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लोक गीत 'इस ग्रांये देया लम्बरा हो' की मशहूर गायिका शांति बिष्ट का देहांत - Himachali Singer Shanti Bisht

'इस ग्रांये देया लम्बरा हो इन्हां छोरूआं जो लेयां समझाई कि बता जांदे सिटी मारदे' जैसे सुप्रसिद्ध लोक गीतों की गायिका शांति बिष्ट (77) का रविवार को देहांत हो गया. वे पक्षघात और दिल की बिमारी से पीड़ित थीं. शांति बिष्ट हिमाचल की पहली लोक कलाकार थीं जिनके गाने दूरदर्शन जालंधर पर टेलीकास्ट हुए.

folk singer Shanti Bisht died at 77
गायिका शांति बिष्ट का देहांत
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Published : Aug 9, 2020, 10:00 PM IST

शिमला: प्रदेश की प्रसिद्ध लोक गायिका शांति बिष्ट का आज देहांत हो गया. शिमला रेडियो के साथ साथ कई रेडियो स्टेशन में अपनी आवाज से शांति बिष्ट ने अपने गीतों से प्रसिद्धि पाई थी. 77 साल की वरिष्ठ लोक गायिका पक्षघात और दिल की बिमारी से पीड़ित थी जिसके चलते रविवार सुबह उनका देहांत हो गया.

शांति बिष्ट 'इस ग्रांये देया लम्बरा हो इन्हां छोरूआं जो लेयां समझाई कि बता जांदे सिटी मारदे' से रातों-रात एक अलग पहचान मिली थी. इसके बाद उनका लोक गायकी का यह सफर आगे बढ़ता गया और शिमला आकाशवाणी पर गीत गाने के साथ ही उन्होंने कई अन्य रेडियो स्टेशनों पर भी अपने लोकगीतों से अलग पहचान बनाई. बीते एक वर्ष से उनकी सेहत ठीक नहीं थी और उपचार के बाद भी वह ठीक नहीं हुई.

शांति बिष्ट धर्मशाला से साथ लगते दाड़ी कस्बे से संबंध रखती थीं. उनका जन्म एक नेपाली परिवार में हुआ था. स्कूल के समय से है उन्हें गाने का शौक था और स्कूल में भी सांस्कृतिक कार्यक्रमों में वह बढ़ चढ़ कर भाग लेती थीं.

बीए, जेबीटी और एलटी करने के बाद उनकी शादी मशहूर लेखक/साहित्यकार जयदेव किरण के साथ हुई और वह शिमला आ गईं. यहां अकाशवाणी से जुड़ गई और उनकी गायकी के सफर की शुरुआत हुई और यहीं से उन्हें लोक गायिका के रूप में अलग पहचान और प्रसिद्धि मिली.

शांति बिष्ट के गाये गीत 'इस ग्रांये देया लम्बरा हो इन्हां छोरूआं जो लेयां समझाई कि बत्ता जांदे सिटी मारदे' के अलावा 'लाड़ा भुखा आया, मैं खिचड़ी पकावा' गीत भी अपने दौर का बेहद प्रसिद्ध हुए.

शांति बिष्ट ने ना केवल हिमाचली गीतों को गाया बल्कि बगांली, असमी, मराठी, पंजाबी और तमिल में भी गीत गाये. गायकी ओर आकाशवाणी से उनका लगाव ही था की शिक्षिका की नौकरी मिलने के बाद भी उन्होंने गायकी के इस सफर को जारी रखा.

उन्होंने महाभारत सीरियल में युधिष्टर के पात्र से मशहूर हुए गजेंद्र चौहान के 'यह इश्क नहीं आसां' में दो गीत गाये. बतौर भाषा अध्यापिका शांति बिष्ट की पहली नियुक्ति क्यौंथल स्कूल में हुई. बाद में उन्होंने शिमला के लक्कड़ बाजार और पोर्टमोर स्कूलों में अपनी सेवाएं दी.

इन स्कूलों में बच्चों के सांस्कृतिक दल तैयार करना उनके जिम्मे होता था. ऐसे ही सांस्कृतिक दलों के साथ उन्होंने देश के कई शहरों में सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लिया. उन्होंने हजारों स्टूडेंट्स और टीचर्स को इसके लिए ट्रेंड किया.

