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अधर में इन कॉलेजों के छात्रों का भविष्य, एफिलेशन को लेकर HPU और शिक्षा विभाग में तकरार

हिमाचल के कॉलेजों को स्थाई मान्यता देने का मामला शिक्षा विभाग और एचपीयू के बीच उलझ गया है. अगर एचपीयू एफिलेशन ना लेने पर कॉलेजों पर शिकंजा कसता है तो ऐसे में हजारों छात्रों का भविष्य खतरे में आ सकता है.

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Published : Sep 2, 2019, 9:01 AM IST

शिमलाः हिमाचल के कॉलेजों को स्थाई मान्यता देने का मामला शिक्षा विभाग और एचपीयू के बीच उलझ कर ही रह गया है. अब हालात यह है कि प्रदेश के करीब 63 नए कॉलेजों को एचपीयू एफिलेशन नहीं दे रहा है, और न इन कॉलेजों पर कोई अन्य कार्रवाई कर रहा है.


हालांकि जो नियम एफिलेशन के लिए तय है अगर उनका पालन नहीं हो रहा है तो एचपीयू संबंधित संस्थान के छात्रों के परिणाम रोकने के साथ ही उनकी डिग्रियां भी रोक सकता है. ऐसे में अगर ये कॉलेज एफिलेशन लेते ही नहीं है तो इसका खामियाजा कॉलेज के छात्रों को उठाना पड़ सकता है.


कॉलेजों के पास एफिलेशन के लिए कोई बजट का प्रावधान ना होने के चलते एचपीयू से एफिलेशन फीस माफ करने का मामला भी काफी बार उठाया जा चुका है, लेकिन इसका भी कोई हल नहीं हो पाया है. मामला शिक्षा विभाग और एचपीयू के बीच ही उलझ कर रह गया है.


कॉलेजों की एफिलेशन फीस को माफ करने के लिए एचपीयू तर्क दे रहा है कि एचपीयू को शिक्षा विभाग सरकार से एफिलेशन फीस का बजट मुहैया करवाए.

ये भी पढ़ें- बुक कैफे का निजीकरण करने के विरोध में साहित्यकार, CM और नगर निगम के सामने उठाई ये मांग


वहीं, शिक्षा विभाग का इस मामले में तर्क दे रहा है कि एचपीयू को सरकार से जो ग्रांट मिल रही है उसी में कॉलेजों की एफिलेशन फीस भी एचपीयू को मिल रही है, ऐसे में एचपीयू की सरकार से अलग बजट की मांग सही नहीं है.


शिक्षा विभाग ना तो एचपीयू को और ना ही कॉलेजों को एफिलेशन का बजट मुहैया करवा रहा है. प्रदेश में कई कॉलेज बिना एफिलेशन के ही चल रहे है. अब अगर एचपीयू एफिलेशन ना लेने पर कॉलेजों पर शिकंजा कसता है तो ऐसे में हजारों छात्रों का भविष्य खतरे में आ सकता है.

ये भी पढ़ें- HPU के छात्रावासों में छात्राओं को छोटे कपड़े ना पहनने का फरमान, SFI छात्रा उपसमीति ने किया विरोध

शिमलाः हिमाचल के कॉलेजों को स्थाई मान्यता देने का मामला शिक्षा विभाग और एचपीयू के बीच उलझ कर ही रह गया है. अब हालात यह है कि प्रदेश के करीब 63 नए कॉलेजों को एचपीयू एफिलेशन नहीं दे रहा है, और न इन कॉलेजों पर कोई अन्य कार्रवाई कर रहा है.


हालांकि जो नियम एफिलेशन के लिए तय है अगर उनका पालन नहीं हो रहा है तो एचपीयू संबंधित संस्थान के छात्रों के परिणाम रोकने के साथ ही उनकी डिग्रियां भी रोक सकता है. ऐसे में अगर ये कॉलेज एफिलेशन लेते ही नहीं है तो इसका खामियाजा कॉलेज के छात्रों को उठाना पड़ सकता है.


कॉलेजों के पास एफिलेशन के लिए कोई बजट का प्रावधान ना होने के चलते एचपीयू से एफिलेशन फीस माफ करने का मामला भी काफी बार उठाया जा चुका है, लेकिन इसका भी कोई हल नहीं हो पाया है. मामला शिक्षा विभाग और एचपीयू के बीच ही उलझ कर रह गया है.


कॉलेजों की एफिलेशन फीस को माफ करने के लिए एचपीयू तर्क दे रहा है कि एचपीयू को शिक्षा विभाग सरकार से एफिलेशन फीस का बजट मुहैया करवाए.

