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हिमाचल प्रदेश: उप चुनावों में भीतरघात से निपटना दोनों ही राजनीतिक दलों के लिए बड़ी चुनौती

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Published : Oct 9, 2021, 8:13 PM IST

हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में मंडी लोकसभा सीट (Mandi Loksabha Seat) समेत तीन विधानसभा सीटों पर उपचुनाव (Himachal By-election) हो रहे हैं. वहीं, टिकट की आस लगाए बैठे उम्मीदवारों को टिकट न मिलने पर विद्रोह के स्वर भी ऊंचे हो रहे हैं. प्रदेश भाजपा अर्की और फतेहपुर में विद्रोह को बाहरी तौर पर तो शांत करने में हो ही गई है, लेकिन दोनों ही स्थानों पर भीतरघात का खतरा अभी भी हुआ है. वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस को भी भीतरघात का सामना करना पड़ सकता है. मंडी में पंडित सुखराम परिवार और कौल सिंह ठाकुर की कांग्रेस के लिए अहम भूमिका रहने वाली है.

Dealing with infighting in the by-election is a big challenge for both the political parties in Himachal pradesh
फोटो.

शिमला: प्रदेश भाजपा अर्की और फतेहपुर में विद्रोह को बाहरी तौर पर तो शांत करने में हो ही गई है, लेकिन दोनों ही स्थानों पर भीतरघात का खतरा अभी भी हुआ है. फतेहपुर से भाजपा प्रत्याशी बलदेव ठाकुर और अर्की से रतन सिंह पाल ने अपना नामांकन भरा है वहीं, जुब्बल-कोटखाई में तो चेतन बरागटा ने तो निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन भर ही दिया है. इसके अलावा मंडी में भी पूर्व सांसद महेश्वर सिंह की भूमिका अहम रहने वाली है.

वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस को भी भीतरघात का सामना करना पड़ सकता है. मंडी में पंडित सुखराम परिवार और कौल सिंह ठाकुर की कांग्रेस के लिए अहम भूमिका रहने वाली है. पंडित सुखराम परिवार इन दिनों कांग्रेस में अलग-थलग महसूस कर रहा है. अर्की विधानसभा सीट की बात करें तो भाजपाइयों के अनुसार अनुराग ठाकुर ने ही अर्की भाजपा में सुलकी विद्रोह की आग को शांत किया और एक विद्रोही सुर अलाप रहे एक भाजपा नेता तो नामांकन के बाद आयोजित की गई जनसभा में भी शामिल हो हुए है.

हालांकि दो बार यहां से भाजपा विधायक रहे गोविंद राम शर्मा और उनकी टीम नामांकन भरने व उसके बाद हुई जनसभा से नदारद रहे, लेकिन गोविंद राम शर्मा ने बतौर आजाद प्रत्याशी नामांकन नहीं भरा, जबकि नामांकन से एक दिन पहले उनकी टोली ने एलान किया था कि वह कल सुबह नामांकन भरेंगे, लेकिन अगले दिन अनुराग ठाकुर अर्की पहुंच गए थे. इसके बाद अर्की हलके प्रभारी राजीव बिंदल ने इन बागियों को मनाया.

हालांकि अब भी भीतरघात होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता. अर्की में कांग्रेस व भाजपा में कड़ा मुकाबला होने के आसार हो गए. बागी न तो कांग्रेस से चुनाव मैदान में हैं और न ही भाजपा से अब भीतरघात का ही खतरा है, लेकिन खुल कर कोई ज्यादा नुकसान पहुंचाने की स्थिति में नहीं है.

अर्की विधानसभा सीट पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के निधन के बाद खाली हुई थी व कांग्रेस से पार्टी के महासचिव संजय अवस्थी को टिकट मिलने के बाद पूरे अर्की ब्लॉक कांग्रेस ने अपने पद से सामूहिक तौर पर इस्तीफा दे दिया था. लेकिन अर्की कांग्रेस से भाजपा की तरह ही कोई भी नेता बागी नहीं हुआ और बतौर आजाद प्रत्याशी चुनाव प्रचार में भी नहीं उतरा.