पहले मुख्यमंत्री वाईएस परमार के समक्ष भी दी प्रस्तुति

स्टेटहुड मिलने के अवसर पर शांति बिष्ट ने पहले मुख्यमंत्री डॉ. वाईएस परमार के सामने अपनी सांस्कृतिक दल के लीडर के तौर पर प्रस्तुति दी थी.

ये भी पढ़ें- संजय सिंह चौहान का CM पर जुबानी हमला, कहा- प्रदेश में गरीबों और अमीरों के लिए अलग नियम

ये भी पढ़ें- ग्रामीण विकास विभाग की योजनाओं को दी जाएगी एकरूपता: वीरेंद्र कंवर

शिमला: प्रदेश की प्रसिद्ध लोक गायिका शांति बिष्ट का आज देहांत हो गया. शिमला रेडियो के साथ साथ कई रेडियो स्टेशन में अपनी आवाज से शांति बिष्ट ने अपने गीतों से प्रसिद्धि पाई थी. 77 साल की वरिष्ठ लोक गायिका पक्षघात और दिल की बिमारी से पीड़ित थी जिसके चलते रविवार सुबह उनका देहांत हो गया.

शांति बिष्ट 'इस ग्रांये देया लम्बरा हो इन्हां छोरूआं जो लेयां समझाई कि बता जांदे सिटी मारदे' से रातों-रात एक अलग पहचान मिली थी. इसके बाद उनका लोक गायकी का यह सफर आगे बढ़ता गया और शिमला आकाशवाणी पर गीत गाने के साथ ही उन्होंने कई अन्य रेडियो स्टेशनों पर भी अपने लोकगीतों से अलग पहचान बनाई. बीते एक वर्ष से उनकी सेहत ठीक नहीं थी और उपचार के बाद भी वह ठीक नहीं हुई.

शांति बिष्ट धर्मशाला से साथ लगते दाड़ी कस्बे से संबंध रखती थीं. उनका जन्म एक नेपाली परिवार में हुआ था. स्कूल के समय से है उन्हें गाने का शौक था और स्कूल में भी सांस्कृतिक कार्यक्रमों में वह बढ़ चढ़ कर भाग लेती थीं.

बीए, जेबीटी और एलटी करने के बाद उनकी शादी मशहूर लेखक/साहित्यकार जयदेव किरण के साथ हुई और वह शिमला आ गईं. यहां अकाशवाणी से जुड़ गई और उनकी गायकी के सफर की शुरुआत हुई और यहीं से उन्हें लोक गायिका के रूप में अलग पहचान और प्रसिद्धि मिली.

शांति बिष्ट के गाये गीत 'इस ग्रांये देया लम्बरा हो इन्हां छोरूआं जो लेयां समझाई कि बत्ता जांदे सिटी मारदे' के अलावा 'लाड़ा भुखा आया, मैं खिचड़ी पकावा' गीत भी अपने दौर का बेहद प्रसिद्ध हुए.

शांति बिष्ट ने ना केवल हिमाचली गीतों को गाया बल्कि बगांली, असमी, मराठी, पंजाबी और तमिल में भी गीत गाये. गायकी ओर आकाशवाणी से उनका लगाव ही था की शिक्षिका की नौकरी मिलने के बाद भी उन्होंने गायकी के इस सफर को जारी रखा.

उन्होंने महाभारत सीरियल में युधिष्टर के पात्र से मशहूर हुए गजेंद्र चौहान के 'यह इश्क नहीं आसां' में दो गीत गाये. बतौर भाषा अध्यापिका शांति बिष्ट की पहली नियुक्ति क्यौंथल स्कूल में हुई. बाद में उन्होंने शिमला के लक्कड़ बाजार और पोर्टमोर स्कूलों में अपनी सेवाएं दी.

इन स्कूलों में बच्चों के सांस्कृतिक दल तैयार करना उनके जिम्मे होता था. ऐसे ही सांस्कृतिक दलों के साथ उन्होंने देश के कई शहरों में सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लिया. उन्होंने हजारों स्टूडेंट्स और टीचर्स को इसके लिए ट्रेंड किया.

पहले मुख्यमंत्री वाईएस परमार के समक्ष भी दी प्रस्तुति

स्टेटहुड मिलने के अवसर पर शांति बिष्ट ने पहले मुख्यमंत्री डॉ. वाईएस परमार के सामने अपनी सांस्कृतिक दल के लीडर के तौर पर प्रस्तुति दी थी.

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