शिमला: शिमला जिला परिषद की मासिक बैठक (meeting of Shimla Zilla Parishad) में विभागों के अधिकारियों के न आने पर सदस्य भड़क गए और अतिरिक्त उपायुक्त से अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की. जिला परिषद के सदस्यों का कहना है कि बैठक में कई विभागों के प्रश्न लगाए गए थे, लेकिन जवाब देने के लिए विभागों के अधिकारी ही मौजूद नहीं थे. इसके अलावा खाद के बढ़ाए गए दाम (increased fertilizers rate in himachal) और ओलावृष्टि का मुआवजा (compensation of hail storm) नहीं देने पर सदस्यों ने हंगामा किया.
बैठक में झाखड़ी वार्ड की जिला परिषद सदस्य कविता कंटु के आकस्मिक निधन पर शोक व्यक्त किया गया तथा 2022-23 वित्तीय वर्ष के 15वें वित्तायोग के शेल्फ पारित किए गए. बैठक में सदस्यों ने सड़क, बिजली, पेयजल, बागवानी व स्वास्थ्य संबंधित विषयों पर अपने क्षेत्रों के प्रश्न पूछे और गहनता से प्रश्नों पर विस्तृत चर्चा की.
जिला परिषद सदस्य त्रिलोक भलूनी ने लूहरी प्रोजेक्ट द्वारा स्थानीय ग्रामीणों की समस्याओं की अनदेखी का मामला उठाया और एसजेवीएनएल अधिकारियों को उचित कार्रवाई करने का आह्वान किया, जिससे विस्थापितों के हितों की रक्षा की जा सके. जिला परिषद सदस्य सुभाष कैंथला ने विकास खण्ड नारकंडा की पंचायतों को प्रोजेक्ट प्रभावित क्षेत्रों में जोड़ने का मुद्दा उठाया, जिससे प्रोजेक्ट के कारण होने वाले नुकसान की भरपाई हो सके.
जिला परिषद सदस्य भारती जनारथा ने सिविल अस्पताल रोहडू की स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में रिक्त पदों का मामला उठाया, ताकि ग्रामीण लोगों को घरद्वार पर उचित स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध हो सके. जिला परिषद सदस्य नीमा जस्टा ने चौपाल के विभिन्न रमणीय स्थानों को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने बारे प्रश्न उठाए. इसके अलावा उन्होंने इन क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाओं के अभाव का मामला पर्यटन विभाग के समक्ष उठाया और समस्याओं को हल करने की मांग की.
जिला परिषद के उपाध्यक्ष सुरेंद्र रेटका ने कहा कि बैठक में आज विभागों के बड़े अधिकारी मौजूद नहीं थे और अधिकारियों ने जेई और छोटे स्तर के अधिकारी भेजे. जिस पर सदस्यों ने आपत्ति जताई और अतिरिक्त उपायुक्त से ऐसे अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की. उन्होंने कहा कि ओलावृष्टि से बागवानों को काफी नुकसान हुआ है, लेकिन अभी तक बागवानों को मुआवजा नही मिला है. इसके अलावा इस सरकार ने ढाई सौ रुपए खाद के दामों में वृद्धि कर दी है, जिससे बागवानों किसानों को महंगे दाम पर खाद खरीदनी पड़ रही है. जिला परिषद उपाध्यक्ष ने सरकार से बागवानों को मुआवजा देने और खाद के रेट कम करने की मांग की है.