ठियोग: हिमाचल विधानसभा चुनाव 2022 (Himachal Assembly Elections 2022) की बिसात बिछने को है. विधानसभा चुनाव से हिमाचल सीट स्कैन (himachal seat scan) के माध्यम से प्रदेश के सभी 68 विधानसभा क्षेत्रों में इस साल क्या चुनावी समीकरण हैं इससेरू-ब-रू करा रहे हैं. आज हिमाचल सीट स्कैन हम बात करने जा रहे हैं ठियोग विधानसभा क्षेत्र (Theog Assembly Seat ground report) की.
ठियोग विधानसभा क्षेत्र 61 (Theog Assembly Constituency) में एक बार फिर सियासी गर्मी तेज हो चुकी है. ठियोग में इस बार जहां भाजपा, कांग्रेस ,CPIM के बीच त्रिकोणीय मुकाबला होने की उम्मीद है. वहीं, आम आदमी पार्टी भी इस बार ठियोग से चुनावी मैदान में (Aam Aadmi Party in Theog) ताल ठोक सकती है. मौजूदा दौर में ठियोग विधानसभा क्षेत्र से CPIM विधायक राकेश सिंघा (Theog Assembly Constituency CPIM MLA Rakesh Singha) पहली बार जीत कर विधानसभा पहुंचे हैं, जिसका कारण 2017 में कांग्रेस की गुटबाजी को माना गया.
2012 में ठियोग विधानसभा सीट पर चुनावी जंग: वर्ष 2012 में कांग्रेस की सबसे मजबूत नेता और तत्कालीन सरकार में मंत्री रहीं विद्या स्टोक्स का नामंकन रद्द होने के कारण यहां से दीपक राठौर को मैदान में उतारा गया. ऐसे में विद्या स्टोक्स के समर्थकों ने साथ नहीं दिया और अपना वोट CPIM की तरफ मोड़ दिया, जिससे CPIM विधायक की जीत हुई. इसके पीछे एक कारण यह भी माना जाता है कि इस सीट से भाजपा प्रत्याशी राकेश वर्मा की जीत न हो इसलिए विद्या स्टोक्स के समर्थकों ने राकेश सिंघा के पक्ष में मतदान किया. इसके अलावा साल 2017 में भाजपा के भी कुछ लोगों ने पार्टी से हटकर काम किया जिसके चलते राकेश वर्मा की हार हुई. इस तरह से राजनीतिक अस्थिरता को देखते हुए स्थानीय लोगों ने राकेश सिंघा पर विश्वास जताया. इस बार के चुनाव में फिर से यही समीकरण बनते नजर आ रहे हैं. इस बार कांग्रेस में फिर से गुटबाजी नजर आ रही है.
ठियोग सीट पर चुनावी समीकरण: निर्वाचन अधिकारी के अनुसार इस साल ठियोग विधानसभा क्षेत्र में चुनाव में 82,740 मतदाता इस बार अपने मत का प्रयोग करेंगे. इसमें 41,896 पुरुष और 40,844 महिला मतादात शामिल हैं. हालांकि अभी नए मतदाताओं को जोड़ने का भी काम चुनाव आयोग की ओर से जारी है. वहीं, 2017 में 78,540 लोगों ने अपने मत का प्रयोग किया जिसमें 39,949 पुरुष मतादाता और 38,591 महिलाओं ने अपने मताधिकार का इसतेमाल किया.
2017 में कांग्रेस से चुनाव लड़ने वाले दीपक राठौर जहां 4 सालों से घर-घर जाकर चुनाव प्रचार कर रहे हैं और लोगों की समस्याओं से रू-ब-रू हो रहे हैं. वहीं, हिमाचल कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर (Former Himachal Congress President Kuldeep Rathore) भी चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं. उनके चुनाव लड़ने का सबसे बड़ा कारण ये भी है कि वे कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष रहे हैं और 2021 के उपचुनावों में उन्होंने मंडी लोकसभा और 3 विधानसभा सीटों पर विजय हासिल करने का श्रेय भी हासिल किया है. ऐसे में उनके सफल कार्यकाल के चलते उनके चुनाव लड़ने की सम्भावना ज्यादा है.
