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'रेट्रोफिटिंग' से सुधरेगी जर्जर भवनों की हालत, वर्कशाप में विशेषज्ञों ने सरकार को दिए ये सुझाव - भवनों को भूकंपरोधी

हिमाचल में भवन को सुरक्षित बनाए जाने को लेकर आपदा प्रबंधन ने डिजास्टर रिस्क रिडक्शन विषय पर वर्कशॉप का आयोजन किया. आईआईटी मद्रास के प्रोफेसर सीवीआर मूर्ति ने नए भवन निर्माण के साथ-साथ पुरानी इमारतों को बचाने के बारे में बताया.

workshop on Disaster Risk Reduction
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Published : Oct 25, 2019, 7:41 AM IST

शिमलाः प्रदेश में भवनों को सुरक्षित बनाए जाने को लेकर आपदा प्रबंधन ने डिजास्टर रिस्क रिडक्शन विषय पर वर्कशॉप का आयोजन किया. वर्कशॉप में विशेषज्ञों ने सुरक्षित भवनों का निर्माण करने और जर्जर भवनों को मजबूत करने के सुझाव दिए.

आईआईटी मद्रास के प्रोफेसर सीवीआर मूर्ति ने नए भवन निर्माण के साथ-साथ पुरानी इमारतों को बचाने के बारे में बताया. प्रोफेसर ने बताया कि पुराने भवनों की हालत को रेट्रोफिटिंग तकनीक से सुधारा जा सकता है . इस तकनीक से जहां भवनों को मजबूत बनाया जा सकता है. वहीं, जर्जर भवनों की हालत को भी सुधारा जा सकता है.

प्रोफेसर सीवीआर मूर्ति ने कहा कि भवन को भूकंपरोधी बनाने के लिए विशेषज्ञ की टीम की ओर से भवन का डिजाइन तैयार किया जाता है. इसके लिए विशेषज्ञों की ओर से सीमेंट, बजरी, सरिया आदि का फार्मूला दिया जाता है, ताकि निर्माण के दौरान किसी तरह की चूक न हो.

वीडियो.

प्रोफेसर सीवीआर मूर्ति ने कहा कि शिमला में पुरानी भवनों की जांच की जानी चाहिए, जिससे पता चल सके कि ये भवन रहने लायक हैं या नही. स्कूल, अस्पतालों और पंचायत घर की जांच की जानी चाहिए. जिससे ये पता चल सके कि ये सभी भवन भूकम्प के झटकों को सह सकते हैं या नहीं. उन्होंने कहा कि हिमाचल में 30 लाख के करीब भवन हैं. ज्यादातर पुराने मकान भूकंप रोधी नहीं हैं. उन्होंने कहा कि रेट्रोफिटिंग की तकनीक से भवनों को भूकंपरोधी बनाया जा सकता है.


ये भी पढ़ें- हार पर बोले PCC चीफ राठौर, सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग कर BJP ने जीता चुनाव

शिमलाः प्रदेश में भवनों को सुरक्षित बनाए जाने को लेकर आपदा प्रबंधन ने डिजास्टर रिस्क रिडक्शन विषय पर वर्कशॉप का आयोजन किया. वर्कशॉप में विशेषज्ञों ने सुरक्षित भवनों का निर्माण करने और जर्जर भवनों को मजबूत करने के सुझाव दिए.

आईआईटी मद्रास के प्रोफेसर सीवीआर मूर्ति ने नए भवन निर्माण के साथ-साथ पुरानी इमारतों को बचाने के बारे में बताया. प्रोफेसर ने बताया कि पुराने भवनों की हालत को रेट्रोफिटिंग तकनीक से सुधारा जा सकता है . इस तकनीक से जहां भवनों को मजबूत बनाया जा सकता है. वहीं, जर्जर भवनों की हालत को भी सुधारा जा सकता है.

प्रोफेसर सीवीआर मूर्ति ने कहा कि भवन को भूकंपरोधी बनाने के लिए विशेषज्ञ की टीम की ओर से भवन का डिजाइन तैयार किया जाता है. इसके लिए विशेषज्ञों की ओर से सीमेंट, बजरी, सरिया आदि का फार्मूला दिया जाता है, ताकि निर्माण के दौरान किसी तरह की चूक न हो.

वीडियो.

प्रोफेसर सीवीआर मूर्ति ने कहा कि शिमला में पुरानी भवनों की जांच की जानी चाहिए, जिससे पता चल सके कि ये भवन रहने लायक हैं या नही. स्कूल, अस्पतालों और पंचायत घर की जांच की जानी चाहिए. जिससे ये पता चल सके कि ये सभी भवन भूकम्प के झटकों को सह सकते हैं या नहीं. उन्होंने कहा कि हिमाचल में 30 लाख के करीब भवन हैं. ज्यादातर पुराने मकान भूकंप रोधी नहीं हैं. उन्होंने कहा कि रेट्रोफिटिंग की तकनीक से भवनों को भूकंपरोधी बनाया जा सकता है.


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Intro:प्रदेश में जर्जर हो चुके भवन ओर भवनो को भूकंप की दृष्टि से सुरक्षित किया जा सकता है। रेट्रोफिटिंग तकनीक से भवनो की हालत को सुधारा जा सकता है। शिमला में आपदा प्रबंधन द्वारा पहाड़ी राज्यो में आपदा जोखिम न्यूनीकरण की चुनोतियो पर आयोजित कार्यशाला में विशेषज्ञों ने भवनो सुरक्षित भवनो के निर्माण पर जहा सरकार को अपने सुझाव दिए वही पुराने भवन को मजबूत भी किया जा सकता है। आईआईटी मद्रास के प्रोफेसर सीवीआर मूर्ति का कहना है कि नए भवन निर्माण के लिए मानक के साथ साथ पुरानी इमारतों को कैसे बचाया जा सखे ओर उन्हें कैसे सुरक्षित किया जा सके। इसको लेकर आज मंथन हुआ है। पुराने भवनो की हालत को रेट्रोफिटिंग तकनीक से सुधारा जा सकता है । इस तकनीक के द्वारा जहा भवन को मजबूत बनाया जा सकता है वही जर्जर भवनो को भी सुधारा जा सकता है।


Body:भवन को भूकंपरोधी बनाने के लिए विशेषज्ञ की टीम की ओर से भवन का डिजाइन तैयार लिया जाता है जहाँ देखा जाता है कि कहा कहा से भवन कमजोर है । इसके लिए विशेषज्ञ की ओर से सीमेंट बजरी, सरिया आदि का फार्मूला दिया जाता है ताकि निर्माण के दौरान किसी तरह की कमी न हो। उन्होंने कहा कि हिमाचल में 30 लाख के करीब भवन है और सबसे पहले जिला में डीसी एसपी ओर नगर निगम के भवन की हालत सुधारनी चाहिए और देखना चाहिए कि ये भवन रहने लायक है या नही। उसके बाद स्कूल अस्पतालों ओर पंचायत घर जोकि पुराने है और भूकम्प के झटकों को नही सह सकते है । उन्हें इस तकनीक से भूकंपरोधी बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हिमाचल में ज्यादातर मकान पुराने है जोकि भूकंप रोधी नही है।


Conclusion:
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