शिमला: हिमाचल की गाड़ी कर्ज के सहारे चल (loan on himachal) रही है. आलम ये है कि आज लिया कर्ज पंद्रह साल तक की अवधि में चुकाया जाएगा. इस दौरान कर्ज की रकम का ब्याज ही करोड़ों रुपए में चुकाना होगा.जयराम सरकार ने अपने कार्यकाल का आखिरी लोन ले लिया है. बुधवार को सरकार के खजाने में 2500 करोड़ रुपए की कर्ज की रकम (Himachal will get Rs 2500 crore loan) आ जाएगी. दिलचस्प बात ये है कि कर्ज लेने का कारण सरकारी कर्मचारियों की एरियर व डीए की देनदारी है. इधर, 14 सितंबर को सरकार के खाते में कर्ज की रकम आएगी और उधर अगले दिन कैबिनेट में कर्मचारियों को एरियर व डीए देने का फैसला होगा. फिलहाल, 2500 करोड़ रुपए का कर्ज किश्तों में लिया जा रहा है.
यह लोन अलग-अलग चार मदों में लिया गया है. पहली मद में 500 करोड़ रुपए का कर्ज 11 साल के लिए, फिर से 500 करोड़ रुपए का कर्ज 12 साल के लिए, 700 करोड़ का लोन 14 साल के लिए और फिर 800 करोड़ रुपए का कर्ज 15 साल के लिए लिया जा रहा है. राज्य सरकार ने तय नियमों के अनुसार केंद्र सरकार से आग्रह किया था और फिर केंद्र की मंजूरी के बाद जयराम सरकार ने रिजर्व बैंक के माध्यम से खुले बाजार से लोन लिया. जयराम सरकार ने नए वेतनमान की सिफारिशों को लागू किया है.
कर्मचारियों को संशोधित वेतनमान का एरियर व तीन फीसदी डीए दिया जाना है. एरियर का भुगतान करने के लिए ही एक हजार करोड़ रुपए की रकम चाहिए. पेंशनर्स का भी भुगतान देय है. सरकार ने पेंशनर्स के साथ बैठक के बाद उन्हें 65 वर्ष, 70 वर्ष और 75 वर्ष के उपरान्त दिए जाने वाले पैंशन भत्ते को संशोधित किया है. इसकी देनदारी से सरकार पर सालाना 130 करोड़ रुपए का बोझ पड़ेगा. पेंशनर्स के मेडिकल रिबंर्समेंट के लिए भी 25 करोड़ रुपए का भुगतान किया जाना है. हिमाचल पर कर्ज के बोझ को लेकर सियासत भी जोरों पर है. जयराम सरकार इसके लिए पूर्व की कांग्रेस सरकार को जिम्मेदार मानती है.
वहीं, कांग्रेस का आरोप है कि मौजूदा सरकार सबसे अधिक लोन लेने वाली (Congress regarding debt on Jairam government) सरकार है. तथ्यों के अनुसार मौजूदा सरकार ने अब तक के कार्यकाल में 16,998 करोड़ का लोन लिया है.अभी के 2500 करोड़ के लोन को मिलाकर यह रकम 19 हजार 498 करोड़ रुपए हो (Jairam Sarkar took 19 thousand 498 crore loan) जाएगी. वहीं, पांच साल के अंतराल में यानी 2012 से 2017 तक वीरभद्र सिंह सरकार ने 19200 करोड़ रुपए का कर्ज लिया था.
मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्व कांग्रेस सरकार के समय में लोन लेने की वृद्धि दर 67 फीसदी थी. इस सरकार के समय लोन लेने की वृद्धि दर 35 फीसदी रही है. हिमाचल प्रदेश में बजट का अधिकांश हिस्सा सरकारी कर्मचारियों के वेतन और पेंशनर्स की पेंशन पर खर्च होता है. इसके अलावा लिया गया लोन चुकाने और लोन पर चढ़े ब्याज को चुकाने में भी भारी रकम खर्च होती है. आंकड़ों के अनुसार सरकारी कर्मियों के वेतन पर सौ रुपए में से 25.31 रुपए खर्च हो रहे हैं. इसी तरह पेंशन पर 14.11 रुपए खर्च किए जा रहे हैं.
इसके अलावा हिमाचल को ब्याज की अदायगी पर 10 रुपए, लोन की अदायगी पर 6.64 रुपए चुकाने पड़ रहे हैं. इसके बाद सरकार के पास विकास के लिए महज 43.94 रुपए ही बचते हैं. अब यह परिस्थितियां और विकट हो गई है. कर्मचारियों के वेतन और पेंशनर्स की पेंशन पर खर्च बढ़ गया है. वेतन, पेंशन, कर्ज और ब्याज पर 55 रुपए खर्च हो रहे हैं. ये रकम नए वेतनमान के बाद और नए कर्ज के बाद 59 रुपए हो सकती है. ऐसे में सरकार के पास विकास के लिए बजट और सिकुड़ जाएगा.