इसके साथ ही पूर्व में ठियोग से BJP के प्रत्याशी रहे स्व. राकेश वर्मा की पत्नी इंदु वर्मा के कांग्रेस में शमिल होने और उनकी राज परिवार और हिमाचल कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह (Himachal Congress President Pratibha Singh) से अच्छे रिश्तों के चलते और जनता के बीच अच्छा ओहदा रखने के चलते वो भी कांग्रेस की सीट से दावेदारी पेश कर सकती है. जिसको लेकर ठियोग में कांग्रेस गुटों में बंटती नजर आ रही है. अगर भाजपा की बात करें तो यहां से अभी तक भाजपा के पास कोई भी ऐसा चेहरा नहीं है जो इंदु वर्मा जितना वोट बैंक रखता हो.
'हर समस्या पर लोगों के साथ, लोगों पर है भरोसा': ठियोग विधानसभा सीट से माकपा विधायक राकेश सिंघा (Theog CPI(M) MLA Rakesh Singha) का कहना है कि, उन्होंने बिजली, पानी, सड़क और स्वास्थ्य के क्षेत्र में हमेशा लोगों की समस्याओं को सरकार के सामने रखा और उसका समाधान भी किया. राकेश सिंघा का कहना है कि वे चुनावी बेला में उतरने के लिए तैयार हैं. वे लगातार ठियोग हल्के में लोगों के बीच जाकर उनके मुद्दों को सरकार के समक्ष रख रहे हैं. उनका कहना है जनता जानती है कि आज सेब बागवानी और लोगों की हर छोटी बड़ी समस्याओं को सुलझाने में के लिए वे हमेशा प्रयासरत रहे हैं, चाहे सरकार किसी की भी हो वे अपना हक लेकर रहते हैं.
ठियोग में बड़ी योजनाओं को सिरे नहीं चढ़ा पाए राकेश सिंघा: राकेश सिंघा जहां लोगों के बीच में जाकर बिना किसी भेदभाव के हर तबके के साथ खड़े हो जाते हैं, वहीं सरकार के साथ तालमेल की कमी और पार्टी से एकमात्र विधायक होने और विपक्ष में रहने के चलते ठियोग में कोई भी बड़ी योजना नहीं ला पाए और न ही पूर्व में चल रही योजनाओं का उद्घाटन कर पाए. इनमें ठियोग बायपास, सिविल अस्पताल, बस अड्डा, कुर्पन पानी योजना शामिल हैं. ये सभी योजनाएं अधूरी हैं, जिसके पीछे ये भी एक बड़ा कारण रहा कि BJP किसी भी उद्घाटन और शिलान्यास में CPIM का फट्टा नहीं लगाना चाहती, जिसका राकेश सिंघा को नुकसान हो रहा है. लोगों का कहना है कि हर समस्या का समाधान धरना प्रदर्शन और चक्का जाम से नहीं हो सकता जिससे लोगों में उनके खिलाफ नाराजगी भी है. क्षेत्र के लोगों की समस्याओं को विधानसभा और सरकार के सामने जोरदार तरीके से उठाना और हर कर्मचारी वर्ग, किसान, बागवान और मजदूर के साथ खड़ा रहना उनकी ताकत भी है.
कांग्रेस का भाजपा सरकार पर आरोप: ठियोग कुमारसैन से पूर्व में कांग्रेस के प्रत्याशी रहे दीपक राठौर का कहना है कि मौजूदा सरकार ने ठियोग के साथ भेदभाव किया है और कोई भी नई योजना लागू नहीं कर पाई. दीपक राठौर का कहना है कि वे लगातार 4 वर्षों से लगातार लोगों के बीच में है. एक ओर सरकार से लोगों को जो आस थी वो पूरी नहीं हुई. सारे बड़े काम रुके पड़े हैं और मौजूदा विधायक सिर्फ धरना देने में व्यस्त हैं. दीपक राठौर ने कहा कि 2022 में एक बार फिर कांग्रेस पर लोग भरोसा कर सरकार बनाएंगे, जिसके बाद रुके पड़े कामों को गति प्रदान की जाएगी.
