शिमलाः हिमाचल के कॉलेजों को स्थाई मान्यता देने का मामला शिक्षा विभाग और एचपीयू के बीच उलझ कर ही रह गया है. अब हालात यह है कि प्रदेश के करीब 63 नए कॉलेजों को एचपीयू एफिलेशन नहीं दे रहा है, और न इन कॉलेजों पर कोई अन्य कार्रवाई कर रहा है.
हालांकि जो नियम एफिलेशन के लिए तय है अगर उनका पालन नहीं हो रहा है तो एचपीयू संबंधित संस्थान के छात्रों के परिणाम रोकने के साथ ही उनकी डिग्रियां भी रोक सकता है. ऐसे में अगर ये कॉलेज एफिलेशन लेते ही नहीं है तो इसका खामियाजा कॉलेज के छात्रों को उठाना पड़ सकता है.
कॉलेजों के पास एफिलेशन के लिए कोई बजट का प्रावधान ना होने के चलते एचपीयू से एफिलेशन फीस माफ करने का मामला भी काफी बार उठाया जा चुका है, लेकिन इसका भी कोई हल नहीं हो पाया है. मामला शिक्षा विभाग और एचपीयू के बीच ही उलझ कर रह गया है.
कॉलेजों की एफिलेशन फीस को माफ करने के लिए एचपीयू तर्क दे रहा है कि एचपीयू को शिक्षा विभाग सरकार से एफिलेशन फीस का बजट मुहैया करवाए.
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वहीं, शिक्षा विभाग का इस मामले में तर्क दे रहा है कि एचपीयू को सरकार से जो ग्रांट मिल रही है उसी में कॉलेजों की एफिलेशन फीस भी एचपीयू को मिल रही है, ऐसे में एचपीयू की सरकार से अलग बजट की मांग सही नहीं है.
शिक्षा विभाग ना तो एचपीयू को और ना ही कॉलेजों को एफिलेशन का बजट मुहैया करवा रहा है. प्रदेश में कई कॉलेज बिना एफिलेशन के ही चल रहे है. अब अगर एचपीयू एफिलेशन ना लेने पर कॉलेजों पर शिकंजा कसता है तो ऐसे में हजारों छात्रों का भविष्य खतरे में आ सकता है.
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