शिमला: हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में बीते पांच सालों से बंद पड़े होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई फिर से शुरू होगी. इस कोर्स के संचालन के लिए पूरा इंफ्रास्ट्रक्चर एचपीयू में तैयार हो चुका है. एचपीयू के नए मल्टी फैकल्टी भवन में होटल मैनजमेंट कोर्स को चलाने के लिए अलग विभाग तैयार किया गया है. यहां कोर्स से जुड़े शिक्षकों के लिए फैकल्टी कार्यालय, छात्रों के लिए क्लासरूम और सबसे खास किचन, पैंट्री, सहित रेस्टोरेंट का निर्माण भी किया गया है.
इंफ्रास्ट्रक्चर को कोर्स की आवश्यकता के अनुसार ही तैयार किया गया है. अब छात्रों को लैब में होटल मैनेजमेंट के प्रैक्टिकल वर्क से जुड़े काम के लिए इस्तेमाल होने वाले इक्विपमेंट्स और अन्य सामान लिया जाएगा. कोर्स के लिए ट्रेंड फैकल्टी का भी प्रावधान वोकेशनल स्टडी सेंटर की ओर से किया जा रहा है. ट्रेंड टीचर्स मिलने के बाद ही इस कोर्स की शुरुआत की जाएगी.
विभाग की चेयरपर्सन डॉ. सोनिया खान ने बताया कि एचपीयू के वोकेशनल स्टडी सेंटर में बिना सुविधाओं के होटल मैनेजमेंट कोर्स की शुरुवात की गई थी. इस वजह से एक बैच के बाद ही इसे बंद कर दिया गया था. यहां लैब, किचन के साथ ही हाउसकीपिंग की ट्रेनिंग के लिए भी एक अलग से रूम तैयार किया गया है. वहीं, स्मार्ट क्लासरूम के साथ ही सबसे ऊपर वाले फ्लोर में रेस्टोरेंट और रिसेप्शन बनाया गया है.
बता दें कि एचपीयू के वोकेशनल सेंटर में वैसे तो होटल मैनेजमेंट कोर्स का अंतिम और पहला बैच वर्ष 2015 में पास आउट किया गया था. इसके बाद एचपीयू ने 2016 में इस कोर्स के लिए प्रवेश प्रक्रिया ही नहीं करवाई. इसके बाद आवेदन मांगें तो गए लेकिन प्रवेश की प्रक्रिया को पूरा नहीं किया गया. छात्रों को कोर्स में प्रवेश ना देने के पीछे एक बड़ी वजह यह थी कि एचपीयू उन्हें बिना सुविधाओं के इस कोर्स को शुरू कर दिया था.
एचपीयू के वोकेशनल सेंटर में होटल मैनेजमेंट के कोर्स को पढ़ाने के लिए ना तो शिक्षक उपलब्ध थे और ना कोर्स से जुड़ी हुई सुविधाएं एचपीयू के पास थी. यहां तक कि छात्रों को प्रैक्टिकल ज्ञान देने के लिए किचन तक की व्यवस्था एचपीयू के पास नहीं थी. पहले बैच को तो गेस्ट फैकेल्टी के सहारे एचपीयू ने होटल मैनेजमेंट में डिग्री दे दी लेकिन इसके बाद सवालों के घेरे में घिरने पर एचपीयू ने इस कोर्स में प्रवेश प्रक्रिया ही बंद कर थी.
सेंटर से मिला है दो करोड़ का बजट
एचपीयू को इस कोर्स से जुड़ी सुविधाएं जुटाने के लिए मिनिस्ट्री ऑफ टूरिज्म से 2 करोड़ की राशि मिली है. इसमें से एक करोड़ रुपया तो भवन बनाने में खर्च किया गया है. जिसका यूसी अब भेजा जाएगा और आगामी 1 करोड़ की ग्रांट भी केंद्र से मांगी जाएगी.