वहीं मौजूदा दौर में BJP के नेता ठियोग में कोई भी 4 सालों में शिलान्यास और उद्घाटन नहीं कर पाए, जिसके चलते लोगों में खासा रोष है. भाजपा नेता ये कहकर अपना पल्ला झाड़ रहे हैं कि लोगों ने राकेश सिंघा को जिताया है. उनसे लोग काम कराएं और उनसे जवाब मांगें. जिससे भाजपा का स्तर ठियोग कुमारसैन में लगातार गिरता जा रहा है और लोग यही पूछ रहे हैं कि भाजपा की सरकार ने ठियोग में क्या काम किया. भाजपा नेताओं के पास कोई जवाब नहीं है.
ठियोग में BJP के पास नहीं कोई मजबूत चेहरा: पूर्व प्रत्याशी राकेश वर्मा की पत्नी इंदु वर्मा के कांग्रेस में शामिल होने के कारण 8 से 10 हजार निजी वोट बैंक साथ जाने से भाजपा को नुकसान हुआ है. इसके अलावा ठियोग विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के पास कोई बड़ा चेहरा नहीं है. वहीं, दूसरी ओर इंदु वर्मा कांग्रेस में शामिल हो गई हैं, उनके हजारों समर्थकों ने भाजपा को नुकसान पहुंचाया है. जिसके चलते क्षेत्र में भाजपा का कैडर घटता नजर आ रहा है. हालांकि APMC चेयरमैन नरेश शर्मा और जिला महासू के अध्यक्ष अजय श्याम चुनाव लड़ने के मूड में हैं, लेकिन सर्वे के मुताबिक दोनों का जनता के बीच कोई खास जनाधार नहीं है. इशके अलावा सरकार में रहते ठियोग में कोई भी उद्घाटन नहीं करा पाए और न ही मुख्यमंत्री का एक भी दौरा करवा पाए जिससे लोगों में नाराजगी है. इसके साथ ही चुनावी साल में इस क्षेत्र में पार्टी में भी एकजुटता की कमी है और सभी को साथ लेकर चलने में कमी नजर आ रही है. इस क्षेत्र में इंदु वर्मा के खिलाफ पार्टी को शिकायत देना और उन्हें तवज्जों न देना पार्टी की कमी रही है. इन वजहों से लोगों में खास जगह बनाने में कोई भी बड़ा नेता कामयाब नहीं हो पाया है.
निर्दलीय की दौड़ में सबसे मजबूत हिमाचल रत्न राजेश कुमार गुप्ता: ठियोग विधासभा क्षेत्र से इस बार निर्दलीय के तौर पर सबसे मजबूत नारकंडा के रहने वाले व्यवसायी हिमाचल रत्न राजेश कुमार गुप्ता प्रबल दावेदार हैं. राजेश कुमार गुप्ता पेशे से व्यापारी हैं और समाज सेवा के काम मे उनका अहम योगदान ठियोग कुमारसैन में देखने को मिलता है. कोरोना महामारी के दौरान राजेश कुमार गुप्ता ने 21 लाख हिमाचल सरकार, 11 लाख केंद्र सरकार, 19 लाख मास्क और 5 लाख सेनिटाइजर ठियोग कुमारसैन विधानसभा क्षेत्र की हर पंचायत नगर पंचायत शिमला में सभी कोरोना फ्रंटलाइन योद्धाओं को जिसमे डॉक्टर, स्टाफ नर्स, सफाई कर्मचारी नगर निगम प्रशासन DC कार्यलय पुलिस के जवान और इसके अलावा शिमला में वेंटिलेटर भी प्रदान किए थे.