अगर जुब्बल कोटखाई में हो रहे उपचुनावों की बात करें कांग्रेस के लिए थोड़ी राहत की बात है. पिछली बार हुए विधानसभा सीट के परिसीमन के बाद जुब्बल-कोटखाई में रोहड़ू विधानसभा क्षेत्र कुछ हिस्सा भी शामिल हुआ है. इस क्षेत्र में पूर्व मुख्यमंत्री स्व. वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह ने एक बैठक कर सभी कांग्रेस समर्थकों को रोहित ठाकुर का सहयोग करने की बात कही है. ऐसे में हमेशा रोहित ठाकुर के विरोध में रहने वाला कांग्रेस का एक धड़ा अब उनके समर्थन में आ गया है.

वहीं, दूसरी तरफ भाजपा को लिए चुनौती भरी स्थिति है. जुब्बल कोटखाई में भाजपा के बागी चेतन बरागटा ने निर्दलीय के रूप में नामांकन भर कर भाजपा को मुश्किल में डाल दिया है. चेतन बरागटा के समर्थन में जुब्बल कोटखाई में उनके समर्थकों ने विशाल रैली निकाली और शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज के खिलाफ जमकर नारेबाजी की थी. चेतन बरागटा ने कहा कि वह भाजपा की सिपाही है और इस सीट को जीतने के बाद वह प्रदेश में भाजपा को ही मजबूत करेंगे.

उन्होंने व उनके समर्थकों ने इस मौके पर जमकर गुब्बारे निकाला था. चेतन बरागटा के बतौर आजाद प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरने के बाद यहां पर मुकाबला तिकोना व दिलचस्प हो गया है. बरागटा पूर्व भाजपा विधायक नरेंद्र बरागटा के पुत्र हैं और वह भाजपा आईटी प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक भी हैं. उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल से अभी अपने पद का नाम नहीं बताया है.

फतेहपुर विधानसभा चुनावों की बात करें यहां दोनों ही दलों को भीतरघात का सामना करना पड़ सकता है. कांग्रेस ने भवानी सिंह पठानिया ने चुनाव मैदान में उतारा है. इनके विरोध में कांग्रेस मंडल काफी पहले ही मुखर हो गया था. फतेहपुर के पुराने कांग्रेस नेताओं ने पार्टी हाईकमान के समक्ष अपनी नाराजगी भी जाहिर की थी और कहा था कि परिवारवाद को खत्म कर किसी अन्य कांग्रेसी कार्यकर्ता को टिकट दिया जाए.

अगर कांग्रेस कार्यकर्ताओं में फैली असंतोष की यह चिंगारी समय रहते शांत नहीं की गई तो फतेहपुर में कांग्रेस को भीतरघात का सामना करना पड़ सकता है. इसके अलावा भाजपा में भी टिकट के चाहवानों की लिस्ट लंबी थी. भाजपा ने पूर्व प्रत्याशी और पूर्व में सांसद रहे कृपाल परमार का टिकट काटकर बलदेव ठाकुर को दिया है.

बलदेव ठाकुर 2017 के चुनावों में भाजपा से बागी होकर चुनाव लड़े थे. पार्टी हाईकमान द्वारा टिकट की घोषणा होते ही फतेहपुर भाजपा मंडल ने कृपाल परमार के समर्थन में अपने पदों से त्यागपत्र दे दिया था. हालांकि उन्होंने त्यागपत्र कृपाल परमार के पास दिया था पार्टी नेतृत्व के पास नहीं इसलिए अभी तक उन पर किसी प्रकार का निर्णय नहीं लिया गया है.