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वहीं, शिक्षा विभाग का इस मामले में तर्क दे रहा है कि एचपीयू को सरकार से जो ग्रांट मिल रही है उसी में कॉलेजों की एफिलेशन फीस भी एचपीयू को मिल रही है, ऐसे में एचपीयू की सरकार से अलग बजट की मांग सही नहीं है.


शिक्षा विभाग ना तो एचपीयू को और ना ही कॉलेजों को एफिलेशन का बजट मुहैया करवा रहा है. प्रदेश में कई कॉलेज बिना एफिलेशन के ही चल रहे है. अब अगर एचपीयू एफिलेशन ना लेने पर कॉलेजों पर शिकंजा कसता है तो ऐसे में हजारों छात्रों का भविष्य खतरे में आ सकता है.

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Intro:प्रदेश के कॉलेजों को स्थाई मान्यता देने के मामला शिक्षा विभाग और एचपीयू के बीच उलझ कर ही रह गया है। अब हालात यह है कि प्रदेश के 63 के की करीब नए कॉलेजों को एचपीयू हर वर्ष एफिलेशन तो नहीं दे रहा है, लेकिन एफिलेशन ना होने के बाव भी एचपीयू इन कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्रों के रिजल्ट और डिग्रियां नहीं रोक रहा है। प्रदेश के 63 कॉलेज तो ऐसे है जो बजट की कमी के चलते हर वर्ष एचपीयू से यह संबद्धता ले ही नहीं पा रहे है। एसपीओ ने कॉलेजों को दी जाने वाली संबद्धता को लेकर बजट सरकार से एचपीयू को दिलवाने की मांग शिक्षा कॉलेजों के पास संबद्धता नहीं है बावजूद इसके भी छात्र वहां शिक्षा ग्रहण कर रहे है और उनके परीक्षाओं के परिणाम भी एचपीयू की ओर से घोषित किए जा रहे है। हालांकि जो नियम एफिलेशन के लिए तय है अगर उनका पालन नहीं हो रहा है तो एचपीयू संबंधित संस्थान के छात्रों के परिणाम रोकने के साथ ही उनकी डिग्रियां भी रोक सकता है। ऐसे में अब अगर यह कॉलेज एफिलेशन लेते ही नहीं है तो इसका खामियाजा कॉलेज के छात्रों को उठाना पड़ सकता है। कॉलेजों के पास एफिलेशन के लिए कोई बजट का प्रावधान ना होने के चलते एचपीयू से एफिलेशन फीस माफ करने का मामला भी काफी बार उठ चुका है पर इसका कोई हल नहीं निकल पाया है। मामला शिक्षा विभाग और एचपीयू के बीच ही उलझ कर रह गया है।





Body: कॉलेजों की एफिलेशन फीस को माफ करने के लिए एचपीयू एक ही तर्क दे रहा है कि एचपीयू को शिक्षा विभाग सरकार से एफिलेशन फीस का बजट मुहैया करवाए उसके बाद ही एफिलेशन कॉलेजों को बिना किसी फीस के मिल पाएगी। अभी जहां कॉलेजों को एक संकाय की एफिलेशन के रूप में 60 से 65 हजार फीस चुकानी पड़ रही है उसे एचपीयू सरकार से बजट मिलने पर माफ करने की बात कह रहा है लेकिन शिक्षा विभाग एचपीयू की इस मांग को पूरा नहीं कर पा रहा है। बता दे की प्रदेश में इन नए कॉलेजों के साथ ही अन्य पुराने भी कुछ ऐसे कॉलेज है जिनके पास एचपीयू से स्थायी संबद्धता ही नहीं ली है। ऐसे में इन कॉलेजों को रूसा के तहत ग्रांट नहीं मिल पा रही है।


Conclusion:वहीं शिक्षा विभाग का इस पूरे मामले में एक ही तर्क दे रहा है कि एचपीयू को सरकार से जो ग्रांट मिल रही है उसी में कॉलेजों की एफिलेशन फीस भी एचपीयू को मिल रही है। ऐसे में एचपीयू की सरकार से अलग बजट की मांग गलत है। शिक्षा विभाग ना तो एचपीयू को ना ही कॉलेजों को बजट एफिलेशन का बजट मुहैया नहीं करवा रहा है और कॉलेज बिना एफिलेशन के ही चल रहे है। अब अगर एचपीयू एफिलेशन ना लेने पर कॉलेजों पर शिकंजा कसता है तो ऐसे के हजारों छात्रों का भविष्य खतरे में आ सकता है।
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