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राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर मंथन के लिए जुटे शिक्षाविद, दो दिनों की कार्यशाला में शिक्षा नीति पर लिए जाएंगे सुझाव

शिक्षा नीति पर मंथन करने के लिए शिमला में दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया है. इस दौरान राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर सभी शिक्षाविद मंथन करेंगे.

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Published : Jul 20, 2019, 9:12 AM IST

Educationist to discuss national education policy in Shimla

शिमला: राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर प्रदेश के शिक्षाविदों के क्या सुझाव और प्रतिक्रिया हैं इसे जानने के लिए हायर एजुकेशन कौंसिल की ओर से दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला का शुभारंभ शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने किया. कार्यशाला में राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर सभी शिक्षाविद मंथन करेंगे और अपने सुझाव इस नीति के तैयार किए गए ड्राफ्ट पर देंगे.

कार्यशाला में हायर एजुकेशन कौंसिल के चेयरमैन प्रो. सुनील गुप्ता के साथ ही प्रदेश तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति, हिमाचल स्कूल शिक्षा बोर्ड के चैयरमैन के साथ ही प्रदेश विश्वविद्यालय के साथ ही प्रदेश के कॉलेजों के प्रिंसिपल सहित शिक्षक एक साथ एकत्र हुए हैं. कार्यशाला के पहले दिन राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तैयार किए गए ड्राफ्ट पर विस्तार से चर्चा की गई.

वीडियो.

कार्यशाला में हायर एजुकेशन कौंसिल के चैयरमैन सहित प्रो. सी. एल चंदन ने मुख्य वक्ता के रूप में इस नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के ड्राफ्ट पर चर्चा की. उन्होंने कहा कि शिक्षा का स्तर उठाने के लिए प्राइमरी शिक्षा को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. अर्ली चाइल्डहुड केअर एजुकेशन पर ध्यान देकर आंगनबाड़ी केन्द्रों को मॉर्डन बनाया जाना चाहिए. छात्रों को 12वीं कक्षा तक किसी भी तरह की स्पेशलाइजेशन ना देकर वोकेशनल कोर्सेज से जोड़ने का प्रावधान राष्ट्रीय एजुकेशन पॉलिसी के ड्राफ्ट में किया गया है. इसके साथ ही 8वीं तक छात्रों को अपनी मातृभाषा में शिक्षा देने के साथ ही तीन भाषाएं पढ़ाई जानी चाहिए और शिक्षा को शिक्षण संस्थानों को मल्टीडिसिप्लिनरी बनाया जाना चाहिए. नई शिक्षा नीति के ड्राफ्ट में राष्ट्रीय शिक्षा आयोग का गठन पीएम की अध्यक्षता में करने के साथ ही शिक्षण संस्थानों को भी तीन कैटेगरी में बांटने का प्रावधान किया गया है.

शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि अगर भारत को एक बार फिर से विश्वगुरु बनाना है तो शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव करना जरूरी है. उन्होंने कहा कि अभी भी देश में अंग्रेजों के जमाने की बनाई हुई शिक्षा नीति चल रही है जिसमें कई खामियां हैं. इन खामियों को दूर करने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति का ड्राफ्ट बनाया गया हैं. जिस पर चर्चा के लिए कार्यशाला का आयोजन किया गया है. इस कार्यशाला में जो भी सुझाव नई शिक्षा नीति को लेकर आएंगे उनकी रिपोर्ट बना कर केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय को सौंपी जाएगी.

शिमला: राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर प्रदेश के शिक्षाविदों के क्या सुझाव और प्रतिक्रिया हैं इसे जानने के लिए हायर एजुकेशन कौंसिल की ओर से दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला का शुभारंभ शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने किया. कार्यशाला में राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर सभी शिक्षाविद मंथन करेंगे और अपने सुझाव इस नीति के तैयार किए गए ड्राफ्ट पर देंगे.

कार्यशाला में हायर एजुकेशन कौंसिल के चेयरमैन प्रो. सुनील गुप्ता के साथ ही प्रदेश तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति, हिमाचल स्कूल शिक्षा बोर्ड के चैयरमैन के साथ ही प्रदेश विश्वविद्यालय के साथ ही प्रदेश के कॉलेजों के प्रिंसिपल सहित शिक्षक एक साथ एकत्र हुए हैं. कार्यशाला के पहले दिन राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तैयार किए गए ड्राफ्ट पर विस्तार से चर्चा की गई.

