शिमला: ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर कर्मचारियों द्वारा दिए गए नारे पर हिमाचल विधानसभा का सदन सोमवार को गर्मा गया. मुख्यमंत्री ने सदन की शुरुआत इस पर टिप्पणी करते हुए की. उन्होंने कहा कि ये क्या नारे लगाते हो. वहीं, विपक्ष ने सिरमौर की भाषा का मजाक उड़ाने का आरोप लगाते हुए सदन में हंगामा खड़ा कर दिया. साथ ही उनसे माफी मांगने की मांग उठाई.
विपक्ष ने सदन का वॉकआउट (Congress walkout from house) करते हुए विधानसभा के बाहर भी जोईया मामा मनंदा नी, विधायका री सुनंदा के नारे लगाए. सिरमौर के शिलाई के कांग्रेस विधायक हर्ष वर्धन ने कहा कि सदन में मुख्यमंत्री ने भद्दा सा मजाक किया है और सिरमौर की भाषा को वे समझते नहीं है. मुख्यमंत्री ने ऐसी भाषा का प्रयोग किया है जिससे कि सिरमौर की भाषा और सिरमौर के लोगों की खिल्ली उड़ाने की कोशिश की है. यह नारा जोईया मामा मनदा नहीं कर्मचारियों दी सुनदा नहीं. सिरमौर के पहाड़ी में जैसे हर्षवर्धन को हर्षु बोलते हैं. वैसे ही जयराम को जय बोलते हैं. नारे में लोगों ने सिर्फ मामा जोड़ा है.
सिरमौर में मामा शब्द का प्रयोग आदरणीय व्यक्ति को बोला जाता है. हमारे जो पंडित है जो नारे लगा रहे थे उनमें से कुछ लोग ब्राह्मण थे. वहीं, राजपूतों को जब हम एड्रेस करते हैं या बुलाते हैं उनके नाम के साथ मामा लगाते हैं और ये नारा कर्मचारियों ने लगाया है. यह कोई ऐसी भाषा नहीं है. यह सम्मान और इज्जत का नारा है. उन्होंने कहा कि आज बड़ा दुख हुआ कि मुख्यमंत्री ने नारे को विधानसभा में इस प्रकार से पेश कर अनादर करने की कोशिश की.
उन्होंने कहा हिमाचल प्रदेश का निर्माता डॉ. वाईएस परमार भी सिरमौर के थे. वे पहले मुख्यमंत्री थे, जिन्होंने पहाड़ी भाषा और पहाड़ी संस्कृति परंपराओं को बना कर रखा. अगर, कर्मचारियों ने सिरमौरी भाषा में नारे लगाए तो मुख्यमंत्री को सिरमौर किनारे से इतनी तकलीफ क्यों हुई. सदन में मजाक उड़ाया है. मुख्यमंत्री अपने शब्दों को वापस ले और सदन में इसके लिए सिरमौर की जनता से माफी मांगे.
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