उनकी इन सेवाओं के लिए उन्हें हिमाचल सरकार ने हिमाचल रत्न के खिताब से भी नवाजा और अब लगातार लोग उन्हें अपने सार्वजनिक मेलों और उत्सवों में मुख्यातिथि के तौर पर बुला रहे हैं. उन्होंने नारकण्डा में एक सरकारी स्कूल भी गोद लिया है, जिसमें आधुनिक सुविधाओं को प्रदान किया जा रहा है और स्मार्ट क्लास की सुविधा भी प्रदान की जा रही है. स्कूल में आधुनिक सुविधा मुहैया कराने के बाद स्कूल में बच्चों की संख्या भी बढ़ी है. समाजसेवा के इस भाव को देखकर लोग राजेश कुमार गुप्ता को विधानसभा चुनाव लड़ने की अपील कर रहे हैं, जिसको लेकर राजेश कुमार गुप्ता भी तैयार हैं. चुनावी साली में उन्हें भाजपा से टिकट मिलने का भी दावा किया जा रहा है. और आम आदमी पार्टी भी उनके साथ लगातार संपर्क कर रही है, जबकि भाजपा ठियोग कुमारसैन में उनकी लोकप्रियता को देख टिकट दे सकती है और इसकी भी सुगबुगाहट शुरू हो चुकी है.
आम आदमी पार्टी से राकेश गोलु और अतर सिंह चंदेल दावेदार: ठियोग विधानसभा क्षेत्र से इस बार आम आदमी पार्टी भी अपना उम्मीदवार उतारेगी. क्षेत्र से ठियोग के रहने वाले राकेश गोलु और अतर सिंह चंदेल दोनों में से किसी एक को पार्टी अपना उम्मीदवार बना सकती है. तीसरे विकल्प के तौर आम आदमी पार्टी के नेताओं का कहना है लोगों ने ठियोग में सभी पार्टियों को जिताकर देख लिया, लेकिन कोई भी बड़ा बदलाव ठियोग में नहीं ला पाए. आम आदमी पार्टी के नेताओं की मानें तो दिल्ली और पंजाब के बाद इस बार बड़ा बदलाव हिमाचल में देखने को सामने आएगा और ठियोग में पार्टियों की गुटबाजी से तंग आकर लोग आम आदमी पार्टी के साथ जाएंगे.
ठियोग विधानसभा क्षेत्र के अहम मुद्दे: ठियोग कुमारसैन विधानसभा क्षेत्र में पानी की समस्या, सिविल अस्पताल ठियोग को जिला अस्पताल का दर्जा देना, ठियोग बाईपास, बस स्टैंड और ठियोग में पार्किंग की सुविधा के अलावा किसानों बागवानों से जुड़े मुद्दे अहम (Theog Assembly Constituency Issues) हैं. इसमें सेब की मंडियों तक सब्जी और सेब पहुंचना लिंक रोड की खस्ताहाल सेब मंडियों में सही समय से पैसा न मिलना सेब भण्डारण के लिए CA स्टोर की सुविधा न होना. CA ग्रेड के सेब की पेमेंट सही समय और न मिलना कृषि बागवानी पर मिलने वाली सब्सिडी सही समय पर न मिलना लोगों की मुख्य मुद्दे हैं जो लोगों की जुबान पर आते हैं और लोग अपने नेताओं से इन मुद्दों पर बेबाक राय और समाधान की मांग रखते हैं.
अब तक इस सीट पर विधासभा चुनावों में इन्हें मिली जीत: अब नजर डालते हैं अभी तक के विधासभा चुनाव और उनके परिणामों के बारे में. साल 1977 में ठियोग से मेहर सिंह JNP और विद्या स्टोक्स ने कांग्रेस से चुनाव लड़ा जिसमें मेहर सिंह की जीत हुई और उन्हें 13,081 वोट पड़े जबकि विद्या स्टोक्स को 5,839 वोट पड़े थे और इस तरह 7,242 के अंतर से मेहर सिंह चुनाव जीत गए.