भाजपा हालांकि कृपाल परमार को निर्दलीय लड़ने से रोकने में सफल हुई है, लेकिन यहां भीतरघात की आशंका बनी हुई है. इसके अलावा निर्दलीय चुनाव लड़ रहे राजन सुशांत भी भाजपा और कांग्रेस के लिए परेशानी बने हुए हैं. राजन सुशांत पूर्व में भाजपा से सांसद रहे हैं. क्षेत्र में उनकी अपनी पहचान है. ऐसे में भाजपा और कांग्रेस दोनों को ही नुकसान पहुंचा सकते हैं.

ये भी पढ़ें- जेल सुधार की मिसाल बना हिमाचल, कैदी करते हैं 1 करोड़ से ज्यादा की कमाई, अब जल्द सिल सकते स्कूल के यूनिफॉर्म

शिमला: प्रदेश भाजपा अर्की और फतेहपुर में विद्रोह को बाहरी तौर पर तो शांत करने में हो ही गई है, लेकिन दोनों ही स्थानों पर भीतरघात का खतरा अभी भी हुआ है. फतेहपुर से भाजपा प्रत्याशी बलदेव ठाकुर और अर्की से रतन सिंह पाल ने अपना नामांकन भरा है वहीं, जुब्बल-कोटखाई में तो चेतन बरागटा ने तो निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन भर ही दिया है. इसके अलावा मंडी में भी पूर्व सांसद महेश्वर सिंह की भूमिका अहम रहने वाली है.

वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस को भी भीतरघात का सामना करना पड़ सकता है. मंडी में पंडित सुखराम परिवार और कौल सिंह ठाकुर की कांग्रेस के लिए अहम भूमिका रहने वाली है. पंडित सुखराम परिवार इन दिनों कांग्रेस में अलग-थलग महसूस कर रहा है. अर्की विधानसभा सीट की बात करें तो भाजपाइयों के अनुसार अनुराग ठाकुर ने ही अर्की भाजपा में सुलकी विद्रोह की आग को शांत किया और एक विद्रोही सुर अलाप रहे एक भाजपा नेता तो नामांकन के बाद आयोजित की गई जनसभा में भी शामिल हो हुए है.

हालांकि दो बार यहां से भाजपा विधायक रहे गोविंद राम शर्मा और उनकी टीम नामांकन भरने व उसके बाद हुई जनसभा से नदारद रहे, लेकिन गोविंद राम शर्मा ने बतौर आजाद प्रत्याशी नामांकन नहीं भरा, जबकि नामांकन से एक दिन पहले उनकी टोली ने एलान किया था कि वह कल सुबह नामांकन भरेंगे, लेकिन अगले दिन अनुराग ठाकुर अर्की पहुंच गए थे. इसके बाद अर्की हलके प्रभारी राजीव बिंदल ने इन बागियों को मनाया.

हालांकि अब भी भीतरघात होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता. अर्की में कांग्रेस व भाजपा में कड़ा मुकाबला होने के आसार हो गए. बागी न तो कांग्रेस से चुनाव मैदान में हैं और न ही भाजपा से अब भीतरघात का ही खतरा है, लेकिन खुल कर कोई ज्यादा नुकसान पहुंचाने की स्थिति में नहीं है.

अर्की विधानसभा सीट पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के निधन के बाद खाली हुई थी व कांग्रेस से पार्टी के महासचिव संजय अवस्थी को टिकट मिलने के बाद पूरे अर्की ब्लॉक कांग्रेस ने अपने पद से सामूहिक तौर पर इस्तीफा दे दिया था. लेकिन अर्की कांग्रेस से भाजपा की तरह ही कोई भी नेता बागी नहीं हुआ और बतौर आजाद प्रत्याशी चुनाव प्रचार में भी नहीं उतरा.

