शिमला: जयराम ठाकुर एक शालीन नेता हैं, ये शब्द पूर्व मुख्यमंत्री और हिमाचल की राजनीति के कद्दावर नेता स्व. वीरभद्र सिंह के हैं. अपने तीखे तेवरों के लिए चर्चित माकपा नेता राकेश सिंघा ने पिछले साल मॉनसून सत्र के दौरान विधानसभा में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को दयालु बताते हुए कहा था कि जिस रफ्तार से वे आगे बढ़ रहे हैं तो पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह जैसे तो नहीं लेकिन उनकी बराबरी जरूर कर लेंगे. वर्ष 2017 में सत्ता संभालने के बाद मार्च 2018 में जब जयराम ठाकुर का मुख्यमंत्री के तौर पर पहला बजट सत्र था तब 13 मार्च 2018 को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रामलाल ठाकुर ने विधानसभा में जयराम ठाकुर को नौजवान, सुंदर और सहनशील बताया था.
बेशक मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की छवि विनम्र स्वभाव की है लेकिन विवाद उनकी सरकार का पीछा (Jairam government controversies ) नहीं छोड़ रहे हैं. चुनावी साल में विधानसभा उपाध्यक्ष हंसराज के वायरल वीडियो में स्कूली छात्र को रसीद किए गए चांटे की गूंज दूर तक जाएगी. इसी सरकार के कार्यकाल में कुल्लू में हाई वोल्टेज ड्रामा हुआ था, जब सीएम जयराम ठाकुर की सुरक्षा में तैनात कर्मचारी ने एसपी कुल्लू पर प्रहार किया था. उसी दौरान एसपी कुल्लू ने मुख्यमंत्री के सुरक्षा अधिकारी को थप्पड़ जड़ दिया था. हाल ही में उच्च शिक्षित कहे जाने वाले विधानसभा उपाध्यक्ष और डॉक्टरेट की डिग्री से अलंकृत डॉ. हंसराज ने चंबा के एक स्कूल में बच्चे को थप्पड़ (Deputy Speaker Hansraj Slaps Student) मार दिया.
आइए देखते हैं कि सत्ता संभालने के बाद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के नेतृत्व वाली सरकार को किन बड़े विवादों से जूझना पड़ा और कैसे जयराम सरकार के सामाजिक सुरक्षा पेंशन के बेहतरीन कार्यों पर विवादों की काली छाया पड़ी.
वर्ष 2018 की शुरुआत में ही जंजैहली में एसडीएम ऑफिस का विवाद (SDM office dispute in Janjehli) हाईकोर्ट तक पहुंचा. इलाके के लोग इस बात से खफा थे कि भाजपा सरकार ने थुनाग के एसडीएम को चार दिन जंजैहली में बैठने के आदेश जारी किए. इससे जंजैहली की जनता भड़क गई और नौबत यहां तक आई कि मुख्यमंत्री ने जब जनता से फोन पर बात की तो गुस्साए लोगों ने नारेबाजी कर दी. इस तरह नई सरकार की शुरुआत ही इस अप्रिय विवाद से हुई. हालांकि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने अपनी पहली ही कैबिनेट बैठक में वृद्धावस्था पेंशन की आयु सीमा 80 साल से घटाकर 70 साल की थी. इस फैसले को सभी ने सराहा था लेकिन ऐन इस फैसले के बाद नए साल में 2018 में जंजैहली विवाद हो गया.