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कार्यशाला में हायर एजुकेशन कौंसिल के चैयरमैन सहित प्रो. सी. एल चंदन ने मुख्य वक्ता के रूप में इस नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के ड्राफ्ट पर चर्चा की. उन्होंने कहा कि शिक्षा का स्तर उठाने के लिए प्राइमरी शिक्षा को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. अर्ली चाइल्डहुड केअर एजुकेशन पर ध्यान देकर आंगनबाड़ी केन्द्रों को मॉर्डन बनाया जाना चाहिए. छात्रों को 12वीं कक्षा तक किसी भी तरह की स्पेशलाइजेशन ना देकर वोकेशनल कोर्सेज से जोड़ने का प्रावधान राष्ट्रीय एजुकेशन पॉलिसी के ड्राफ्ट में किया गया है. इसके साथ ही 8वीं तक छात्रों को अपनी मातृभाषा में शिक्षा देने के साथ ही तीन भाषाएं पढ़ाई जानी चाहिए और शिक्षा को शिक्षण संस्थानों को मल्टीडिसिप्लिनरी बनाया जाना चाहिए. नई शिक्षा नीति के ड्राफ्ट में राष्ट्रीय शिक्षा आयोग का गठन पीएम की अध्यक्षता में करने के साथ ही शिक्षण संस्थानों को भी तीन कैटेगरी में बांटने का प्रावधान किया गया है.

शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि अगर भारत को एक बार फिर से विश्वगुरु बनाना है तो शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव करना जरूरी है. उन्होंने कहा कि अभी भी देश में अंग्रेजों के जमाने की बनाई हुई शिक्षा नीति चल रही है जिसमें कई खामियां हैं. इन खामियों को दूर करने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति का ड्राफ्ट बनाया गया हैं. जिस पर चर्चा के लिए कार्यशाला का आयोजन किया गया है. इस कार्यशाला में जो भी सुझाव नई शिक्षा नीति को लेकर आएंगे उनकी रिपोर्ट बना कर केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय को सौंपी जाएगी.

Intro:राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर प्रदेश के शिक्षाविदों के क्या सुझाव ओर प्रतिक्रिया है इसे जानने को लेकर दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन हायर एजुकेशन कौंसिल की ओर से किया गया है। इस कार्यशाला का शुभारंभ शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने किया। कार्यशाला में राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर सभी शिक्षाविद मंथन करेंगे और अपने सुझाव इस नीति के तैयार किए गए ड्राफ्ट पर देंगे। कार्यशाला में हायर एजुकेशन कौंसिल के चेयरमैन प्रो.सुनील गुप्ता के साथ ही प्रदेश तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति,हिमाचल स्कूल शिक्षा बोर्ड के चैयरमेन के साथ ही प्रदेश विश्वविद्यालय के साथ ही प्रदेश के कॉलेजों के प्रिंसिपल सहित शिक्षक एक साथ एकत्र हुए है। कार्यशाला के पहले दिन राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तैयार किए गए ड्राफ्ट पर विस्तार से चर्चा की गई।


Body:शिक्षा नीति में क्या क्या नए प्रावधान किए गए है जिससे कि शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारा जा सके इसे लेकर विस्तार से चर्चा की गई। कार्यशाला में हायर एजुकेशन कौंसिल के चैयरमेन सहित प्रो. सी.एल चंदन ने मुख्य वक्ता के रूप में इस नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के ड्राफ्ट पर चर्चा की । उन्होंने कहा कि अगर शिक्षा का स्तर उठाना है तो उसके लिए प्राइमरी शिक्षा को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। अर्ली चाइल्डहुड केअर एजुकेशन पर ध्यान दे कर आंगनबाड़ी केन्द्रों को मॉर्डन करना जरूरी है। छात्रों को 12वीं कक्षा तक किसी भी तरह की स्पेशलाइजेशन ना देकर वोकेशनल कोर्सेज से जोड़ने का प्रावधान राष्ट्रीय एजुकेशन पॉलिसी के ड्राफ्ट में किया गया है। इसके साथ ही आठवीं तक छात्रों को अपनी मातृभाषा में शिक्षा देने के साथ ही तीन भाषाएं पढ़ाई जानी चाहिए ओर शिक्षा को शिक्षण संस्थानों को मल्टीडिसिप्लिनरी बनाया जाना चाहिए ओर जीडीपी का अधिक से अधिक प्रतिशत शिक्षा पर खर्च करने जैसे पहलू नई शिक्षा नीति के ड्राफ्ट में रखें गए है जो कि शिक्षा की गुणवत्ता के लिए जरूरी है। इसके साथ ही कार्यशाला में नई शिक्षा नीति के ड्राफ्ट में राष्ट्रीय शिक्षा आयोग का गठन पीएम की अध्यक्षता में करने के साथ ही शिक्षण संस्थानों को भी तीन कैटेगरी में बांटने का प्रावधान किया गया है। शोध की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए भी विशेष प्रावधान इस नीति के ड्राफ्ट में किए गए है।


Conclusion:कार्यशाला में तकनीकी सत्र में शिक्षाविदों के सुझाव भी इस नीति पर लिए गए। इस अवसर पर शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि अगर भारत को एक बार फिर से विश्वगुरु बनाना है तो शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव करना जरूरी है।उन्होंने कहा कि अभी भी देश में अंग्रेजों के जमाने की बनाई हुई शिक्षा नीति चल रही है जिसमें क़ई खामियां है । इन खामियों को दूर करने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति का ड्राफ्ट बनाया गया हैं जिस पर चर्चा के लिए कार्यशाला का आयोजन किया गया है। इस कार्यशाला में जो भी सुझाव नई शिक्षा नीति को लेकर आएंगे उनकी रिपोर्ट बना कर केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय को सौंपी जाएगी।
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