साल 1972 में जीत का अंतर: वर्ष 1982 में एक बार फिर विद्या स्टोक्स और मेहर सिंह चौहान का आमना सामना हुआ, जिसमें इस बार विद्या स्टोक्स ने जीत हासिल की. उन्हें 12,947 वोट पड़े, जबकि मेहर सिंह को 8,052 मत मिले. इस तरह 4,895 वोटों से विद्या स्टोक्स ने जीत हासिल की.
1985 में जीत का अंतर: वर्ष 1985 में विद्या स्टोक्स और मेहर सिंह चौहान चुनावी मैदान में फिर से उतरे और इस बार भी विद्या स्टोक्स कांग्रेस के प्रत्याशी के तौर पर जीत हासिल करने में कामयाब हुईं. उन्हें 13,941 वोट जबकि मेहर सिंह चौहान को 10,416 मत मिले. इस तरह जीत का अंतर 3,525 रहा.
1990 में जीत का अंतर: 1990 विद्या स्टोक्स फिर से चुनावी मैदान में उतरीx और इस बार उनका सामना जनता दल के केशवराव कश्यप से हुआ, जिसमें विद्या स्टोक्स ही विजय रहीं. उन्हें 15,586 वोट मिले जबकि केशव राम को 14,782 वोट मिले इस बार विद्या स्टोक्स का प्रभाव कुछ कम दिखा और वह मात्र 804 वोटों से ही जीत दर्ज करा पाईं.
1993 में जीत का अंतर: वहीं, वर्ष 1993 के चुनावी मैदान में इस बार राकेश वर्मा मैदान में थे और उनके सामने विद्या स्टोक्स बड़ी चुनौती थीं, लेकिन वे भारतीय जनता पार्टी से चुनावी मैदान में उतरे और उन्हें 18,088 मत मिले जबकि विद्या स्टोक्स को 16,684 वोट पड़े. इस तरह पहली बार BJP के प्रत्याशी राकेश वर्मा ने 5,993 में पहली जीत हासिल की. और विद्या स्टोक्स को हराकर खूब वाहवाही भी लूटी.
साल 1998 में जीत का अंतर: वर्ष 1998 में विद्या स्टोक्स और राकेश वर्मा के बीच फिर से मुकाबला हुआ. इस बार विद्या स्टोक्स ने राकेश वर्मा को पटखनी दे दी. इस बार विद्या स्टोक्स को 21,926 वोट मिले और राकेश वर्मा को 15,844 वोट मिले. इस तरह से 6,082 वोटों से विद्या स्टोक्स ने फिर से विजय हासिल की.
2003 में चुनाव में जीत का अंतर: ठियोग विधानसभा सीट (Theog Assembly Seat) पर साल 2003 में राकेश वर्मा और राजेंद्र वर्मा के बीच मुकाबला हुआ. इस बार कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी यहां से बदल दिया और राकेश वर्मा आजाद प्रत्याशी के तौर पर चुनावी मैदान में उतरे. इस चुनाव में उन्हें 19,869 वोट मिले, जबकि राजेंद्र वर्मा को 16,510 वोट मिले. इस तरह राकेश वर्मा ने 2003 में 3,359 वोटों से जीत हासिल की.
साल 2007 में ठियोग विधानसभा सीट पर जीत का अंतर: 2007 की आंकड़ों की बात करें तो इस बार चुनावी मैदान में चार चेहरे थे. आजाद प्रत्याशी के तौर पर राकेश वर्मा, कांग्रेस की तरफ से राजेंद्र वर्मा , भाजपा से दौलत राम और बहुजन समाजवादी पार्टी से कमला ने चुनाव लड़ा. इन चुनाव में राकेश वर्मा विजयी रहे और उन्हें 21,907 वोट मिले, जबकि कांग्रेस के प्रत्याशी राजेंद्र वर्मा को 16,623 वोट पड़े इस तरह 5,284 वोटों से हराकर राकेश शर्मा एक बार फिर से विधायक चुने गए.
