शिमलाः हिमाचल सरकार ने पर्यटन कारोबार को फिर पटरी पर लाने के लिए कवायद तेज कर दी है. एक ओर जहां सरकार की ओर से पर्यटकों के आने के लिए परमिशन दे दी गई है. वहीं, अब सरकार ने पर्यटन क्षेत्र की जरूरतों को पूरा करने के लिए वर्किंग कैपिटल लोन देने के लिए एक योजना को अधिसूचित किया है.
निदेशक पर्यटन विभाग यूनुस ने बताया कि कोविड-19 महामारी के दौरान पर्यटन क्षेत्र को मजबूत करने करने के लिए हिमाचल सरकार ने आतिथ्य क्षेत्र में कार्यशील पूंजी ऋणों पर ब्याज अनुदान योजना शुरू की है. इस योजना में अधिकतम 11 प्रतिशत प्रतिवर्ष के मासिक कंपाउंड इंटरेस्ट पर ब्याज दरें तय की गई हैं.
योजना का लाभ 31 मार्च, 2021 तक ले सकते हैं
यूनुस ने कहा कि पंजीकृत पर्यटन इकाइयां इस योजना का लाभ 31 मार्च, 2021 तक योजना अधिसूचित होने की तिथि से उठा सकती हैं. उन्होंने कहा कि इस लोन का भुगतान चार सालों के अंदर करना होगा, जिसमें ब्याज अनुदान के पहले दो साल और ऋण स्थगन का एक साल भी शामिल है.
लोन अदायगी के पहले दो सालों में लोन की 50 फीसदी राशि हिमाचल सरकार की ओर से साल के अंत में प्रतिपूर्ति की जाएगी, जबकि अंतिम दो सालों का ब्याज लोन लेने वाली इकाई को खुद चुकाना होगा.
पर्यटन इकाई ऑपरेटर ऐसे करें आवेदन
यूनुस ने बताया कि इच्छुक पर्यटन इकाई ऑपरेटर कार्यशील पूंजी ऋण लेने के लिए जिला पर्यटन विकास अधिकारी और संबंधित उप निदेशक को आवेदन कर सकते हैं, जो लोन लेने के लिए मामले को बैंक को प्रायोजित करेंगे.
ये बैंक देंगे सुविधा
इस योजना के तहत तीन सहकारी बैंकों से लोन सुविधा ली जा सकती है जिसमें हिमाचल प्रदेश राज्य सहकारी बैंक, कांगड़ा केंद्रीय सहकारी बैंक, जोगिन्द्रा केंद्रीय सहकारी बैंक और व्यवसायिक बैंक शामिल है.
जीएसीटी भुगतान पर आधारित होगी पात्रता
निदेशक पर्यटन ने बताया कि इसके लिए पात्रता की शर्त व परिमाण इकाई के जीएसीटी भुगतान पर आधारित होगा. हालांकि छोटी पंजीकृत इकाइयां जो जीएसटी के अन्तर्गत नहीं आती, 15 लाख तक की अधिकतम लोन सीमा और 1.5 लाख रुपये प्रति कमरे के हिसाब से ऋण लेने के लिए पात्र होगी.
अगर पंजीकृत पर्यटन इकाइयों ने औसतन प्रति वर्ष 1 करोड़ रुपये तक का जीएसटी भुगतान किया होगा, ऐसी इकाइयां 50 लाख रुपये के कार्यशील पूंजी ऋण के लिए पात्र होगी और जिन इकाइयों ने 1 करोड़ से 3 करोड़ रुपये का भुगतान किया होगा, ऐसी इकाइयां 75 लाख रुपये तथा जिन इकाइयों ने 3 करोड़ रुपये से अधिक का जीएसटी का भुगतान किया होगा, ऐसी इकाइयां एक करोड़ रुपये ऋण लेने के पात्र होगी.
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