शिमला: ऐतिहासिक सरस्वती नदी को पुनर्जीवित करने के लिए हिमाचल और हरियाणा सरकार एक साथ सामने आए है. जिसके तहत सरस्वती नदी पर आदिबद्री क्षेत्र में बांध का निर्माण होने जा रहा है. पंचकूला के सेक्टर-1 स्थित पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल और हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की मौजूदगी में शुक्रवार को आदिबद्री बांध निर्माण के लिए एमओयू साइन (HP Govt and Haryana signs MoU) किया गया. इस दौरान सीएम जयराम ने कहा कि देवभूमि हिमाचल और हरियाणा मिलकर सरस्वती नदी को पुनर्जीवित करेंगे.
हरियाणा व हिमाचल सरकार जिला सिरमौर की सरस्वती नदी पर आदिबद्री क्षेत्र में बांध का निर्माण (Adi Badri dam site) करने जा रही है. करीब 100 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले इस बांध का निर्माण जिला सिरमौर के नाहन विधानसभा क्षेत्र की मातर पंचायत में हरियाणा की सीमा पर होगा, जिसमें काफी हिस्सा सिरमौर जिले में भी आ रहा है.
दरअसल, आदिबद्री बांध के निर्माण से (construction of Adi Badri Dam) हिमाचल व हरियाणा के किसानों को सिंचाई व पीने के लिए पानी उपलब्ध होगा. इसके साथ ही बरसात के दिनों में आदिबद्री व हरियाणा के यमुनानगर जिले के विभिन्न क्षेत्रों में बारिश के पानी से बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होने से भी निजात मिलेगी. आदि बद्री में 88 हेक्टेयर भूमि बांध में डूब जाएगी, जिसमें हिमाचल की भूमि 77 हेक्टेयर व हरियाणा की भूमि 11 हेक्टेयर जलमग्न होगी. बांध का निर्माण होने से 3 किलोमीटर की झील बनेगी, लिहाजा यह परियोजना जल संरक्षण, सिंचाई, पेयजल के साथ-साथ पर्यटन के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगी.
सरस्वती नदी का होगा पुनरुद्धार- इस परियोजना के माध्यम से 215.35 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से सरस्वती नदी का पुनरुद्धार होगा. हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की उपस्थिति में दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों ने राज्य सरकारों की ओर से समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर (MOU signed between Himachal and haryana) किए. सीएम जयराम ने कहा कि यह परियोजना हिमाचल प्रदेश के लिए अत्यंत लाभदायक सिद्ध होगी. क्योंकि इससे हिमाचल प्रदेश की 3.92 हेक्टेयर मीटर प्रतिवर्ष पेयजल की आवश्यकता की पूर्ति होगी और प्रभावित बस्तियों के लिए सिंचाई के पानी की उपलब्धता के लिए 57.96 हेक्टेयर मीटर पानी निर्धारित किया जाएगा.
हरियाणा सरकार करेगी धनराशि का इंतजाम- उन्होंने कहा कि बांध (Adi Badri Dam) का उपयोग न केवल सरस्वती नदी के पुनरुद्धार के लिए किया जाएगा, बल्कि इससे क्षेत्र में जल संरक्षण को भी सहायता मिलेगी. उन्होंने कहा कि इस परियोजना के लिए पूरी धनराशि की व्यवस्था हरियाणा सरकार द्वारा की जाएगी. उन्होंने कहा कि दोनों राज्य सरकारें परियोजना के प्राथमिक उद्देश्य से समझौता किए बिना स्वयं के संसाधनों का उपयोग करके स्थानीय लोगों के कल्याण और विकास के लिए आवश्यक बुनियादी सुविधाएं विकसित करने के साथ पयर्टन परियोजनाएं बनाने के लिए भी स्वतंत्र होंगी.
21 परिवार होंगे विस्थापित- मुख्यमंत्री ने कहा कि इस परियोजना से प्रदेश के केवल 21 परिवार विस्थापित होंगे, जिनका समुचित पुनर्वास किया जाएगा. विस्थापितों को पुनर्वास पैकेज और जलवायु संरक्षण पैकेज के साथ भविष्य में आदि बद्री बांध से संबंधित लागत/व्यय हिमाचल प्रदेश की प्रचलित नीतियों व अन्य प्रचलित कानूनों के अनुसार हरियाणा सरकार द्वारा वहन किया जाएगा तथा इससे संबंधित कोई भी देनदारी हिमाचल प्रदेश को हस्तांतरित नहीं की जाएगी.
एचपीपीसीएल करेगी बांध का निर्माण- इस परियोजना के पूरा होने पर सरस्वती नदी फिर से पुनर्जीवित हो जाएगी. उन्होंने कहा कि कुल प्रस्तावित क्षेत्र में से 31.16 हेक्टेयर भूमि हिमाचल प्रदेश की है, जिसमें से 0.67 हेक्टेयर निजी भूमि और 30.49 हेक्टेयर वन भूमि शामिल है. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश की सोंब नदी से बांध को 224 हेक्टेयर मीटर जल की आपूर्ति होगी, जो यमुना नगर जिले में आदिबद्री के समीप यमुना में मिलती है. उन्होंने कहा कि आदिबद्री बांध और इससे संबंधित अधोसंरचना के लिए एचपीपीसीएल कार्यकारी संस्था होगी.
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