शिमला: हिमाचल हाईकोर्ट ने कई मर्तबा राज्य सरकार को चेतावनी दी है कि यदि नशे पर लगाम नहीं लगाई गई तो यहां की धरती को उड़ता पंजाब बनने से कोई नहीं रोक सकता. हाईकोर्ट ने नशे और नशे के सौदागरों के खिलाफ सख्ती के कई आदेश पारित किए हैं, लेकिन ड्रग्स का दानव पैर पसारता ही जा रहा है. देश के दस मेडिकल कॉलेजों, 15 विश्वविद्यालयों और केंद्र सरकार के सामाजिक न्याय तथा आधिकारिता मंत्रालय से जुड़ी एक संस्था के सर्वे में चौंकाने वाले आंकड़े आए हैं. ये आंकड़े हिमाचल के लिए खतरे का संकेत हैं.
आंकड़ों के अनुसार अफीम, भांग और शराब का नशा करने के मामले में हिमाचली देश में सबसे आगे हैं. इन नशों का शिकार लोगों की राष्ट्रीय औसत से हिमाचल की औसत अधिक है. विडंबना ये कि राज्य सरकार नशे के खिलाफ आंदोलन चलाती है, लेकिन शराब की बिक्री से राजस्व भी कमाती है. नशे के खिलाफ आंदोलन में ये नारा अकसर प्रयोग किया जाता है... "पापा मत पियो शराब, ला दो मुझको एक किताब", लेकिन इसी नारे की भावना के विपरीत राज्य सरकार शराब की बिक्री को प्रोत्साहित करती हैं.
खैर, यहां चिंता का विषय अन्य नशे हैं. इनमें अफीम व इससे बने नशीले पदार्थ और भांग का सेवन चिंताजनक हद तक बढ़ रहा है. अफीम से ही हेरोइन, स्मैक और ब्राउन शुगर का नशा तैयार होता है. सिंथेटिग ड्रग चिट्टे में भी अफीम को प्रयोग किया जाता है. चिट्टा खतरनाक व जानलेवा नशा है. पता होने के बावजूद युवा इसका शिकार हो रहे हैं.
ये हैं खतरनाक आंकड़ों का जानलेवा गणित
अफीम व इससे बने नशों में स्मैक, हेरोइन व चिट्टा आता है. राष्ट्रीय स्तर पर इसका सेवन करने वालों का प्रतिशत 0.70 है, लेकिन देवभूमि हिमाचल में अफीम व इससे बने नशे का सेवन करने वालों की संख्या कुल जनसंख्या का 1.70 प्रतिशत है. इसी तरह शराब की लत का शिकार लोगों का राष्ट्रीय औसत 14.7 प्रतिशत है और हिमाचल में पियक्कड़ों का औसत देश के मुकाबले 17. 6 फीसदी है. भांग का नशा करने में भी हिमाचल देश में सबसे आगे है. भारत में भांग पीने वालों की औसत 1.2 प्रतिशत है और हिमाचल में 3.2 फीसदी. ये बात अलग है कि उत्तर पूर्व के राज्यों में भी नशे का प्रचलन खतरनाक है, लेकिन राष्ट्रीय औसत के मुकाबले हिमाचल में नशे की चपेट में आने वालों का औसत अधिक है. पंजाब का औसत भी चिंताजनक है.
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2017 में ये था हाईकोर्ट का आदेश, तस्करों को मिले मौत की सजा...
यहां आगे की पंक्तियों में वर्ष 2017 में हिमाचल हाईकोर्ट में हुई सुनवाई और उस दौरान दिए गए आदेश का ब्यौरा है... हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिए कि नशीले पदार्थों के कारोबार से सभी स्तर पर जुड़े लोगों को मौत की सजा का प्रावधान करने के लिए तीन महीने के भीतर कानून बनाने का फैसला लिया जाए. हिमाचल हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने केंद्र सरकार को ये आदेश जारी किए हैं. ये आदेश केंद्रीय वित्त व राजस्व मंत्रालय के सचिवों को जारी किए गए हैं. इसके अलावा नशे के कारोबार से जुड़े ऐसे मामलों में न्यूनतम दस लाख रुपए जुर्माने का प्रावधान करने के लिए भी निर्देश दिए गए हैं. हाईकोर्ट ने खेद जताया है कि नशीले पदार्थ देश के भविष्य के लिए खतरा हैं,लेकिन इसके लिए सजा का प्रावधान सख्त नहीं है. नशे के कारण युवा पीढ़ी बर्बाद हो रही है. नशा हमारे समाज की नींव को खोखला बना रहा है. ऐसे में नशे के सौदागरों पर नकेल कसने के लिए कड़ी सजा का प्रावधान जरूरी है.
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समाज में अशांति फैलने का खतरा
न्यायमूर्ति राजीव शर्मा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने यह भी कहा कि नशे का कारोबार बड़े अपराधियों के गिरोह कर रहे हैं. हर स्तर पर ये गिरोह सक्रिय हैं. इस तरह के अपराधियों के लिए उनके जुर्म के हिसाब से सजा का प्रावधान होना चाहिए. यदि ऐसा नहीं किया गया तो भारतीय समाज में अशांति फैलने का खतरा है. बेकसूर लोग परिवार सहित नशे के परिणाम भुगतने को मजबूर होंगे.
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...आ चुका है मृत्युदंड की सजा का समय
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि नशीले पदार्थों की तस्करी करने वालों को मौत की सजा देने का समय आ चुका है. ऐसे लोगों को सख्त सजा का प्रावधान पीड़ित समाज को होने वाले नुकसान के लिहाज से भी जरूरी है. देश में समाज की सुरक्षा और नागरिकों की बेहतर सेहत सुनिश्चित करने के लिए सख्त कानून बनाना सरकारों का दायित्व है. हाईकोर्ट ने कहा कि जिन नशीले पदार्थों से सबसे अधिक नुकसान हो रहा है, उनमें 10 किलो तक अफीम, 1 किलो हेरोइन, 1 किलो कौडीन, 1 किलो थैबेंन, 1 किलो मॉर्फिन, 500 ग्राम कोकीन और 20 किलो चरस व ऐसी ही मादक दवाइयां बनाने, रखने व बेचने वाले अपराधी शामिल हैं. इन नशीले पदार्थों की तस्करी करने वालों को सजा-ए-मौत मिलनी चाहिए.