इंदौर/शिमला: रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करने के आरोप में पुलिस ने डॉक्टर विनय त्रिपाठी को गिरफ्तार किया था, आरोपी डॉक्टर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के सूरजपुर में टयूलिप फॉर्मूलेशन प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी का संचालन करता था. वहीं से नकली इंजेक्शन बनाने का काम भी किया करता था. फिलहाल, पकड़े गए आरोपी के पास से पुलिस ने नकली इंजेक्शन बरामद किए हैं.
डॉ. के पास से बरामद हुए थे इंजेक्शन के 16 बॉक्स
दरअसल, इंदौर क्राइम ब्रांच ने डॉ. त्रिपाठी के पास से 16 बॉक्स जब्त किए हैं. प्रत्येक बॉक्स में 16 रेमडेसिविर बरामद हुए हैं. डॉक्टर की हिमाचल प्रदेश स्थित कंपनी का कामकाज मैनेजर पिंटू कुमार देखता था. पुलिस की पूछताछ में पिंटू ने बताया कि कंपनी में पेंटाजोल टेबलेट बनाई जाती हैं. पिछले साल लगे लॉकडाउन के बाद से कंपनी बन्द थी. अगस्त 2020 को आरोपी डॉ. त्रिपाठी ने इसे फिर से चालू करवाया था और स्टाफ को वेतन भी दे रहा था.
अवैध तरीके से हो रहा था रेमडेसिविर का निर्माण
डॉ. त्रिपाठी ने मैनेजर पिंटू के माध्यम से धर्मशाला के एडिशनल ड्रग कंट्रोलर के समक्ष रेमडेसिविर बनाने के लिए आवेदन पेश किया था, लेकिन एडिशनल ड्रग कंट्रोलर ने इसकी अनुमति प्रदान नहीं दी थी. इसके बावजूद डॉ. अवैध तरीके से इंजेक्शन के निर्माण कराने का काम कर रहा था. वहीं, यहां भी जानकारी सामने आ रही है कि इस पूरे मामले में एडिशनल ड्रग कंट्रोलर धर्मशाला के द्वारा भी कार्रवाई की जा रही है.
कुछ और लोगों की हो सकती है गिरफ्तारी
इससे पहले क्राइम ब्रांच ने भी कार्रवाई की थी और आरोपी डॉक्टर को गिरफ्तार किया था. डॉ. के पास से 400 रेमडेसिविर भी बरामद किए थे. पूरे मामले में लगातार क्राइम ब्रांच जांच पड़ताल में जुटी हुई है. क्राइम ब्रांच को यह भी अनुमान था कि इंदौर के भी डॉक्टर से जुड़े हुए कई आरोपियों को इस पूरे मामले में गिरफ्तार किया जा सकता था, लेकिन आरोपी ने किस तरह की कोई जानकारी नहीं दी. फिलहाल, इस मामले में जांच अभी भी जारी है. आने वाले समय में इस पूरे मामले में कंपनी से जुड़े कुछ और लोगों को भी गिरफ्तार किया जा सकता है.
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