ज 62 हजार करोड़ रुपए से अधिक का हो गया है. यही स्थिति रही तो एक दशक बाद हिमाचल प्रदेश बुरी तरह से डेब्ट ट्रैप (Debt on Himachal Government) यानी कर्ज के मकड़जाल में फंस कर रह जाएगा. केंद्र व वित्तायोग की उदार आर्थिक सहायता के बावजूद हिमाचल की स्थिति में सुधार नहीं आ रहा है. अब हालात ये हो गए हैं कि नए वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के बाद हिमाचल को सालाना पांच हजार करोड़ रुपए अतिरिक्त जुटाने होंगे. हिमाचल के खजाने का अधिकांश हिस्सा कर्मचारियों के वेतन और पेंशनर्स की पेंशन पर खर्च हो रहा है. कैग की रिपोर्ट आने के बाद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि स्थिति का अध्ययन (CM Jairam Thakur on CAG Report) किया जा रहा है और खर्च कम करने पर सरकार जोर देगी.

हिमाचल की नाजुक आर्थिक स्थिति की पृष्ठभूमि पर नजर डालें तो वर्ष 2012 यानी नौ साल पहले जब प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व वाली सरकार ने सत्ता छोड़ी थी तो हिमाचल प्रदेश पर 28760 करोड़ रुपए का कर्ज था. बाद में वीरभद्र सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के समय यह कर्ज बढ़कर 47906 करोड़ रुपए हो गया. मौजूदा सरकार के आंकड़ों के अनुसार हिमाचल सरकार 2018-19 में 5737 करोड़ रुपए मार्केट लोन ले सकती थी, लेकिन सरकार ने कुल 4120 करोड़ रुपए ही लोन लिया.

वित्तीय वर्ष 2020-21 में सरकार की मार्केट लोन की सीमा 9187 करोड़ रुपए थी और लोन केवल 6000 करोड़ रुपए ही लिया गया. भाजपा का कहना है कि जयराम सरकार ने तीन साल में पूर्व की कांग्रेस सरकार के समय लिए गए 19199 करोड़ रुपए के कर्ज (Loan on Jairam government) में से 19486 करोड़ रुपए वापस भी लौटाए हैं.

ये भी पढ़ें: शहीद लांस नायक विवेक कुमार की धर्मपत्नी को पंजाब नेशनल बैंक ने किया एक करोड़ रुपए का चेक भेंट

हिमाचल प्रदेश को पंद्रहवें वित्तायोग से उदार आर्थिक सहायता मिली है. महीने में 952 करोड़ रुपए वित्तायोग की तरफ से मिल रहे हैं. इसके अलावा रेवेन्यू डेफेसिट ग्रांट से भी काफी मदद मिल रही है. वित्तायोग ने अस्सी हजार करोड़ रुपए से अधिक मंजूर किए हैं. उसमें से एक हजार करोड़ रुपए को मंडी ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट (Mandi Green Field Airport) के लिए है, लेकिन हिमाचल कर्ज के जाल से नहीं निकल पा रहा है. कारण ये है कि सरकार के पास संसाधन कम है, खर्च ज्यादा और वेतन-पेंशन का बड़ा बोझ है. नए आयोग की सिफारिशों के बाद सरकार को कर्मचारियों के वेतन और पेंशन पर पचास फीसदी बजट खर्च करना (Himachal trapped in debt trap) पड़ेगा. अभी ये 42 फीसदी है.

ये भी पढ़ें: अगले 48 घंटे तक ठंड से नहीं मिलेगी राहत, 23 दिसंबर को हिमाचल में बर्फबारी की संभावना

17:59 December 20

कैबिनेट बैठक में हिमाचल में नए वेतन आयोग (new pay commission in Himachal) को लागू करने की मंजूरी मिल गई है. नए वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के बाद हिमाचल को सालाना पांच हजार करोड़ रुपए अतिरिक्त जुटाने होंगे. इस फैसले से सरकार पर अतिरिक्त बोझ बढ़ने की संभावना है.

