शिमला: राजधानी शिमला के गेयटी थियेटर (Gaiety Theater Shimla) में आज से तीन दिवसीय इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (International Film Festival in shimla ) का आगाज होने जा रहा है. यहां भारत सहित 16 देशों की चुनिंदा 56 फिल्मों की स्क्रीनिंग की जाएगी. साथ ही जाने माने 30 फिल्म निर्देशक भी शिमला में आयोजित किए जा रहे इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में भाग लेंगे.
फिल्म फेस्टिवल का शुभारंभ मलयालम शार्ट फिल्म 'ईवा' से होगा. ईवा एक महिला ट्रैफिक पुलिसकर्मी (female traffic police personnel) के जीवनपर आधारित फिल्म है, जिसमें एक कामकाजी महिला के जीवन संघर्ष को दिखाया गया है. फिल्म में नौकरीपेशा महिला के सहकर्मियों की मानसिकता दर्शायी गई है. इसमें बताया गया है कि एक लड़की पढ़-लिखकर नौकरी हासिल तो कर लेती है, लेकिन अगर उसे साथ काम करने वालों का सहयोग नही मिल पाता है तो उसके लिए काफी मुश्किल हो जाती है.
गेयटी थियेटर शिमला (Gaiety Theater Shimla) में 26 से 28 नवंबर तक आयोजित होने वाले इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ शिमला (International Film Festival of Shimla) के सातवें संस्करण में शिमला में तेंदुए के आतंक पर बनी फिल्म 'शूट दैट लेपर्ड' (Shoot that leopard) प्रदर्शित की जाएगी. मुंबई के निर्देशक 'सोहेल' और 'शबनम जाफरी' की 52 मिनट की यह डॉक्यूमेंट्री फिल्म शिमला और उत्तराखंड में तेंदुए और मानव के संघर्ष को बयां करती है. यह फिल्म दो ऐसे मुख्य पात्रों की है, जिनमें से एक अपनी बंदूक से तेंदुए को शूट करता है तो दूसरा कैमरे से शूट करता है.
इस बार इंटरनेशनल फेस्टिवल ऑफ शिमला (International Film Festival of Shimla) में अहमदाबाद की निर्देशक प्रमाती आनंद (Director Pramati anand) की 'झटआई बसंत' की स्पेशल स्क्रीनिंग (Special Sreening) की जाएगी. हिमाचली एवं हिंदी भाषा में बनी फिल्म 'झटआई बसंत' की शूटिंग धर्मशाला के आसपास के गांव में हुई है. यह फिल्म दो ऐसी लड़कियों की कहानी है जो अलग-अलग पृष्ठभूमि से आती है, लेकिन उनमें पितृसत्ता का प्रभाव और उससे संघर्ष उन्हें एक ही कटघरे में खड़ा करता है. यह फिल्म महिलाओं पर पितृसत्ता के प्रभाव और उसकी स्वीकृति को भी दर्शाता है. जिसे पुरानी पीढ़ी की स्त्रियां सहर्ष स्वीकार करके अपनी अगली पीढ़ी को हस्तांतरित करना अपना कर्तव्य मानती है.
फेस्टिवल में निर्देशक सोहन लाल की ही मलयाली फीचर फिल्म 'ट्रीज इन ड्रीम्स' भी प्रदर्शित की जाएगी. यह फिल्म एक ऐसे बच्चे की है जो अपने माता-पिता के अपने-अपने करियर में व्यस्त रहने के कारण अकेला महसूस करता है और मानसिक बीमारी से जूझ रहा है. जिसके कारण वह अपने स्कूल में होते हुए भी कल्पना संसार में अपने आप को जंगल में घूमते हुए पाता है. जहां उसे अलग-अलग तरह के लोग मिलते हैं. फिल्म में पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी अलग ढंग से दिया गया है. शॉर्ट फिल्म 'जीरो किलोमीटर' नवाजुद्दीन सिद्दीकी (Nawazuddin Siddiqui) के भाई शम्स नवाज सिद्दीकी द्वारा निर्देशित फिल्म है जो ईंट भट्टी में काम करने वाली एक युवती की कहानी है.
ये भी पढ़ें: SHIMLA: कंडा जेल में कैदियों को दिखाई जाएंगी राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर की पुरस्कृत फिल्में