अगर जुब्बल कोटखाई में हो रहे उपचुनावों की बात करें कांग्रेस के लिए थोड़ी राहत की बात है. पिछली बार हुए विधानसभा सीट के परिसीमन के बाद जुब्बल-कोटखाई में रोहड़ू विधानसभा क्षेत्र कुछ हिस्सा भी शामिल हुआ है. इस क्षेत्र में पूर्व मुख्यमंत्री स्व. वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह ने एक बैठक कर सभी कांग्रेस समर्थकों को रोहित ठाकुर का सहयोग करने की बात कही है. ऐसे में हमेशा रोहित ठाकुर के विरोध में रहने वाला कांग्रेस का एक धड़ा अब उनके समर्थन में आ गया है.

वहीं, दूसरी तरफ भाजपा को लिए चुनौती भरी स्थिति है. जुब्बल कोटखाई में भाजपा के बागी चेतन बरागटा ने निर्दलीय के रूप में नामांकन भर कर भाजपा को मुश्किल में डाल दिया है. चेतन बरागटा के समर्थन में जुब्बल कोटखाई में उनके समर्थकों ने विशाल रैली निकाली और शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज के खिलाफ जमकर नारेबाजी की थी. चेतन बरागटा ने कहा कि वह भाजपा की सिपाही है और इस सीट को जीतने के बाद वह प्रदेश में भाजपा को ही मजबूत करेंगे.

उन्होंने व उनके समर्थकों ने इस मौके पर जमकर गुब्बारे निकाला था. चेतन बरागटा के बतौर आजाद प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरने के बाद यहां पर मुकाबला तिकोना व दिलचस्प हो गया है. बरागटा पूर्व भाजपा विधायक नरेंद्र बरागटा के पुत्र हैं और वह भाजपा आईटी प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक भी हैं. उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल से अभी अपने पद का नाम नहीं बताया है.

फतेहपुर विधानसभा चुनावों की बात करें यहां दोनों ही दलों को भीतरघात का सामना करना पड़ सकता है. कांग्रेस ने भवानी सिंह पठानिया ने चुनाव मैदान में उतारा है. इनके विरोध में कांग्रेस मंडल काफी पहले ही मुखर हो गया था. फतेहपुर के पुराने कांग्रेस नेताओं ने पार्टी हाईकमान के समक्ष अपनी नाराजगी भी जाहिर की थी और कहा था कि परिवारवाद को खत्म कर किसी अन्य कांग्रेसी कार्यकर्ता को टिकट दिया जाए.

अगर कांग्रेस कार्यकर्ताओं में फैली असंतोष की यह चिंगारी समय रहते शांत नहीं की गई तो फतेहपुर में कांग्रेस को भीतरघात का सामना करना पड़ सकता है. इसके अलावा भाजपा में भी टिकट के चाहवानों की लिस्ट लंबी थी. भाजपा ने पूर्व प्रत्याशी और पूर्व में सांसद रहे कृपाल परमार का टिकट काटकर बलदेव ठाकुर को दिया है.

बलदेव ठाकुर 2017 के चुनावों में भाजपा से बागी होकर चुनाव लड़े थे. पार्टी हाईकमान द्वारा टिकट की घोषणा होते ही फतेहपुर भाजपा मंडल ने कृपाल परमार के समर्थन में अपने पदों से त्यागपत्र दे दिया था. हालांकि उन्होंने त्यागपत्र कृपाल परमार के पास दिया था पार्टी नेतृत्व के पास नहीं इसलिए अभी तक उन पर किसी प्रकार का निर्णय नहीं लिया गया है.

भाजपा हालांकि कृपाल परमार को निर्दलीय लड़ने से रोकने में सफल हुई है, लेकिन यहां भीतरघात की आशंका बनी हुई है. इसके अलावा निर्दलीय चुनाव लड़ रहे राजन सुशांत भी भाजपा और कांग्रेस के लिए परेशानी बने हुए हैं. राजन सुशांत पूर्व में भाजपा से सांसद रहे हैं. क्षेत्र में उनकी अपनी पहचान है. ऐसे में भाजपा और कांग्रेस दोनों को ही नुकसान पहुंचा सकते हैं.

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