2012 में जीत का अंतर: वर्ष 2012 में के बाद फिर से विद्या स्टोक्स की कांग्रेस ने क्षेत्र में वापसी कराई. इस बार प्रत्याशियों की संख्या बहुत ज्यादा थी. साल 2012 में ठियोग विधानसभा क्षेत्र में 5 प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतरे थे. कांग्रेस की तरफ से विद्या स्टोक्स, भारतीय जनता पार्टी की तरफ से एक बार फिर से राकेश वर्मा को चुनावी मैदान पर उतारा गया. वहीं, सीपीआई(एम) नेता राकेश सिंघा भी चुनावी मैदान में उतरे. तृणमूल कांग्रेस से प्रमोद शर्मा चुनावी मैदान में थे इसके अलावा आजाद प्रत्याशी के तौर पर रामलाल रोशन लाल और BSP की तरफ से विनय कुमार रहे इसमें विद्या स्टोक्स को 21,478 वोट मिले और वह विजय रहीं, जबकि राकेश वर्मा को 17,202 वोट मिले. राकेश सिंघा को 10,389 मत मिले इस तरह 4,270 वोटों से और फिर से विद्या स्टोक्स विजय रहीं और प्रदेश सरकार में मुख्यमंत्री के बाद सबसे बड़ा उनका कद रहा और बागवानी और जल शक्ति विभाग की मंत्री बनीं.
साल 2017 में ठियोग में जीत का अंतर: वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में विद्या स्टोक्स का नामांकन किन्हीं कारणों से रद्द हो गया, जिसके बाद दीपक राठौर को कांग्रेस ने चुनावी मैदान में उतारा. हालांकि दीपकको कोई नहीं जानता था, लेकिन कहा जाता है कि दीपक राठौर ने राहुल गांधी के साथ कई प्रदेशों में संगठन के लिए काम किया जिसके चलते ठियोग सीट से टिकट दिया गया. इस दौरान दीपक राठौर का पुरजोर विरोध भी हुआ. एक तरफ जहां विद्या स्टोक्स खेमा पूरी तरह से नाराज रहा. वहीं, वीरभद्र गुट भी दीपक को टिकट मिलने से नाराज दिखा, जिसका नतीजा भी कांग्रेस को झेलना पड़ा.
इस बार सीपीआई(एम) के प्रत्याशी राकेश सिंघा और बीजेपी से राकेश वर्मा और आजाद प्रत्याशी के तौर पर देवी राम और रोशन लाल ने भी चुनाव मैदान में थे. लेकिन दीपक राठौर से नाराज कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने अपना वोट शिफ्ट कर दिया और इसका नुकसान बीजेपी के दमदार प्रत्याशी राकेश वर्मा पर पड़ा और राकेश सिंघा की पहली जीत दर्ज हुई. इस साल चुनाव में राकेश सिंघा को 24,791 मत मिले. राकेश वर्मा को 22,808 वोट, दीपक राठौर को 9,101 मत मिले. कांग्रेस ने इस बार अपना वर्चस्व खोते हुए जमानत भी जब्त करवा दी. आजाद प्रत्याशी देवी राम को 641 जबकि रोशनलाल को 383 वोट मिले और 294 लोगों ने नोटा का इस्तेमाल किया.
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इस तरह ठियोग विधान सभा क्षेत्र (Theog Assembly Constituency ) में सबसे अधिक विद्या स्टोक्स कांग्रेस की तरफ से विधायक रहीं और सरकार में दमदार मंत्री भी रहीं. वहीं, राकेश वर्मा एक बार भाजपा से जबकि दो बार आजाद तौर पर विधायक चुने गए. राकेश वर्मा जिन्होंने भारतीय जनता पार्टी से 1993 में चुनाव लड़ा था, वह सबसे विद्या स्टोक्स के बाद विधायक रहे. वे तीन बार विधायक रहे. इसके अलावा सीपीआई(एम) विधायक राकेश सिंघा वर्ष 2017 के चुनाव में ठियोग विधानसभा क्षेत्र से पहली बार विधायक चुने गए.
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