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High Court ने विधायक कटवाल की सिफारिश पर हुए तबादले को किया रद्द, जानिए क्या रहा कारण

हाईकोर्ट ने झंडूता विधानसभा क्षेत्र के विधायक जीत राम कटवाल की सिफारिश पर आधारित तबादला आदेश को गलत ठहराया.न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने पाया कि स्थानांतरण आदेश विधायक द्वारा की गई सिफारिश के आधार पर किया गया.

हाईकोर्ट
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Published : Oct 9, 2021, 5:38 PM IST

शिमला: प्रदेश हाईकोर्ट ने झंडूता विधानसभा क्षेत्र के विधायक जीत राम कटवाल की सिफारिश पर आधारित तबादला आदेश को गलत ठहराया. कोर्ट ने राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला दसलेहरा जिला बिलासपुर में तैनात टीजीटी प्रोमिला के तबादला आदेशों को रद्द कर दिया. प्रार्थी के अनुसार विधायक सिफारिश को आधार बनाकर निजी प्रतिवादी को एडजस्ट करने के उद्देश्य से उसे मौजूदा स्थान से राजकीय उच्च पाठशाला कुनेड़ जिला चंबा भेजा जा रहा.

न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने पाया कि स्थानांतरण आदेश विधायक द्वारा की गई सिफारिश के आधार पर किया गया, जबकि हाईकोर्ट द्वारा विभिन्न मामलों में पारित निर्णयों के दृष्टिगत डीओ नोट के आधार पर जारी स्थानांतरण आदेश कानूनन मान्य नहीं है. प्रार्थी का यह भी आरोप था कि उसका तबादला सरकार द्वारा स्थानांतरणों पर बैन लगाने के बावजूद किया गया. न्यायालय ने मामले से जुड़े रिकॉर्ड का अवलोकन कर पाया कि विधायक ने केवल प्रार्थी के तबादले की सिफारिश की, बल्कि कुल 15 कर्मचारियों के तबादलों की सिफारिशें की ,जिन्हें दुर्भाग्यपूर्ण कम्पीटेंट अथॉरिटी ने बिना प्रशासनिक विभागों की विवेचना के स्वीकार भी कर लिया गया. कोर्ट ने पाया कि यह स्थानांतरण आदेश पूरी तरह से राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते किये गए. न्यायालय ने स्थानांतरण आदेशों को कानून के विपरीत ठहराते हुए रद्द कर दिया.

शिमला: प्रदेश हाईकोर्ट ने झंडूता विधानसभा क्षेत्र के विधायक जीत राम कटवाल की सिफारिश पर आधारित तबादला आदेश को गलत ठहराया. कोर्ट ने राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला दसलेहरा जिला बिलासपुर में तैनात टीजीटी प्रोमिला के तबादला आदेशों को रद्द कर दिया. प्रार्थी के अनुसार विधायक सिफारिश को आधार बनाकर निजी प्रतिवादी को एडजस्ट करने के उद्देश्य से उसे मौजूदा स्थान से राजकीय उच्च पाठशाला कुनेड़ जिला चंबा भेजा जा रहा.

न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने पाया कि स्थानांतरण आदेश विधायक द्वारा की गई सिफारिश के आधार पर किया गया, जबकि हाईकोर्ट द्वारा विभिन्न मामलों में पारित निर्णयों के दृष्टिगत डीओ नोट के आधार पर जारी स्थानांतरण आदेश कानूनन मान्य नहीं है. प्रार्थी का यह भी आरोप था कि उसका तबादला सरकार द्वारा स्थानांतरणों पर बैन लगाने के बावजूद किया गया. न्यायालय ने मामले से जुड़े रिकॉर्ड का अवलोकन कर पाया कि विधायक ने केवल प्रार्थी के तबादले की सिफारिश की, बल्कि कुल 15 कर्मचारियों के तबादलों की सिफारिशें की ,जिन्हें दुर्भाग्यपूर्ण कम्पीटेंट अथॉरिटी ने बिना प्रशासनिक विभागों की विवेचना के स्वीकार भी कर लिया गया. कोर्ट ने पाया कि यह स्थानांतरण आदेश पूरी तरह से राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते किये गए. न्यायालय ने स्थानांतरण आदेशों को कानून के विपरीत ठहराते हुए रद्द कर दिया.

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