2018 में ही नूरपुर में स्कूल बस हादसा (Noorpur school bus accident) हुआ. इस हादसे में 27 बच्चों की जान चली गई थी. तब यह आरोप लगा था कि बच्चों के शव परिजनों को 3 घंटे देरी से सौंपे गए, क्योंकि मुख्यमंत्री घटना स्थल पर आने वाले थे. इस दुखद घटना पर भी सरकार को अप्रिय विवाद का सामना करना पड़ा. इसके बाद वर्ष 2018 में ही कसौली में टीसीपी के अधिकारी शैल बाला की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इस मामले में भी जयराम सरकार को कानून व्यवस्था के मोर्चे पर किरकिरी का सामना करना पड़ा था. वर्ष 2019 में मुख्यमंत्री की जानकारी के बिना ही सरकारी पोर्टल पर एक विवादित दस्तावेज अपलोड कर दिया गया. पर्यटन विभाग ने इन्वेस्टर्स मीट से जुड़ा एक ऐसा दस्तावेज राइजिंग हिमाचल पोर्टल (Rising Himachal Portal) पर डाला जिसके बारे में सीएम जयराम ठाकुर तक को पता नहीं था. मामला उछलने के बाद मुख्यमंत्री ने सदन में स्वीकार किया कि ऐसे डॉक्यूमेंट का अपलोड होना दुर्भाग्यपूर्ण है तब तत्कालीन एसीएस, जो अब मुख्य सचिव हैं, उन्हें पर्यटन विभाग से हटा दिया गया था.
कोरोना काल में जयराम सरकार बहुत गंभीर विवाद में फंस गई. स्वास्थ्य विभाग में उपकरण खरीद को लेकर धांधली का (rigging during corona period) ऑडियो वायरल हुआ. स्वास्थ्य विभाग के निदेशक को पद से हटाया गया. यहां तक कि इस विवाद में भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल की कुर्सी चली गई. इसी दौरान सैनिटाइजर घोटाले की गूंज भी हुई. इसी सरकार के कार्यकाल में एक आईएएस अधिकारी शराब पीकर कैबिनेट मीटिंग में पहुंच गया. वहीं, विपक्ष ने आरोप लगाया कि कैबिनेट मंत्री महेंद्र सिंह के साथ हुए विवाद के कारण मुख्य सचिव अनिल खाची ने कुर्सी छोड़ी. इसके अलावा जनमंच में मंत्रियों की अभद्रता भी चर्चा में रही है. पूर्व में राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय के साथ विधानसभा परिसर में अभद्रता हुई. ये विवाद भी खासा चर्चित रहा. जयराम सरकार को जहरीली शराब से हुई मौतों पर उपजे आक्रोश से जूझना पड़ा. पुलिस भर्ती में पेपर लीक मामला ताजा विवाद है. जयराम सरकार को दो बार ऐसे अप्रिय विवाद का सामना करना पड़ा जिसमें समाज के ऊंचे पायदान पर बैठे लोग थप्पड़ के कारण बदनाम हुए.
पहली बार मुख्यमंत्री बने जयराम ठाकुर खुद विनम्र और शालीन स्वभाव के हैं. इस सरकार के कार्यकाल में साढ़े सात लाख लोगों को सामाजिक सुरक्षा पेंशन मिल रही है. हिमाचल में साठ वर्ष के बुजुर्गों को पेंशन दी जाती है. पहले यह आयु सीमा 80 साल थी. इसी तरह गंभीर बीमारियों से पीड़ित मरीजों को हर महीने तीन हजार रुपए की आर्थिक सहायता दी जाती है. ये सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्र में बेहतरीन कार्य हैं. लेकिन विवादों के साये में इन अच्छे कार्यों की उजली छवि धूमिल पड़ जाती है. मनोवैज्ञानिक डॉ. आरसी शर्मा का कहना है कि कई बार समाज में सत्ता और प्रतिष्ठा मिलने से व्यक्तित्व में अहम के कारण परिवर्तन आ जाता है. इसी वजह से ऐसी परिस्थितियां पैदा हो जाती हैं जिसमें लोग आपा खो बैठते हैं. कहा भी जाता है कि पद मिलने पर मद आ जाता है और सत्ता का नशा सिर चढ़कर बोलता है. डॉ. शर्मा का कहना है कि सामाजिक जीवन में ऊंचाई को प्राप्त लोगों से विनम्र व्यवहार की उम्मीद की जाती है.