शिमला: जयराम कैबिनेट ने हिमाचल में नए वेतन आयोग (new pay commission in Himachal ) को लागू करने की मंजूरी दी है. जेसीसी बैठक में कर्मचारियों के साथ सहमति बनी थी. चुनावी साल में प्रदेश के सबसे बड़े वोट बैंक को साधने का मास्टर स्ट्रोक प्लान सरकार ने तैयार कर लिया है. इससे सालाना पांच हजार करोड़ रुपए का बोझ पड़ेगा.

हिमाचल का कर्ज 62 हजार करोड़ रुपए से अधिक का हो गया है. यही स्थिति रही तो एक दशक बाद हिमाचल प्रदेश बुरी तरह से डेब्ट ट्रैप (Debt on Himachal Government) यानी कर्ज के मकड़जाल में फंस कर रह जाएगा. केंद्र व वित्तायोग की उदार आर्थिक सहायता के बावजूद हिमाचल की स्थिति में सुधार नहीं आ रहा है. अब हालात ये हो गए हैं कि नए वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के बाद हिमाचल को सालाना पांच हजार करोड़ रुपए अतिरिक्त जुटाने होंगे. हिमाचल के खजाने का अधिकांश हिस्सा कर्मचारियों के वेतन और पेंशनर्स की पेंशन पर खर्च हो रहा है. कैग की रिपोर्ट आने के बाद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि स्थिति का अध्ययन (CM Jairam Thakur on CAG Report) किया जा रहा है और खर्च कम करने पर सरकार जोर देगी.

हिमाचल की नाजुक आर्थिक स्थिति की पृष्ठभूमि पर नजर डालें तो वर्ष 2012 यानी नौ साल पहले जब प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व वाली सरकार ने सत्ता छोड़ी थी तो हिमाचल प्रदेश पर 28760 करोड़ रुपए का कर्ज था. बाद में वीरभद्र सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के समय यह कर्ज बढ़कर 47906 करोड़ रुपए हो गया. मौजूदा सरकार के आंकड़ों के अनुसार हिमाचल सरकार 2018-19 में 5737 करोड़ रुपए मार्केट लोन ले सकती थी, लेकिन सरकार ने कुल 4120 करोड़ रुपए ही लोन लिया.

वित्तीय वर्ष 2020-21 में सरकार की मार्केट लोन की सीमा 9187 करोड़ रुपए थी और लोन केवल 6000 करोड़ रुपए ही लिया गया. भाजपा का कहना है कि जयराम सरकार ने तीन साल में पूर्व की कांग्रेस सरकार के समय लिए गए 19199 करोड़ रुपए के कर्ज (Loan on Jairam government) में से 19486 करोड़ रुपए वापस भी लौटाए हैं.

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हिमाचल प्रदेश को पंद्रहवें वित्तायोग से उदार आर्थिक सहायता मिली है. महीने में 952 करोड़ रुपए वित्तायोग की तरफ से मिल रहे हैं. इसके अलावा रेवेन्यू डेफेसिट ग्रांट से भी काफी मदद मिल रही है. वित्तायोग ने अस्सी हजार करोड़ रुपए से अधिक मंजूर किए हैं. उसमें से एक हजार करोड़ रुपए को मंडी ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट (Mandi Green Field Airport) के लिए है, लेकिन हिमाचल कर्ज के जाल से नहीं निकल पा रहा है. कारण ये है कि सरकार के पास संसाधन कम है, खर्च ज्यादा और वेतन-पेंशन का बड़ा बोझ है. नए आयोग की सिफारिशों के बाद सरकार को कर्मचारियों के वेतन और पेंशन पर पचास फीसदी बजट खर्च करना (Himachal trapped in debt trap) पड़ेगा. अभी ये 42 फीसदी है.

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Last Updated : Dec 20, 2021, 7:25 PM IST
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